कोरोना काल में कला को ज़िंदा रखने के लिए, कलाकारों ने सरकार से मांगी आर्थिक और नैतिक मदद

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कोरोना महामारी के कारण देशभर में लोग शारीरिक संकट के साथ – साथ आर्थिक और मानसिक संकट झेल रहे हैं। इस कोरोना काल ने लोगों के जीवन में ऐसी तबाही मचाई है की लोगों को इस स्थिति से उबरने में काफी समय लग सकता है। कोरोना के इस विनाश काल ने देशभर के कई लोगों का रोजगार भी उनसे छीन लिया और इसमें कई सहायक कलाकार और कलाकार भी शामिल है।

इस कोरोना काल में कई सारे ऐसे साहित्य, नृत्य सहायक कलाकार एवं कलाकार है जो इस समय आर्थिक और मानसिक रुप से प्रताड़ित हो रहे है। लेकिन उनकी मदद के लिए कोई संस्था या सरकारी तंत्र काम नही आ रहे। ऐसे सहायक कलाकार और अन्य कलाकारों की आवाज उन लोगों तक पहुंचाने हेतु जो उनकी कुछ मदद कर सकते है। इस उपलक्ष में टेन न्यूज़ के सभी सोशल प्लेटफॉर्म पर “पैनल डिस्कशन ऑन सपोर्टिंग आर्ट्स एंड आर्टिस्ट ड्यूरिंग कोरोना पांडेमिक” (Panel Discussion On Supporting Arts and Artist During Corona Pandemic) कार्यक्रम प्रसारित किया गया।

इस कार्यक्रम का संचालन “फाउंडेशन फॉर कला एंड एजुकेशन” सोसायटी की फाउंडर और सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना अनु सिन्हा ने किया। इस कार्यक्रम में भारत सरकार से अपील की गई कि मंत्रालय आगे बढ़कर जरूरतमंद लोगों को आर्थिक सहायता दे। कृष्णा कला फाउंडेशन की ओर से श्रीमती अनु सिन्हा ने 1,00,000 रुपये इस कोष में देने की घोषणा की। उसके पश्चात अन्य लोगों ने भी अपने स्तर से राशि दी। अब उन कलाकारों को भी आर्थिक सहायता दी जाएगी जिनकी कोई कमाई पिछले डेढ़ साल से नहीं हुई और उनका एक डेटाबेस बनाकर संस्कृति मंत्रालय को भी भेजा जाएगा कि इन को आर्थिक सहायता की सख्त जरूरत है। इसके साथ ही इस परिचर्चा में यह भी चर्चा की गई कि जो कल्चरल मैपिंग का प्लान था, जिसमें सभी कलाकारों को एक वेबसाइट पोर्टल पर रजिस्टर होना था उसको भारत सरकार को अवश्य चालू करना चाहिए।

नंदनी सिंह ने इस कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए कहा कि आज के समय में छोटे और बड़े कलाकारों के साथ जो स्थिति बनी हुई है वह किसी से छुपी नहीं है। उन्होंने बताया कि उनके पास खुद कई कलाकारों के फोन आते हैं जो इस समय कोरोना काल में आर्थिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं| नंदिनी सिंह ने कहा हमें ऐसे कलाकारों को ढूंढ कर उनकी सहायता करनी चाहिए और इस चीज पर ध्यान देना चाहिए कि कहीं वह अपने काम को छोड़कर कोई दूसरा काम ना पकड़ ले, अगर ऐसा हुआ तो उससे हमारी संस्कृति धीरे-धीरे खत्म होती चली जाएगी। इसलिए हमसे जितना भी उनके लिए बनता है हम अपनी तरफ से उनकी सहायता करेंगे।

मिर्जा आरिफ ने कलाकारों के विषय पर पैनल में अपनी बात रखते हुए कहा कि जिस तरह के इस समय हालत बने हुए है इसको लेकर कई कलाकारों के मेरे पास फ़ोन आते है और वह अपनी समस्याएं बताते है। उन्होंने कहा हर तरह के दौर आते हैं इसमें घबराने की कोई बात नहीं है अगर गुलाब चाहिए तो कांटों से होकर गुजरना पड़ेगा। उन्होंने कहा हमारे हिंदुस्तान की एक खासियत है यहां 5 तरह के मौसम हमें खुदा ने दिए हैं, इसके साथ ही कई बीमारियां भी हमें दी है और यह सब तब होता है जब हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हैं या फिर भगवान को याद दिलाना पड़ता है कि मैं हूं| पहले हमारे देश में इस चेचक की बीमारी आयी जिसके कारण लोगों के चेहरे पर दाग पड़ जाते थे, फिर उसके बाद अन्य बीमारियां आई और अब यह कोरोना आया है, मिर्जा आरिफ ने कहा इस दौर में घबराने की जरूरत नहीं है वक्त की एक खास बात है, अच्छा वक्त भी गुजर जाता है और बुरा वक्त भी गुजर जाता है, तो यह वक्त भी गुजर जाएगा।

