New Delhi (29/11/2018) : गंगा के संरक्षण, देखरेख और बचाव की ओर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की एक और पहल. दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल वर्कशॉप फॉर डेवलपिंग ए गंगा म्यूजियम कॉसेप्ट कार्यक्रम के पहले दिन देश-विदेश से आए लगभग 35 संग्रहालय विशेषज्ञों ने गंगा संग्रहालय के तमाम पहलूओं पर चर्चा की.
जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव उपेंद्र सिंह ने वर्कशॉप में मौजूद संग्रहालय विशेषज्ञों और मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि गंगा के बिना हमारा वजूद नहीं है. उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि सारी नदियां महत्वपूर्ण है लेकिन गंगा का महत्व हमारे देश में बहुत ज्यादा है. ये हमारे लिए सिर्फ एक नदीं नहीं बल्कि उससे कहीं ज्यादा है. ये करोड़ों लोगों के जीवनयापन का जरिए है. श्री यूपी सिंह ने गंगा संग्रहालय के अलावा जल संग्रहालय बनाने की योजना पर भी अपनी बात रखी.
फिर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने भारतीय-यूरोपियन विशेषज्ञों का कार्यक्रम में स्वागत करते हुए उन्हें नमामि गंगे का मतलब बताया. साथ ही ये कहा कि गंगा संग्रहालय के निर्माण के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य गंगा के प्रति लोगों को जागरुक करना है. गंगा संग्रहालय का इस्तेमाल सिर्फ रिसर्च के लिए हो ऐसा ना हो. गंगा संग्रहालय के निर्माण के पीछे का मुख्य मकसद लोगों को गंगा का इतिहास, गंगा से जुड़े फैक्ट्स, गंगा की सांस्कृतिक पहलू और संरक्षण के बारे में जागरूक करना है.
मार्टिना बुकार्ड, प्रोग्राम हेड, GIZ इंडिया ने सभी विशेषज्ञों का स्वागत किया, जिनमें ऑर्ट एंड एग्जिबिशन हॉल ऑफ द ऱिपब्लिक ऑफ जर्मनी की तरफ से सुजैन एना औऱ कैथरीना च्रूबआसिक, डेन्यूब म्यूजियम की तरफ से टिमिया सज़ालई, हाउस ऑन द रिवर की तरफ से राल्फ ब्रौन, लिविंग वाटर्स म्यूजियम की तरफ से डॉ.सारा अहमद, जर्मन ओशियानोग्रफिक म्यूजियम फाउंडेशन की तरफ से डोरिट लाइबर-हेलबिग और उवे बेसे, राष्ट्रीय संग्रहालय में गंगा प्रदर्शनी का आय़ोजन कर चुके शकील हुसैन, बिहार संग्रहालय की तरफ से मौमिता घोष, म्यूजियम ऑफ सिटी ऑफ हैम्बर्ग की तरफ से डॉ. हांस-जोर्ग चेक, सेंट स्टीफन किंग म्यूजियम की तरफ से अटीला ग्योर और म्यूजियम ऑफ मॉर्डन जर्मन हिस्ट्री की तरफ से डॉ.थॉर्स्टन स्मिडिथ शामिल हैं.
जेआईजेड इंडिया की प्रोग्राम हेड मार्टिना बुकार्ड ने कहा, “संग्रहालय और प्रदर्शनी की योजना पर काम करने के लिए बेहद ही क्रिएटिव और प्रोफेशनल होना पड़ता है. इस वर्कशॉप का मकसद संग्रहालय और गंगा प्रदर्शनी को बनाने से पहले विशेषज्ञों का एक-दूसरे के साथ समझ विकसित करना है.”