साजिश के तहत वायरल हो रहा है मेरा ‘फर्जी वीडियो’: एसएसपी वैभव कृष्ण

ROHIT SHARMA

Galgotias Ad
गौतमबुद्धनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण के कथित वीडियो की राज्य सरकार जांच कराएगी। वैभव कृष्ण का कहना है कि उन्हें बदनाम करने के लिए अराजक तत्वों ने आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया है।
जब यह मामला संज्ञान में आया तो उन्होंने बुधवार रात सेक्टर-20 थाने में आईटी एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज करा दिया। इसके बाद पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने एडीजी मेरठ परिक्षेत्र आलोक सिंह की निगरानी में इसकी विवेचना हापुड़ के पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन को सौंप दी है।

 

 

एसएसपी वैभव कृष्ण ने मीडिया को बताया कि तीन छेड़छाड़ कर बनाए (मार्फ्ड) वीडियो व्हाट्सएप पर जारी किए गए हैं। यह साजिश का हिस्सा है और उनकी छवि खराब करने के मकसद से ऐसा किया गया है। इस तरह की कोशिश एक माह पहले भी की गई थी।
भ्रष्टाचार से संबंधित कुछ अति संवेदनशील प्रकरणों में प्रशासनिक रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी हुई है। इसमें पांच आईपीएस अधिकारियों, दो इंस्पेक्टर व चार गिरफ्तार किए जा चुके कथित पत्रकारों के नाम शामिल हैं। जिन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया था, उनके मोबाइल की जांच के दौरान मिलीभगत व ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर चल रहे खेल के प्रमाण मिले थे।
संभावना यह भी है मुख्यमंत्री को भेजी गई रिपोर्ट में शामिल लोग इस तरह की घिनौनी करतूत कर सकते हैं। वीडियो का स्रोत कहां से भेजा व फारवर्ड किया गया है, इसकी असलियत जांच के बाद सामने आएगी।
उन्होंने बताया कि गौतमबुद्धनगर में पिछले एक वर्ष में संगठित अपराध, अपराधियों, कई बड़े भ्रष्टाचार प्रकरणों के खुलासे हुए हैं। कई सफेदपोश दलालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है। आशंका है कि सख्त कार्रवाई से तिलमिलाकर छवि खराब करने के उद्देश्य से यह घिनौनी हरकत की गई है।

इस सप्ताह की शुरुआत में तीन गिरोहों के 128 अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उधर, मामला संज्ञान में आने के बाद डीजीपी ने इस मामले की जांच एसपी हापुड़ संजीव सुमन को सौंपी है। जांच की निगरानी एडीजी आलोक सिंह करेंगे। मालूम हो कि संजीव सुमन 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और वैभव कृष्ण से चार साल जूनियर हैं। संजीव सुमन का बतौर एसपी हापुड़ पहला जिला है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय में करीब एक माह पूर्व गौतमबुद्धनगर एसएसपी की तरफ से जो रिपोर्ट भेजी गई है, वह बेहद की चौंकाने वाली है। इसमें कहा गया है कि यहां पर संगठित गिरोह सक्रिय है जो प्रदेश के कई जिलों में ट्रांसफर पोस्टिंग कराने के लिए लाखों रुपये का लेनदेन करता है।

अगस्त में गिरफ्तार किए कुछ अभियुक्तों के मोबाइल की जांच में यहां के आईपीएस अधिकारियों से बातचीत के प्रमाण मिले थे जिसमें एक आईपीएस की पोस्टिंग कराने के लिए 80 लाख रुपये खर्च करने की बात सामने आई थी। इसमें लखनऊ की एक कंपनी का भी हाथ होने के प्रमाण मिले थे। जब कंपनी के कर्ताधर्ता से पूछताछ की गई तो उसने कई सफेदपोश नेताओं के नाम बताए थे। इसमें उत्तर प्रदेश व बिहार में ठेके दिलाने की बात भी सामने आई थी और अपना कमीशन तय करने की बात हुई थी।
Leave A Reply

Your email address will not be published.