राष्ट्रीय कलाकार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट गुलज़ार भट ने कहां की पूरा देश के कलाकार कोरोना महामारी से परेशान है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में भी कई सारे कलाकार ऐसे हैं जिन पर कोरोना का कहर टूटकर बरसा है। इसको लेकर जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर साहब ने भी कोरोना से प्रताड़ित कलाकारों के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया था। उन्होंने कहा एक बार फिर से जम्मू-कश्मीर के कलाकारों के लिए राहत पैकेज का ऐलान होना चाहिए। क्योंकि जम्मू कश्मीर में अभी भी ऐसे बहुत सारे कलाकार हैं जो इस महामारी में आर्थिक और मानसिक संकट से जूझ रहे हैं उनकी सरकार की तरफ से मदद की जानी चाहिए। गुलजार भट्ट ने कहा जैसे ही हमें कोरोना से आजादी मिलेगी तो जल्द ही हम ‘आज़ादी अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम का आयोजन अगस्त महीने तक करने जा रहे है और इस कार्यक्रम में देशभर के कलाकारों को आमंत्रित किया जाएगा जिसमें हर वर्ग के कलाकार एक प्लेटफार्म पर अपनी कला का जलवा दिखाएंगे।

उमेश ने कहा कि इस कोरोना काल में यह बहुत ही सेंसिटिव विषय है जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। एक कलाकार अगर काम करता है तो 20 से 25 सहायक कलाकार उनके साथ बैकअप में काम करते हैं। कलाकारों को तो फिर भी अगर वह रजिस्टर्ड हैं तो उन्हें कुछ ना कुछ मिल जाता है लेकिन जो कलाकार उनके साथ काम करते हैं वह इन सब चीजों से वंचित रह जाते हैं। उमेश ने कहा अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन वह सभी सहायक कलाकार यह काम छोड़कर कुछ और करने लग जाएंगे।

डॉ अनिता शर्मा ने कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए कहा कि अभी इस महामारी के काल में जिन आर्टिस्ट को काम नही मिल पा रहा है वह भुखमरी की कगार पर तो है ही साथ ही मानसिक रूप से भी इतने ज्यादा त्रस्त है की सुसाइडर केस बहुत ज्यादा बढ़ गया है। डॉक्टर अनीता ने कहा उन कलाकारों को ऐसे मंचों से अगर जोड़ा जाए तो निश्चित है कि हम उन कलाकारों की जिंदगी को बचा पाएंगे।

ज्ञानेश्वरी इंस्टिट्यूट की निदेशक दुर्गेश्वरी महक ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और उन्होंने कलाकारों के हित में बात रखते हुए कहा कि जो भी कलाकार मदद के लिए आ रहे हैं परफॉर्मेंस के बाद ही उनकी मदद की जाए कहीं ना कहीं यह बात सही है, लेकिन जो भी कलाकार हमारे साथ रजिस्टर होंगे उन सभी का एक लेवल निर्धारित करना होगा। क्योंकि सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि क्या वह परफॉर्मेंस देने की स्थिति में है। क्या पता पहले उनको हमारे सपोर्ट की आवश्यकता हो चाहे वह मानसिक रूप से हो चाहे वह आर्थिक रूप से हो, उसके बाद अगर वह परफॉर्मेंस करें तो मुझे लगता है कि वह ज्यादा बेहतर होगा।

अभिमन्यु लाल ने इस परिचर्चा में अपनी बात रखते हुए कहा कि ऐसे बहुत सारे कलाकार हैं जिनको कहीं ना कहीं काम मिल रहा है और वह कर रहे हैं। चिंता की बात यह है कि कई सारे ऐसे कलाकार हैं जिन्हें इस समय काम नहीं मिल रहा है और मेरे साथ की भी कई सारे ऐसे कलाकार हैं जो काम सीख रहे थे और अचानक से उन्होंने अपने आप को एक जगह बंद कर लिया है। मैं अपनी तरफ से बस यही कहना चाहूंगा कि मेरी अगर कहीं पर भी किसी प्रकार की मदद की आवश्यकता होगी तो मैं उसे करूंगा।

