सेक्टर 26 आरडब्ल्यूए अध्यक्ष ने गिनाई समस्याएं , जल्द निस्तारण की माँग

ROHIT SHARMA / ABHISHEK SHARMA

नोएडा :– नोएडा को हाईटेक शहर के रूप में जाना जाता है, और यह बात इस शहर के लिए बिलकुल फिट बैठती है , लेकिन अभी भी यहां के सेक्टरों में बहुत से ऐसे काम हैं , जो होने बाकी हैं। नोएडा प्राधिकरण लगातार शहर के विकास के लिए प्रयासरत है। इसी के साथ सेक्टर के विकास में सबसे अहम भूमिका रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्लूए) की होती है। आरडब्ल्यूए के अधिकारी अपने निजी काम के साथ-साथ सेक्टर के विकास को ध्यान में रखकर लगातार प्रयास करते रहते हैं और सेक्टरों की समस्याओं को प्राधिकरण के समक्ष रखते हैं , जिससे की उनका निस्तारण जल्द से जल्द हो सके।



सेक्टरों की समस्याओं एवं उनके समाधान को लेकर प्राधिकरण के अलावा यहां के आरडब्ल्यूए के अधिकारी अपनी ओर से क्या प्रयास कर रहे हैं, इसको लेकर टेन न्यूज़ ने सेक्टर-26 आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष गोविन्द शर्मा से विशेष बातचीत की और जाना की उनके सेक्टर की फिलहाल क्या स्थिति है।

पेश हैं उनसे बातचीत के मुख्य अंश

सेक्टर 26 आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष गोविंद शर्मा ने कहा कि सबसे पहले सेक्टर की जो रूपरेखा है , वही खराब है। यहां 9 मीटर चौड़ी रोड पर भी ढाई सौ से तीन सौ मीटर के प्लॉट हैं, उसके सामने डबल स्टोरी फ्लैट भी बने हुए हैं। 9 मीटर की सड़क पर अगर 300 मीटर तक के प्लॉट हैं तो निश्चित ही वहां पर ट्रैफिक और लोगों की आवाजाही अधिक रहेगी ही। इसी के चलते सेक्टर में यातायात की व्यवस्था बेहद खराब है और अभी नोएडा प्राधिकरण ने एफएआर बढ़ा लिया है तो लोगों ने अब 4 मंजिल के घर बना लिए हैं और वहां पर किराएदार बस गए हैं। जिसके चलते वहां पर वाहनों की संख्या भी बढ़ी है और गाड़ियां खड़ी करने की जगह नहीं है। नोएडा प्राधिकरण ने इसके लिए कोई समाधान भी नहीं किया है।

वहीं दूसरी ओर सेक्टर का जो केंद्र है वह ई ब्लॉक है जहां पर केनरा बैंक अपार्टमेंट्स बने हुए हैं। यह पूरा ब्लॉक ग्रीन बेल्ट था और यहां बच्चों का पब्लिक स्कूल बना दिया गया, आई केयर हॉस्पिटल भी बनाया गया, उस समय यहां पर कुछ लोग आते थे लेकिन अब संख्या बढ़ गई है। जिसके चलते यहां पर जाम की स्थिति बनी रहती है। यहां पर अपोलो के नाम से डिस्पेंसरी बनी हुई है जहां पर इसका मतलब ही बदल दिया गया है। डिस्पेंसरी की जगह हॉस्पिटल बना दिया गया है। यहां पर सुबह 9:00 बजे से लेकर दोपहर 1:00 बजे तक कोई भी वाहन निकालना बेहद मुश्किल होता है।

