नोएडा : सामान लिए बिना लौटे प्रवासियों व मकान मालिकों के लिए यह बात बनी सबसे बडा सिरदर्द

Rohit Sharma

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पूरे विश्व में फैले कोरोना वायरस ने भारत में भी हाहाकार मचा रखा है। यहां कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है, जो कि एक चिंता का विषय है। इसकी सबसे अधिक मार गरीब मजदूरों पर पड़ रही है।

गौतम बुद्ध नगर में लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर रहकर काम करते हैं। अब जब सरकार ने लाॅक डाउन कर दिया है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने सभी प्रवासी मजदूरों को वापस जाने का अभियान चलाया है।

सभी लोग अपना पूरा सामान अपने साथ नहीं ले जा पा रहे हैं जहां वह किराए पर रह रहे थे, अपना सामान वही छोड़कर जा रहे हैं। ऐसे में मजदूर एवं मकान मालिक के लिए सिर दर्द और बढ़ गया है।

नोएडा के रहने वाले बिरेंद्र कुमार का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने सभी प्रवासी मजदूरों को वापसी लाने का जो अभियान चलाया है, वह काबिले तारीफ हैं। जितने भी मजदूर दूसरे प्रदेशों या जिले में रहते हैं, अधिकतर सभी लोग किराये के मकान में ही रहते है। अब जबकि सभी मजदूर वापस जा रहे हैं तो जरूरी तो नही कि वे अपना सारा सामान लेकर जा सकते है।

उनका कहना है कि आज के हालात को देखकर लगता है कि कम से कम 6 महीने से पहले कोई भी मजदूर वापिस शहर में नही जाने वाला। ऐसे स्थिति में जिन किराए के मकान में उनका सामान रखा हुआ है, क्या उसका किराया उन्हें देना पड़ेगा, या मकान मालिक उसमें रियायत बरतेगा।

शुरू में तो सरकार ने मकान मालिकों से 1 महीने का किराया न लेने की अपील की थी, परंतु तब भी अधिकतम लोगो को ये रियायत नही मिली।

उनका कहना है कि इस विषय में जिला प्रशासन को कोई ना कोई कदम जरूर उठाना चाहिए। क्योंकि मजदूर बिना रहे कमरे का किराया नहीं दे सकते। वहीं यहां के स्थानीय लोग अधिकतम किराए पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में जिला प्रशासन को दोनों पक्षों के बारे में विचार कर कोई फैसला जरूर लेना चाहिए।

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