सरकारों ने यह 4 कदम नहीं उठाये तो भविष्य में कोरोना जैसी कई महामारियों का करना पड़ेगा सामना

लेखक: डॉ हरिवंश चतुर्वेदी, डायरेक्टर, बिमटेक

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भारत को एक समर्थ राष्ट्र और 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने का सपना तब तक पूरा ना होगा जब तक शिक्षा और स्वास्थ्य को उच्च प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।

आज कोवीड के कारण जिस तरह स्वास्थ्य सेवाएं निकम्मी साबित हो रही है, सोचिए पिछले 75 सालों में देश ने स्वास्थ्य सेवाओं के ऊपर कितना ध्यान दिया और क्या खर्च किया।

कुछ महीनों में कोवीड की दूसरी खतरनाक लहर का प्रकोप कम हो सकता है। क्या हम फिर भूल जाएंगे कि शिक्षा की तरह हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था बहुत कमजोर सतह पर खड़ी हैं ? क्या हम ने मान लिया है की कोवीड जैसी महामारी सौ साल में एक बार या कभी कभार आती है, तो उस की ज्यादा फिक्र क्यों करें?

आपदा वैज्ञानिकों का कहना है कि भविष्य में भी कोवीड जैसी महामारियां आती रहेंगी और ग्लोबल वार्मिंग के कारण भयानक बाढ़, सूखा, सुनामी और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं हमारी बड़ी आबादी की रोजी रोटी और जिंदगी से खिलवाड़ करती रहेंगी। तब यह सोचना की जो जैसा चल रहा है उसमें कुछ खास करने की जरूरत नहीं है।

वे चार बातें जिन पर आज देश की सरकारों, नेताओं और नीति निर्धारकों को अविलंब ध्यान देने की जरूरत है:-

1. शिक्षा और स्वास्थ्य को भावी विकास का आधार बनाते हुए इन्हें उच्च प्राथमिकता घोषित किया जाए । केंद्र सरकार के बजट में स्वास्थ्य पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद के 5 प्रतिशत के बराबर प्रावधान किया जाए। राज्य सरकारें, हर ज़िला पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय 10 प्रतिशत के बराबर प्रावधान करें। अभी तक देश स्वास्थ्य पर 2 प्रतिशत से भी कम खर्च करता रहा है।

2. कोविड और भविष्य में आने वाली महामारियां और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का काम सिर्फ सरकारी अमले और नौकरशाही पर ना छोड़ते हुए जिला वा शहर स्तर पर यह काम स्वयंसेवी संस्थाओं, शिक्षा संस्थाओं, हाउसिंग वेलफेयर एसोसिएशन पर छोड़ा जाए। हमें हर NGO को शक की निगाह से देखने की प्रवृति छोड़नी होगी।

3. मेडिकल शिक्षा में बुनियादी सुधार लाएं जाएं और हर जिले में सरकारी अस्पताल से संबद्ध मेडिकल कॉलेज खोले जाएं। हम हर साल बमुश्किल 60-70 हजार MBBS तैयार करते हैं, जबकि हमें हर साल दो लाख डॉक्टरों की जरूरत होती है। हमें नर्सिंग और पैरामेडिकल शिक्षा में भी पांच साल में 100 प्रतिशत वृद्धि करनी होगी। सब कुछ प्राइवेट सेक्टर पर छोड़ देने से काम नहीं चलेगा।

4. कोविड के दौर में देश की स्वास्थ्य व्यवस्था में सबसे बड़ी कमजोरी जो उजागर हुई है वह है मेडिकल सप्लाई चैन की कोई मजबूत व्यवस्था का ना होना। हर चीज जिस की इलाज के लिए सख्त जरूरत है वह मार्केट और अस्पतालों से गायब है। क्या हम निर्माणी और सेवा उद्योगों की तरह एक सुदृढ़ सप्लाई चैन स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए भी नहीं खड़ी कर सकते ?

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