जब इस बारे में नोएडा प्राधिकरण से पूछा गया तो प्राधिकरण ने जवाब दिया कि यहां प्लान के मुताबिक बेसमेंट सिर्फ स्टोरेज के प्रयोग के लिए दी गई है। जबकि आज के समय में वहां पर ओपीडी चलता है। जिसके चलते ही यहां पर जाम की समस्या है, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में हुए एक हादसे के बाद आदेश दिया था कि बेसमेंट में कोई भी ओपीडी नहीं बनाई जाएगी , जबकि अपोलो हॉस्पिटल यहां पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ा रहा है। कोलकाता में बेसमेंट में ओपीडी होने के चलते बड़ी दुर्घटना घटी थी जिसमें कई लोगों की जान भी गई थी। अब यहां पर लोगों की जान जोखिम में डालकर बेसमेंट में ओपीडी चलाई जा रही है जो कि नियमों के विरुद्ध है।

उन्होंने आगे बताया कि फरवरी 2014 में नोएडा प्राधिकरण की ओर से सेक्टर के ए बी सी और डी ब्लॉक के सीवर को फिर से बनाने के लिए टेंडर जारी किया था और यह काम लगभग 1 साल के भीतर हो जाना चाहिए था लेकिन 2014 से लेकर 2018 के बीच में केवल ए और डी ब्लॉक के सीवरों का पुनर्निर्माण हुआ है। वहीं अब तक बी और सी ब्लॉक के सीवरों की हालत खस्ता हुई पड़ी है। प्राधिकरण को ठेकेदारों से जवाब तलब करना चाहिए कि जो काम 1 वर्ष में पूर्ण हो जाना चाहिए था उसमें साढ़े 4 साल लग चुके हैं। जिसके बाद भी वह पूरी तरह से नहीं हो पाया है।

उनका कहना है कि सेक्टर में पानी की बड़ी समस्या बनी रहती है यहां पर कभी कभी गंदा पानी आता है जो कि किसी भी काम में नहीं लाया जा सकता , उसे पीना तो दूर की बात है। सेक्टर में गंदे पानी के आने से पिछले साल कई प्रकार की बीमारियां भी उत्पन्न हुई थी और लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।

गोविन्द शर्मा ने यह भी बताया की मानसून आने वाला है , लेकिन सेक्टर के पास का जो नाला है उसे बंद करके रखा है | अगर तेज बारिश होगी तो इस सेक्टर में जलभराव हो जाएगा , जिससे यहाँ के निवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा |

उन्होंने आगे बताया कि नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर के पार्कों में स्ट्रीट लाइट लगाने के लिए टाटा को टेंडर दिया था जो कि पिछले वर्ष दिसंबर तक पूरे हो जाना चाहिए था , लेकिन मई में जाकर सेक्टर के अंदर एलइडी लाइट्स बदली गई। हालांकि उसकी जो इंटरनल वायरिंग थी वह नोएडा प्राधिकरण के अधीन थी उसमें अभी भी कुछ खामियां हैं जिनका समाधान अभी तक भी नहीं हो पाया है। उसके लिए ऑनलाइन शिकायत करने का ऑप्शन है जिसके बाद टाटा को इसकी शिकायत दी गई। टाटा कंपनी के लोग खुले पैनल और इंटरनल वायरिंग नोएडा प्राधिकरण के हवाले होने की बात कह कर टाल देते हैं। वहीं नोएडा प्राधिकरण इसका ठीकरा टाटा के ऊपर फोड़ता है।

वहीं उन्होंने बताया कि यहां पर पार्कों के झूले टूटे हुए थे, जिसकी मरम्मत आरडब्ल्यूए के अधिकारियों ने अपने पैसों से कराई थी। यहां के लोगों ने बैडमिंटन खेलने के लिए एक कोर्ट का निर्माण कराया है। उनका मानना है कि ऐसा बैडमिंटन कोर्ट पूरे नोएडा में कहीं पर भी नहीं है और इस बात को प्राधिकरण के अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं। इसका उद्घाटन जल्द ही किया जाएगा।

उनका कहना है कि सेक्टर में और जो भी अन्य समस्याएं हैं उनके लिए लगातार आरडब्लूए कार्य करती रहेगी और प्राधिकरण के समक्ष अपनी समस्याएं रखकर उनका निस्तारण कराने की कोशिश में जुटेगी।

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