नई दिल्ली :– दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर 12 जनवरी को एक श्रमिक यूनियन का प्रदर्शन हिंसक हो जाने के बाद गिरफ्तार की गई दलित श्रम अधिकार कार्यकर्ता नौदीप कौर ने हिरासत के दौरान पुलिस बर्बरता का आरोप लगाया है और यह भी कहा कि उन्होंने दलितों को लेकर उल्टी-सीधी बातें बोलीं।
कौर को 46 दिन जेल में बिताने के बाद उनके खिलाफ तीसरी और अंतिम प्राथमिकी, जिसमें हत्या का प्रयास, चोरी और जबरन वसूली के आरोप शामिल हैं, मुझे जमानत मिलने पर शुक्रवार को रिहा कर दिया गया था।
नौदीप ने आरोप लगाया कि अपनी गिरफ्तारी के दिन वे मजदूर अधिकार संगठन (एमएएस)— एक श्रमिक यूनियन के अन्य सदस्यों के साथ 30 मिनट का प्रदर्शन कर रही थीं. उनका दावा है कि वे लोग रोके गया वेतन देने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे जब पुलिस ने उनकी पिटाई की।
नौदीप ने कहा कि मुझे और अन्य महिलाओं को पीटा. जब अन्य मजदूरों ने मुझे पिटते देखा तो वे हिंसा पर उतर आए. मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मेरी कोई बात नहीं सुनी. जब पुलिस ने मुझे पकड़ा तब मेरे पास कोई हथियार नहीं था, मेरे हाथों में कुछ नहीं था. मेरे खिलाफ आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की धाराओं के तहत ऐसे आधारहीन आरोप लगाए गए हैं, जो यहां कतई लागू नहीं होते हैं।
उन्होंने दावा किया, ‘मुझे गिरफ्तार करने के बाद वे पहले तो मुझे कुंडली क्षेत्र की एक सुनसान सड़क पर ले गए जहां मेरे साथ मारपीट की गई. इसके बाद मुझे कुंडली थाने में ले गए और वहां भी मुझे पीटा और फिर अंत में मुझे करनाल जेल ले जाया गया. मुझे पुरुष पुलिसकर्मियों ने पीटा, आसपास कोई महिला कांस्टेबल नहीं थी. मेरे प्राइवेट पार्ट को भी चोट पहुंचाई गई. मेरी मेडिकल रिपोर्ट इसकी गवाही देती है कि मुझे कितनी बेरहमी से पीटा गया था।
नौदीप ने यह भी आरोप लगाया कि कुंडली के एसएचओ रवि कुमार ने कहा था, ‘समाज में दलित इतने ऊंचे कभी नहीं उठ सकते कि लोगों की आवाज बन जाएं. आपको हर किसी के लिए बोलने का अधिकार किसने दिया?
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि हमें अफसोस है कि बेटी के साथ यह अत्याचार हुआ है। किसी बेटी के साथ ऐसी धाराओं में मुकदमा दर्ज करना, संविधान का भी अपमान है। बाबा साहिब ने हमें गौरवमयी संविधान दिया है। हमारी आवाज कोई भी नहीं दबा सकता। हम नौदीप कौर का केस लड़ेंगे। किसान आंदोलन में सभी को देशद्रोही साबित करने का प्रयास किया जा रहा है। आज के हालात आपातकाल से कम नहीं है।