जननायक महान नेता जयललिता
मृत्युंजय दीक्षित
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री स्व. जयललिता अब हमारे बीच नही हैं। जब उनके निधन का समाचार आया उसके बाद से ही टी वी चैनलों में तमिलनाडु व देश की जनता के हित में उन्होनंे जो काम किये उन पर खूब चर्चा की गयी है।जयललिता के अंतिम संस्कार व यात्रा के दौरान जिस प्रकार जनसैलाब उमड़ा व पूरा तमिलनाडु रो पड़ा उससे साफ पता चलता है कि वह सिर्फ अम्मा ही नहीं अपितु वह पूरे तमिल समाज की गाॅडमदर थीं । उनके कैरियर का सफरनामा फिल्मी दुनिया से शुरू हुआ था। उन्हें तमिल राजनीति के गाडफादर एम जी आर का पूरा सहयोग मिलता था। जिसके कारण एम. जी. आर की पत्नी जयललिता की धुर विरोधी बन चुकी थीं और अवसर मिलने पर कई बार उनको अपमानित भी किया व करवाया । लेकिन जयललिता ने कभी एम जी आर का साथ नहीं छोड़ा। फिल्मी दुनिया में जयललिता ने एम जी आर के सहयोग से काफी नाम कमाया व लोकप्रियता प्राप्त की। कम से कम 80 फिल्मोें ने सिल्वर जुबिली मनायी और तमिल, तेलुगू ,कन्न्ड,़ मलयामलम और मणिपुरी भाषा की फिल्मों में काम किया। उन्होनें एकमात्र हिंदी फिल्म में अभिनेता धर्मंेद्र के साथ काम किया। उन्हें पढ़ने – लिखने का भी बहुत शौक था। वह खाली समय में अंग्रेजी के उपन्यास पढ़ा करती थीं।
स्व. जयललिता वास्तव में महिला सशक्तीकरण व तमिलनाडु के विकास का पर्याय बन चुकी थीं। आज विकास की दौड़ मंे तमिलनाडु गुजरात से भी आगे जा रहा है जिसका श्रेय जयललिता को ही मिलना चाहिये। स्व.जयललिता का जीवन सदा संघर्षोें से भरा रहा। मात्र दो वर्ष की अवस्था में ही उनके पिता का साथ छूट गया। तब उनकी मां ने उनका पालन पोषण किया तथा 15 वर्ष की आयु से ही फिल्मों में काम करना प्रारम्भ कर दिया। स्व. जयललिता भारत की ऐसी पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं जिन्होंनें छह बार मुख्यमंत्री का पद संभाला । जयललिता के राजनीति के क्षेत्र में एक शानदार मुकाम हासिल किया है। उनकी अंतिम यात्रा में जिस प्रकार से जनसैलाब उमड़ा वह इस बात का गवाह है कि उन्होनें गरीब तमिल जनता के हित तिजने भी काम किये वह सभी धरातल पर उतरे । उनके कामों व योजनाओं से गरीबों को सीधा लाभ मिला। स्व. जयललिता की राजनीति में सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उनके सभी दलों में मित्र थे। तमिल राजनीति में गठबंधन की राजनीति को एक नया आयाम दिया था। जयललिता ने कभी स्वार्थहितों की पूर्ति करने के लिए केंद्र सरकार के साथ टकराव की राजनीति नहीं की। उन्हें राजनीति में कमबैक के नाम से जाना गया था। कई बार ऐसा हुआ भी। अभी हाल ही में सम्पन्न विधानसभा चुनावों के दौरान सभी राजनैतिक विश्लेषकों व सर्वेक्षणों को धता बताकर सफलता हासिल की वह आश्चर्यजनक थीं। 2014 की मोदी लहर में तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों में से 37 सीटें जीतकर एक यादगार कीर्तिमान स्थापित किया।
उनके अंंितम संस्कार में उमड़े जनसैलाब व तमिल जनता को यह अच्छी तरह से पता है कि वी आज जो कुछ हैं स्व़ जयललिता की नीतियों और तपस्या के कारण। उनकी अंतिम यात्रा में उनकी नीतियों का ही करिश्मा दिखलायी पड़ रहा था। वह वास्तव मंे जननायक व गरीबों की वास्तविक मसही थीं। यह उनकी नीतियों का ही असर है कि वेन्नई में अगर आपकी जेब में मात्र 20 रूप्ये हैं तब भी भरपेट भोजन बड़ी आसानी से कर सकते हंैे।
