एसआइटी जांच की रिपोर्ट के विरोध में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर सैंकडो किसानों का हल्ला बोल

Ten News Network

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एसआइटी जांच के विरोध में किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में किसानों ने आज ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय का घेराव किया। घेराव के लिए समिति के द्वारा पिछले एक सप्ताह से विभिन्न गांवों में पंचायत की जा रही थी। रविवार को चार गांवों में पंचायत की गई थी। किसानों से अपील की गई कि घेराव में ज्यादा से ज्यादा संख्या में उपस्थित रहें। जिसके चलते सैकडों की संख्या में किसान धरने में शामिल होने पहुंचे हैं।

किसानों ने कहा है कि विशेष जांच समिति की रिपोर्ट के खिलाफ संघर्ष किया जाएगा। आज किसानों ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और एसआइटी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसानों का कहना है कि जब तक एसआईटी की रिपोर्ट को रद्द नहीं किया जाएगा, तब तक उनका धरना जारी रहेगा।

प्राधिकरण पर मनमानी करने और किसानों को तबाह करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। किसान सेवा संघर्ष समिति के बैनर तले करीब 50 गांवों के सैकड़ों की संख्या में किसान विकास प्राधिकरण के कार्यालय पहुंचे हैं।

किसान सेवा संघर्ष समिति के प्रवक्ता मनवीर भाटी ने धरने को सम्बोधित करते हुए कहा कि एसआईटी की रिपोर्ट के बारे में समाचार पढ़ने के बाद हमारा एक प्रतिनिधिमंडल ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी केके गुप्त से मिला। उनसे एसआईटी की रिपोर्ट मांगी गई। उन्होंने जवाब दिया कि रिपोर्ट उनके पास नहीं आई है। इसके बाद हम लोगों ने शासन से जानकारी हासिल की। वहां से पता चला कि एसआईटी की रिपोर्ट मिल चुकी है और विकास प्राधिकरण को भेज दी है।

मनवीर भाटी ने एसीईओ केके गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए। कहा, “एसीईओ ने एसआईटी के सामने सही और पूरे तथ्य नहीं रखे हैं। जानबूझकर किसानों के खिलाफ रिपोर्ट बनवाई गई है। बाहरी पूंजीपति व्यक्तियों की आबादियों को हरी झंडी दे दी गई है। ग्रेटर नोएडा के मूल किसानों की आबादी के साथ उनको मिल चुके 6% प्लॉट को भी खत्म करने की सिफारिश की गई है।”

मनवीर भाटी का कहना है कि हम एसआईटी की जांच रिपोर्ट और सिफारिशों का हर जगह विरोध करेंगे। किसानों के साथ धोखाधड़ी करने और हितों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। किसानों ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की सरकारों के 10 वर्ष के कार्यकाल में लंबे संघर्ष के बाद अपने परिवारों की सामाजिक सुरक्षा हासिल की थी। जिसे विकास प्राधिकरण ने तबाह कर दिया है। इसके खिलाफ किसान एकजुट हैं। प्राधिकरण की तानाशाही को स्वीकार नहीं।

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