संभाजीराजे छत्रपति (सांसद राज्यसभा ) मराठा गौरव की जीती-जागती मिशाल हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के 14वी पीढ़ी के वंशज और राजा कोल्हापुर के सबसे बड़े पुत्र के रूप में सभाजीराजे छत्रपति ने समाज सेवा और वंचितों के विकास के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। हाल ही में संभाजीराजे छत्रपति भारत-चीन बॉर्डर पर एक प्रतिनिधिमंडल के साथ वस्तुस्थिति का जायजा ले कर लौटे हैं। 2016 में सदन के उच्च सदन में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर रहे संभाजीराजे के सचिव योगेश केदार ने इस दौरान सांसद महोदय के सेना के एक उच्च-अधिकारी से मुलाकात का विस्तृत विवरण लिख मराठा समाज और छत्रपति शिवाजी महाराज की आज के समय पर भी दिन-ब-दिन बढ़ती ख्याति और सार्थकता को समाज के सामने लाने की कोशिश की है। इसी पर प्रकाश डालने के लिए पेश है संभाजीराजे छत्रपति के सचिव योगेश केदार जी द्वारा लिखित एक अविस्मरणीय अनुभव का व्याख्यान :
आज मैं आपके साथ एक बहोत ही प्रेरणादायी बात साझा कर रहा हूँ .
आपको तो पता है , की हम पिछले कुछ दिनोंसे इंडो चायना सीमा पर थे | आज लगभग ४:३० बजे दिल्ली पहुँच गए | बागडोगरा से हमारे विमान ने उड़ान भरी | दिल्ली पहुँचने तक मैंने छत्रपति शिवाजी महाराज के आज्ञा पत्रोंपर आधारित भाषण सुना | उनके पत्र व्यवहार से और उनके आज्ञापत्रोंसे(राजपत्र ) से हमें उनकी दूरदृष्टिता और उनके व्यक्तित्व की महानता का अनुमान भर लगा सकते है | दिल्ली पहुँचते ही हमारी मीटिंग तय थी, मोनुमेंट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया की प्रमुख के साथ | उसके बाद हम संभाजीराजे के प्रति स्नेह रखने वाले जनरल पन्नू जी के घर पहुँच गए, १ कुशक रोड, नयी दिल्ली | आपको पता हो गया होग़ा की भारतीय सेना और छत्रपति परिवार का एकदूसरे के प्रति कितना लगाव है |
वे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल पद पर है | इतने बड़े पद पर विराजमान सेनाधिकारी के घर में प्रवेश करते ही मुझे आष्चर्य दिखा | उनके घर के बरामदे के बिलकुल सामने एक छोटासा गोल गार्डन है | वहां पर उन्होंने सिंहगड क़िले की प्रतिकृति बनायीं हुयी है | मैंने उनको कहा की आपने तो सिंहगड किला खड़ा किया है | उन्होंने बड़े गर्व के साथ कहा की , सिंहगड क़िले के पुरे नाप लेकर उसके हूबहू बनाया गया है | याद रहे , सिंहगड पर ही तानाजी मालुसरे ने हिंदवी स्वराज के लिए सर्वोच्च बलिदानी दी थी | छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वयं कहा था की ‘गड आला पण सिंह गेला | वह लड़ाई भारतीय सेना के लिए आज भी प्रेरणा दायी है | उसकी याद में आज भी मराठा लाईट इंफेट्री 4 फ़रवरी को हर साल ‘मराठा दिवस ‘ मनाते है |
ये देखकर घर में प्रवेश करते समय अपने दाहिने बाजु में बरामदे में शिवाजी महाराज की अश्वारूढ़ मूर्ति रखी गई है | मूर्ति की बिलकुल निचे ‘कर्नल ऑफ़ द रेजिमेंट ‘ का फ्लैग लगा हुआ है | इसका मतलब ये है की वे मराठा लाइट इन्फेंट्री के प्रमुख है | वैसे घर बहुत बड़ा है | अंदर आखिरी छोर तक हम गए | उधर जाते समय उन्होंने कहा , आइए हम ‘मराठा कॉर्नर ‘ में बैठते है |
