ऑनलाइन पर सस्ता सामान बेचने का झांसा देने वाले तीन ठगों को दिल्ली पुलिस ने किया गिरफ्तार
Rohit Sharma (Photo-Video) Lokesh Goswami Tennews New Delhi :
दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है , जिससे आप सभी हैरान हो जाएंगे । दरअसल क्विकर और ओएलक्स पर सस्ता सामान बेचने का झांसा देकर ठगी करने वाले डीयू छात्र सहित दो लोगों को नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट पुलिस ने धर दबोचा । पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है उनका नाम सचिन और अवधेश है , इनके कब्जे से पुलिस ने सात फोन, 12 सिम कार्ड एवं आठ डेबिट कार्ड बरामद किए हैं।
एडिशनल डीसीपी हरेंद्र सिंह ने बताया कि 25 मई को समीर रावत ने सब्जी मंडी थाने में ठगी की शिकायत दी। शिकायकर्ता ने बताया कि क्विकर पर एक विज्ञापन देखा था, जिसमें तीन हजार रुपये में आईफोन बिक रहा था।
उन्होंने खरीदने की इच्छा जताई, जिसके बाद अलग-अलग बहाने से आरोपियों ने उनसे लाखों रुपये ठग लिए। आरोपियों ने इस कदर उनको अपने जाल में फंसाया था कि समीर पैसे देने से इंकार ही नहीं कर सके। समीर को भरोसा रहे, इसलिए आरोपियों ने ऑनलाइन फेक बिल जेनरेटर की मदद से फर्जी बिल तैयार किए थे और वह समीर को देते रहे थे।
समीर को लगा कि उनको बाकायदा बिल मिल रहा है, तो उनके पैसे नहीं डूबेंगे। हालांकि ठगी के बाद सब्जी मंडी पुलिस के पास एफआईआर दर्ज कराई गई। इस दौरान ऑपरेशन सेल के एसीपी जितेंद्र पटेल की देखरेख में एसआई देवेंद्र चाहर की टीम गठित की गई।
तफ्तीश में पता चला कि इस वारदात में गाजियाबाद निवासी सचिन एवं अवधेश नाम के युवक शामिल हैं। लेकिन दोनों अपने घर से फरार था। इस बीच मालूम हुआ कि सचिन डीयू के ओपन स्कूल से बीए प्रथम वर्ष की परीक्षा दे रहा है ।
पुलिस गुप्त सूचना के आधार पर लगातार उसके परीक्षा केंद्र पर खड़ी रहती थी। सोमवार को सचिन जब परीक्षा देने के लिए आया तब पहले से मौजूद एसआई हंसाराम की टीम ने उसे धर दबोचा। उसकी निशानदेही पर अवधेश को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस द्वारा पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि दोनों ई-कामर्स वेबसाइट से जुड़े एक कॉलसेंटर में काम करते थे। उन्हें इसकी कार्यप्रणाली के विषय में जानकारी हासिल हुई।
सचिन का एक चचेरा भाई ऐसे ही ओएलक्स एवं क्विकर आदि के जरिए लोगों से ठगी करके ऐशो आराम की जिंदगी बिता रहा था। यह देखकर सचिन एवं अवधेश इस पेशे में आ गए। ये लोग महंगे सामान के फेक बिल क्रिएटर वेबसाइट से बनाते थे। फिर इसके जरिए लोगों को लुभाते थे और जब कोई इन उपकरणों को खरीदने की बात करता था तो कम्पनी के तमाम नियम शर्तों की बातकहकर रुपये वसूलते थे।
साथ ही उन्होंने बताया कि इसके जरिए उन्होंने कमीशन पर बैंक खाते उधार ले रखे थे। साथ ही हर दो माह पर एक व्यक्ति फर्जी नाम पर जारी सिमकार्ड इन्हें बेचने के लिए आता था। फिलहाल पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भिजवा दिया है।