डॉ. योगेन्द्र नारायण गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हुए नियुक्त

ROHIT SHARMA

नोएडा  :– पूर्व रक्षा सचिव, राज्यसभा के पूर्व महासचिव एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव डॉ. योगेन्द्र नारायण को गढ़वाल विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्त किया गया | आपको बता दे की डॉ योगेंद्र नारायण उत्तर प्रदेश कैडर 1965 बैच सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा(आईएएस) अधिकारी है । डॉ योगेंद्र नारायण ने अपने कार्यकाल में गौतमबुद्ध नगर में तीन योजनाएं का आरम्भ भी करवाया । वही डॉ योगेंद्र नारायण केंद्र और प्रदेश सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके है । साथ ही अब फिर उन्हें गढ़वाल विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्त करके एक और नई जिम्मेदारी का भार सौपा गया है | वही गढ़वाल विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्त को लेकर टेन न्यूज़ की टीम ने डॉ. योगेन्द्र नारायण से उनकी प्रथमिकता के बारे में खास बातचीत की |

गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ योगेंद्र नारायण ने अपनी प्राथमिकता के बारे में बताया की पहाड़ों से सैनिक निकलकर देश का नाम रोशन करते आए है , वही इस गढ़वाल विश्वविद्यालय के सभी विद्यार्थी में आने वाले समय में देश का नाम रोशन करेंगे | साथ ही उनका कहना है की आज के समय में देश के अंदर नई आधुनिक आ रही है , जिसका लाभ आज के विद्यार्थी को मिल सकता है | वही इस नई तकनीकी से हर विद्यार्थी भविष्य में सफल हो सकता है | साथ ही उन्होंने कहा की विद्यार्थियों को पुरानी तकनीकी को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए , क्योकि आज के समय में नई नई तकनीकें आ रही है , जिससे वो आगे बढ़ सके |

वही गढ़वाल विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को अपने भविष्य को सफल के साथ देश का नाम रोशन करने के लिए उनका कहना है की सिधांतो के साथ प्रैक्टिकल ज्ञान होना बहुत जरूरी है , जिससे कोई भी विद्यार्थी को परेशानी का सामना न करना पड़ सके |

साथ ही उनका कहना है की कुलाधिपति होने के नाते गढ़वाल विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षक गण से उम्मीद करता हूँ की पढ़ाई , नयी खोज और मेक इन इंडिया पर विशेष ध्यान देंगे | जिससे इस विश्वविधालय से पढ़कर कोई भी विद्यार्थी नौकरी के लिए निकलता है तो उससे आराम से जॉब मिल जाए |

खासबात यह है की डॉ योगेंद्र नारायण का लगाव पहाड़ों से काफी रहा है | वही देश और प्रदेश के मुख्य शासकीय पदों पर रहने के बाद आखिर वापस अपने पहाड़ो के इलाकों में आ चुके है | वही उन्हें धार्मिक स्थानों से जुड़े पुराने इतिहास से काफी लगाव है |

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