संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक आज, एमएसपी पर गारंटी सहित आगे कि रणनीति पर होगी चर्चा

Ten News Network

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New Delhi: केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून वापस तो ले लिए है लेकिन दिल्ली के सीमाओं पर बैठे किसान हटने का नाम नहीं ले रहे। अब किसान एमएसपी पर कानून बनाने और गारंटी देने की मांग कर रहे हैं। इन्हीं मुद्दों को लेकर दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की एक अहम बैठक आज सिंघू बॉर्डर पर होने वाली है। जिसमे किसान आगे कि रणनीति बनाएंगे। इस बीच किसान नेताओं का कहना है कि एमएसपी पर एक पैनल के लिए केंद्र सरकार को 5 नाम भेजे जाएं या नहीं-इस पर कोई भी फैसला इस बैठक में किया जाएगा। अभी तक किसानों को एमएसपी के मुद्दे पर कोई भी सूचना सरकार के तरफ से नहीं मिली है।

विपक्ष लगातार किसानों के मुद्दे पर सदन के शीतकालीन सत्र में सरकार को घेर रही है। विपक्ष का आरोप है कि ये सरकार सदन में किसानों के मसले पर बात नहीं करना चाहती है। सरकार चर्चा से डरती है, बीते दिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सरकार किसानों को मुआवजा देने के नाम पर कहती है कि उनके पास आंदोलन में जो किसान मरे उनका कोई आंकड़ा नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि हम सरकार को लिस्ट भी देने को त्यार हैं हमारे पास मरे हुए किसानों की पूरी सूची है।

आज के इस बैठक में प्रदर्शनकारी किसानों की लंबित पड़ी मांगों पर भी विचार किया जाएगा, जिनमें फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर कानूनी गारंटी, किसानों के खिलाफ मामले वापस लेना, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा देना शामिल हैं।

आपको बतादें कि संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक आश्वासन नहीं मिलने के कारण किसान अपनी लंबित मांगों के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं। पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में आंदोलन को वापस लेने के लिए 6 प्रमुख मांगें उठाई थीं मगर सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। ऐसे में किसानों को आंदोलन जारी रखने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

इस बीच सरकार का कहना है कि जब हमने कृषि कानून को वापस ले लिया तो सदन में चर्चा किस बात कि अब किसान को अपने घर चले जाना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा के तरफ से प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जिन 6 मुद्दों की बात कही गई है, उनमें से एक प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज केसों को वापस लेने का था। बीजेपी शासित राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में हजारों किसानों के खिलाफ सैकड़ों मुकदमे दर्ज किए गए हैं। किसान नेताओं का कहना है कि इस मुद्दे पर केंद्र से फोन आया था लेकिन कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई था। लिहाजा आंदोलन का आगे का रास्ता तय करने के लिए बैठक रखी गई है।

सरकार पर विपक्ष के तरफ से आरोप लगाया गया की सरकार किसानों को अनदेखा कर रहा है। इस मसले पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित देश में किसानों की आय बढ़ रही है। नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने की कार्यनीति के साथ विभिन्न कार्यक्रमों, योजनाओं और नयी नीतियों का कार्यान्यन कर रही है।

आज संयुक्त किसान मोर्चा की जो बैठक होने वाली है उसे आंदोलन के लिहाज से अहम माना जा रहा है, इस बैठक में आगे की रणनीति बनेगी। जिस तरीके से पूरे देश में किसानों का आंदोलन जारी है ये सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। आने वाले दिनों में अलग अलग राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं तो सरकार चाहती है कि ये आंदोलन जितनी जल्दी हो समाप्त हो उतना अच्छा है, और चुनाव से पहले सरकार के सामने आंदोलन को समाप्त करवाना सबसे बड़ी चुनौती है।

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