जयललिता ने अपनी योजनाआंे को एक प्रकार से भ्रष्टाचारमुक्त बनाया और जरूररतमंदों तक उन योजनाओं को पहुचानें में सफलता प्राप्त की। आज तमिलनाडु देश का ऐसा पहला राज्य है जहां पर महिला हिंसा सबसे कम होती है तथा मातृत्व व शिशु मृत्युदर का अनुपात भी सबसे कम है। स्व़ जयललिता का अम्माब्रांड आज भी लोकप्रियता के पायदान पर खड़ा दिखलायी पड़ रहा है। अम्मा ब्रांड की तमिलनाडु ही नहीं अपितु पूरे भारत में चर्चा है।
पूरे तमिलनाडु की अम्मा ने अपनी जनता के लिये सभी सामान सुविधाएं , योजनाएं या तो मुफ्त कर दी थीं या फिर उन पर भारी सब्सिडी दी जाती थी। उन्होनें गरीबोें के कल्याण के लिए काफी कुछ किया।जिसमें उनकी सरकार ने सभी प्रमुख शहरों व रेलवे स्टेशनों पर मात्र 10 रूपये में मिनरल वाटर उपलब्ध कराया। राज्य के सभी स्वयं सहायता समूहों को स्मार्टफोन, राज्य के 11 लाख बच्चों के बीच लैपटाप देने की योजना शुरू की। नवजात बच्चांे की देखभाल के लिए बेबीकिट उपलब्ध करवायी। सभी प्रमुख अस्पतालों में अम्मा फार्मेसी खेली। सभी प्रमुख शहरों में सस्ते दर पर खाना और नाश्ता उपलब्ध कराने केे लिये अम्मा कैंटीन खोली गयी। यहां पर मात्र एक रूपये में भोजन किया जा सकता है। यहीं नहीं अम्मा ने गरीबों के लिए सस्ता मनोरंजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की तथा साल 2014 में तो अम्मा नमक 14 रूपये में उपलब्ध करा दिया। गरीब महिलाओं को मुफ्त में सस्ता मिक्सर और गरीब हक ग्रांइडर उपलब्ध कराया। अम्मा टी वी की शुरूआत की। गर्मी के दिनों में गरीबों कों राहत देने के लिए अम्मा फैन वितरित किये। यहीं नहीं गरीबों को बीज भी मुफ्त में ही बांटा जाता है वह भी अम्मा के नाम से मशहूर हैं।
अम्मा की राजनीति से पता चलता है कि वह गरीबों के हित में सामाजिक सरोकार की वास्तविक राजनीति करतीं थींे। उन्होनें अपनी राजनैतिक शैली व काम से यह सिद्ध किया हेै कि किस प्रकार से गरीबों का वास्तविक भला किया जा सकता है। उनके राजनैकि जीवन में सबसे बड़ा विवाद वह था जिसमें उन्होनें दीपावलि के पावन अवसर पर निर्दोष संत शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को बहकावे मेें आकर गिरफ्तार करवा दिया था। उनके इस कदम से उनकी छवि को कुछ हद तक नुकसान भी उठाना पड़ा था और वह हिंदू संगठनों की नाराजगी का कोपभाजन भी बनीं थी। पूरे देश में उनके खिलाफ उग्र प्रदर्शन भी हुए थे । स्व. जयललिता ने अपने कामों के सहारे दूसरे मुख्यमंत्रियों व राजनेताओं को यह संदेश देने का भी प्रयास किया है कि वे किस प्रकार से गरीबों का दिल जीत सकते हैं। स्व़ जयललिता के अम्मा ब्रंाड की चर्चा विदेशी मीडिया में भी खूब होती रही है।
स्व. जयललिता राजनीति का एक अभूतपूर्व करिश्मा थीं। विधानसभा चुनावों के बाद उन्होनें ही बसपा नेत्री मायावती को भी दलितों का महान नेता बताया था।उन्होनें दलितोें व पिछड़ों के लिए भी काफी संघर्ष व काम किया। लेकिन उन्होंने इसके लिये कभी भी राजनैतिक नौटंकियों का सहारा नहीं लिया। उनकी राजनीति बिलकुल अलग प्रकार की थी। वह उदारवादी विचारधारा की थीं। वह जिनसे दोस्ती करतीं थी उनकी दोस्त होतीं थी व जिनसें नाराज हो जाती थीं तो उसका कहीं उल्ल्ेाख भी नहीं करती थी। पूर्व तमिल मुख्यमंत्री करूणानिधि इसका परम उदाहरण हैे। यह उनकी आभा ही थी कि पूरी अन्नाद्रमुक में उनके जीवन काल में कोई उनको चुनौती नहीं दे पाया और उत्तराधिकारी भी नहीं बन सका। उनके दल के सभी निर्णय उन्हीं के द्वारा ही लिये जाते थे जिसका कभी कोई विरोध नहीं हुआ। स्व़ जयललिता एक विकसित राज्य छोड़ कर गयी हंै। उनके उत्तराधिकारी को उनका काम संभालना आसान नहंीं होगा। उनके निधन के बाद मिल राजनीति मंे एक रिक्तता अवश्य आ गयी है।जिसे काफी लम्ब समय तक अवश्य महसूस किया जायेगा।
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