ग्रेटर नोएडा : मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे औद्योगिक क्षेत्र, पांच बड़ी समस्याओं का हल निकालने के लिए आईआईए ने की प्रेस वार्ता

Ten News Network

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ग्रेटर नोएडा के उद्यमी मूलभूत सुविधाओं के बगैर काम कर रहे हैं। आलम यह है कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) ने रखरखाव शुल्क बढ़ा दिया। लेकिन सुविधाओं में कोई इजाफा नहीं हुआ। औद्योगिक क्षेत्र साइट-बी, सी और पांच में खराब सड़क, जर्जर नालियां और जलभराव से उद्यमियों का स्वागत होता है।

इंडियन इंडुस्ट्रीज एसोसिएशन की ग्रेटर नोएडा शाखा ने प्रेस वार्ता का आयोजन किया, जिसमे मुख्यतः पांच मुद्दों पर चर्चा की गई। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि अब, 50 लाख रुपये से अधिक के मासिक कारोबार वाले व्यवसायों को अपने जीएसटी देयता का कम से कम एक प्रतिशत नकद में अनिवार्य रूप से भुगतान करना होगा। केंद्र सरकार का कहना है कि जीएसटी प्रणाली के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट पर धोखाधड़ी करने का दावा करना मुश्किल बना दिया है। लेकिन इसके तहत व्यापारियों और उद्यमियोंपर अतिरिक्त भार पड़ेगा।

आईआईए के सचिव अमित शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन और कोरोना के चलते व्यापारी और उद्यमी पहले से मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। अब सरकार ये नयी मुसीबत हमारे ऊपर डाल रही है। इससे एमएसएमई पर भार पड़ेगा, बड़े उद्यमियोंके लिए यह कोई बड़ी समस्या नहीं है लेकिन इसके लागू होने से लघु एवं मध्यम उद्योगों को झटका लगेगा। 50 लाख रुपये से अधिक के मासिक कारोबार वाले व्यवसायी अपने जीएसटी देयता का कम से कम एक प्रतिशत नकद में भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार अपने इस फैसले को वापस ले ताकि उद्यमी बिना परेशानी के काम कर सके।

वहीं, कोषाध्यक्ष राकेश बंसल का कहना है कि औद्योगिक क्षेत्र में प्रवेश करने पर लगता है कि अविकसित इलाके में आ गए हैं। ऐसे मे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) कैसे तरक्की करेगा।

इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के ग्रेटर नोएडा अध्यक्ष विशारद गौतम ने बताया कि तीनों साइटों की सड़कों की स्थिति काफी खराब है। सड़कों पर गड्ढे बने हुए हैं। साइट-पांच में प्रवेश करने और बाहर जाने के लिए केवल एक ही सड़क है। इससे बड़े वाहनों के आने-जाने में दिक्कत होती है। कई बार जाम लग जाता है। यहां अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। वर्तमान में 100 के करीब झुग्गियां हैं। नालियां जाम पड़ी हुई हैं। गंदा पानी निकलकर सड़कों पर आ जाता है। बरसात के समय में काफी दिक्कत होती है। कई फैक्ट्रियों में पानी घुसने से लाखों रुपये का माल खराब हो गया है।

वहीं उन्होंने बताया कि बताया कि साइट-बी व सी के बीच में हवेलिया नाला है। इसकी पिछले 20 वर्षो से सफाई नहीं हुई है। हालांकि, यूपीसीडा का कहना है कि सफाई के लिए रकम जारी कर दी गई है। लेकिन अभी तक इसको साफ़ करने की कार्यवाही शुरू नहीं हो सकी है।

उद्यमियों ने वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम लागू करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि यूपीसीडा व ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को उद्यमियों के पक्ष में वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम लागू करनी चाहिए, जिससे कि उद्यमी स्वतंत्रता से काम कर सके। उद्यमियों के पुराने बकाए बिल माफ किए जाएं।

उनका कहना है कि जल्द से जल्द उद्यमियों के लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम लाई जाए। वही उद्यमियों का कहना है कि कच्चे माल के दामों में भारी बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि कोरोना काल में इंपोर्ट बंद था। अगर हम किसी चीज को एक्सपोर्ट करते रहेंगे तो कहीं ना कहीं अपने स्टॉक में कमी आएगी। अब स्थिति यह है कि कच्चे माल के दामों में 200 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। इसके दाम ऊपर नीचे होते रहते हैं। केंद्र सरकार को इसमें दखल देना चाहिए और इसका नियंत्रण अपने हाथ में ले। इसके चलते सबसे अधिक एमएसएमई क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। लोगों को कम रोजगार मिल पा रहा है। सरकार को जल्द से जल्द इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।

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