इंटीग्रेटेड टाउनशिप में भूजल स्तर स्थिर रखने के लिए ग्रेटर नॉएडा प्राधिकरण ने की पहल, एसटीपी से मिलेगा उद्योगों को पानी

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ग्रेटर नोएडा। देश के तमाम शहरों में तेजी से गिरता भूजल स्तर भविष्य में बड़ी परेशानी का संकेत है। चेन्नई इसका बड़ा उदाहरण है। ऐसे में ग्रेटर नोएडा से सटे आईआईटीजीएनएल की हाइटेक व स्मार्ट इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप उन सभी शहरों के लिए बड़ी सीख बन सकती है। इस टाउनशिप में उद्योगों के लिए भूजल का उपयोग नहीं होगा, बल्कि पेयजल को छोड़कर उद्योगों के लिए पानी की जरूरत इसी एसटीपी से पूरी होगी। यह देश का पहला शहर होगा, जहां पेयजल को छोड़कर बाकी सारी जरूरतें एसटीपी से शोधित पानी से पूरी हो जाएंगी। इस पर काम शुरू हो चुका है। दिवाली तक यहां के उद्योगों को एसटीपी से शोधित पानी मिलने लगेगा। इस पहल से इस इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप में भूजल का स्तर कम नहीं होगा।

दरअसल, दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के संयुक्त उपक्रम इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप ग्रेटर नोएडा लिमिटेड (आईआईटीजीएनएल) की तरफ से करीब 750 एकड़ में इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप बसाई जा रही है। इस टाउनशिप में अब तक पांच बड़ी कंपनियां अपना प्लांट लगा रही हैं। इनमें हायर इलेक्ट्रॉनिक्स, फॉर्मी मोबाइल, सत्कृति इंफोटेनमेंट, चेनफेंग (एलईडी कंपनी) और जे वर्ल्ड इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। ये कंपनियां 3700 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर रही हैं और करीब 10 हजार युवाओं को रोजगार देंगी। हायर कंपनी बहुत जल्द उत्पादन भी शुरू करने जा रही है। उद्योगों की जरूरत को देखते हुए इस टाउनशिप तक हुए पानी जल्द पहुंचाने की दरकार है। उद्योगों की जरूरत के लिए केंद्रीय भूगर्भ जल आयोग से भूजल निकालने की अनुमति नहीं मिली, सिर्फ पीने के लिए गंगाजल की अनुमति मिली है। ऐसे में उद्योगों की जरूरत कैसे पूरी होगी, यह बड़ा सवाल बन गया था। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और आईआईटीजीएनएल के एमडी नरेंद्र भूषण ने एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) से शोधित पानी पहुंचाने का निर्णय लिया। इस पर सभी की सहमति बन गई और तत्काल काम भी शुरू कर दिया गया। कासना स्थित 137 एमएलडी क्षमता वाले प्लांट से शोधित करके पानी पहुंचाया जाएगा। एसटीपी से टाउनशिप तक पानी पहुंचाने के लिए करीब नौ किलोमीटर लंबी पाइपलाइन डाली जानी है। पाइपलाइन व अन्य नेटवर्क तैयार करने में करीब नौ करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह खर्च आईआईटीजीएनए‍ल वहन कर रहा है। दिवाली तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य है, जिससे कि टाउनशिप में औद्योगिक इकाइयों के चालू होने पर पानी का किल्लत न हो। मौजूदा समय में वहां के उद्योगों के लिए करीब पांच एमएलडी पानी रोजाना की दरकार है। बाद में यह जरूरत 15 एमएलडी तक पहुंच जाएगी। इसके साथ ही आईआईटीजीएनएल की यह टाउनशिप उन चंद शहरों में शुमार हो जाएगी, जहां पर भूजल का दोहन शून्य है। इससे टाउनशिप में भूजल का स्तर कभी कम नहीं होगा।

ग्रेनो प्राधिकरण को हर माह एक लाख की आमदनी

इंटीग्रेटेड टाउनशिप में एसटीपी से शोधित पानी पहुंचने से न सिर्फ उद्योगों की जरूरत पूरी हो सकेगी, बल्कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को रोजाना करीब एक लाख रुपये की आमदनी भी होगी। बाद में यह कमाई और बढ़ जाएगी। वर्तमान समय में टाउनशिप के उद्योगों को करीब पांच एमएलडी पानी रोजाना की दरकार है। बाद में यह जरूरत 15 एमएलडी तक पहुंच जाएगी। प्राधिकरण को इससे मौजूदा समय में जहां एक लाख रुपये मिलेंगे, बाद में यह रकम तीन गुना बढ़ जाएगी। यह रकम एसटीपी के संचालन में खर्च होगी।

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