अरे ? मुझे बार बार आश्चर्य के छोटे छोटे धक्के लग रहे थे | संभाजीराजे , मैं यहाँ पीछे वाले बड़े गार्डन में रायगढ़ क़िला बनवाऊँगा | यहाँ मेरी कुर्सी पर बैठकर देख सकूँ , जब भी नजर दौड़ाऊँ | ये जगह काफी बड़ी है | लम्बा सा ये हॉल काँच की दीवार से बनाया गया है | यहीँ पर उनके विशेष अतिथियोंको बिठाया जाता है | आप जब सोफे पर बैठकर बाहर की ओर देखेंगे तो बड़ा गार्डन दिखेगा | वही पर रायगड क़िले का निर्माण किया जायेगा | उनका ये कहना था , की सिर्फ हम रायगड को देखेंगे तब भी शिवाजी महाराज की विशालता दिखेगी | उन्होंने स्वराष्ट्र , स्वभाषा , स्वधर्म और अपने भूमिपुत्रों के लिए क्या कुछ नहीं किया | मेरे जीवन में सिर्फ एकही आदर्श है शिवाजी महाराज , और मुझे लगता है की उतना काफी है | मैंने थोडासा दाहिने हाथ की ओर देखा तो एक और मूर्ति थोडेसे ऊँची मेज़ पर राखी थी | उसकी दोनों बाजू में घोड़े के ऊपर बैठने के लिए इस्तमाल वह खोगीर (मराठी में इसको यही शब्द है ) रखा गया है . घोडा और शिवाजी महाराज का बहोत गहरा नाता रहा है | घोड़ा , मतलब रफ़्तार , घोड़ा मतलब फुर्ती , घोड़ा जीत का भी प्रतिक है |इसी मराठा कॉर्नर में दीवार पर शिवाजी महाराज के दरबार की तस्बीर लगी हुई है |
उन्होंने संभाजी महाराज के इंडो -चायना बॉर्डर दौरे के अनुभवों को सुना | बहोतसारी और भी जानकारियां दी |
बाद में उन्होंने संभाजी महाराज के बारे में जो कहा वह भी प्रेरणादायी है | यू नो संभाजीराजे , आप जैसे लोग राजनीति में बहोत कम है | कौन है जो इतने सच्चे मन से काम कर रहा है | देश , समाज संस्कृति के प्रति इतनी आस्था किसीमे नहीं है | पूरे देश के आदर्श छत्रपति शिवाजी महाराज के परिवार में आप का जन्म हुआ है | इसका बहोत बड़ा एडवांटेज आपको मिला हुआ है | आप ही के कारण शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक पूरा हिंदुस्तान देख रहा है | पिछले दो साल से मैं आपका निरिक्षण कर रहा हूँ | कितनी मेहनत आप कर रहे हो | सही अर्थो में आप शिवाजी महाराज के दिखाए आदर्शों को जी रहे है | आप अपने पगचिन्ह पीछे छोड़ जायेंगे , जो आनेवाली पीढ़ियां कभी भूलेंगी नहीं |
संभाजी राजे ने विनम्रता के साथ कहा , की मैं पूरी तरह शिवाजी महाराज के आदर्शोंपर खरा उतर पाउँगा की नहीं ये मुझे नहीं पता | लेकिन शिवाजी महाराज के आदर्षोको ५ % भी जीवन में उतार सकूँ तब भी मेरे जीवन का सार्थक हो जायेगा | हाँ मै जो कुछ भी करता हूँ , पूरे मन से करता हूँ | उसके बाद में भारत चीन और भारत पाकिस्तान के सीमा विवादोंपर पर सघन वार्तालाप हुआ | जो मैं यहाँ बता नहीं सकता |
भोजन के बाद हम लोग निकलने लगे | मुझे रहा नहीं गया | मैंने कहा , जनरल साब आप तो जन्म से सिख हो , आपका जन्मे भी तो पंजाब में | तो आप शिवाजी महाराज के इतने कट्टर भक्त कैसे ? योगेश , बेटा मैं जन्म से सिख हूँ , मगर कर्म से मराठा हूँ | मैं खुद को मराठा ही समझता हूँ , जिसने अपने जेहन में छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्षो को उतार दिया है | मुझे गर्व है अपने मराठा होने पर |
रात के अब २ बजे हुए है | मेरे विचार चक्र अभीभी थमें नहीं है | एक तरह की मन में शान्ति भी है | एक नयी ऊर्जा से शरीर में महसूस हो रही है | वास्तव में छत्रपति शिवाजी महाराज बहोत बड़े थे | जरुरत है नये नजरिये की , जिससे हम उनके कार्योंका सही आकलन कर सके | आज राष्ट्र जीवन की आवश्यकता बने है शिवाजी महाराज “|
योगेश केदार ,
सचिव , संभाजीराजे छत्रपति (सांसद राज्यसभा )
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