धर्मवीर धानु ने पैनल में अपनी बात रखते हुए कहा की मैं एक कलाकार से पहले एक कला शिक्षक भी हूं और मैंने कई ऐसे कलाकार देखे हैं जो इस क्षेत्र में बहुत कुछ करना चाहते थे लेकिन अभी उनकी मानसिक और आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। और उनके खातिर जो भी भूमिका मुझे निभानी है वह मैं हमेशा निभाऊंगा लेकिन फिर भी मुख्य विषय यह है कि कलाकार सिर्फ आर्थिक सहायता के लिए ही नहीं बैठे हुए हैं उन्हें प्रशंसा की भी आवश्यकता है और हम उन कलाकारों को अधिक से अधिक प्रशंसा प्रदान करें ताकि उनके अंदर एक जोश बना रहे। उन्होंने कहा कि 2 तरह की मुख्य कलाएं हैं परफॉर्मिंग आर्ट और विजुअल आर्ट परफॉर्मिंग आर्ट जो इंस्टेंट परफॉर्म किया जाता है, जो सीधा दर्शकों के दिल में जाकर घर बनाता है तो इस तरीके से परफॉर्मिंग आर्ट का भी हर जगह- जगह पर प्रदर्शन होता रहना चाहिए। इसके साथ ही उस परफॉर्मेंस से जो भी कलेक्शन होता है, उस कलेक्शन को कलाकारों के ऊपर लगाते हुए उसको अन्य कलाकारों के लिए भी किस तरीके से रखना है यह हमें देखना होगा।

साहित्यकार विनोद कुमार भी इस परिचर्चा में शामिल हुए उन्होंने कलाकारों के हित में अपनी बात रखते हुए कहा कि इस समय समय बहुत ही खराब है, हर तरफ त्राहि-त्राहि मची हुई है और ऐसे में मैं कलाकारों को यही कहना चाहूंगा कि उनको समय का सदुपयोग करना चाहिए। साथ ही हमे क्रिएटिव एक्शन पर भी ध्यान देना चाहिए इससे मन भी प्रसन्न रहेगा और मानसिक तनाव भी कम रहेगा।

नंदनी सिंह ने पैनल में अपनी बात रखते हुए कहा कि सम्मान और उसकी प्रशंसा यह एक कलाकार के विटामिंस हैं, खाने की 2 रोटी से ज्यादा एक कलाकार को अगर प्रशंसा और सम्मान मिले तो यह उनके लिए पहली चीज़ होती है। उन्होंने कहा एक असली कलाकार की यह खूबी होती है की अगर वह विंग के अंदर है तो वह कभी नहीं दिखाएगा कि उसके दिल में क्या चल रहा है लेकिन अगर वही एक बार उसको विंग के बाहर आने का मौका मिल जाए तो वह सारी दुनिया भूल जाता है। वह भूल जाएगा कि उसने 3 दिन से खाना खाया है कि नहीं खाया है। उन्होंने कहा मेरे अंदर अभी एक आइडिया आया था कि क्यों ना हम एक ऐसा ऑनलाइन एक्सपो बनाएं जिसमें साहित्यकार, नृत्य कार और अन्य सभी वर्ग के कलाकार इस ऑनलाइन एक्स्पो में शामिल हो पाए। और अपना अपना काम है सब को दिखाएं।

जया प्रियदर्शनी ने पैनल में सुझाब देते हुए कहा कि जो भी कलाकार है जिनकी हम मदद करना चाह रहे हैं, मैं चाहूंगी कि हम उनको बिना बताए उनकी मदद करें क्योंकि कोई भी कलाकार भूखा मरना पसंद करेगा लेकिन भीख मांगना पसंद नहीं करेगा, इसीलिए हम जो भी मदद जिस कलाकार की भी करेंगे उसको पता नहीं लगना चाहिए कि उसकी मदद किस तरीके से की गई।

टेन न्यूज़ के फाउंडर गजानन माली भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए और उन्होंने कलाकारों के विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारा विषय है की हम कला और कलाकारों को कहां कहां से किस किस प्रकार की मदद उपलब्ध करा सकते हैं। इसको लेकर गजानन माली ने कुछ सुझाब देते हुए कहा कि सबसे पहले आप जितने भी कलाकार मेंबर ऑफ पार्लियामेंट है उनको अपनी संस्था के साथ जोड़े और अपनी संस्था के माध्यम से कल्चरल इंडस्ट्री को, प्रधानमंत्री कार्यालय को और सभी राज्यों के सीएम को एक चिट्ठी लिखनी चाहिए की कलाकारों के लिए एक कॉर्पोरेट योजना लेकर आए। माली ने कहा की मैं आपको बताना चाहूंगा कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार और उसके बाद आता है जिला प्रशासन जो कि आपकी कोई मदद नही करेगा। लेकिन अगर हम गौतम बुध नगर की बात करते हैं या दिल्ली की बात करते हैं तो जैसा कि आपको पता होगा कि दिल्ली मुंसिपल कॉरपोरेशन ने कुछ कलाकारों को एंबेस्डर बना रखा है। तो कॉर्पोरेशंस या डेवलपमेंट अथॉरिटीज आपकी मदद कर सकती हैं|

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