नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का १ वर्ष : शिक्षाविदों ने चुनौतियों और संभावनों पर डाला प्रकाश

Ten News Network

Greater Noida: नेशनल एजुकेशन पालिसी अर्थात एनईपी के एक वर्ष पूरे होने पर, टेन न्यूज़ द्वारा इससे जुड़ी चुनातियों और भविष्य की संभावनाओं पर एक चर्चा का आयोजन किया गया।

इस परिचर्चा को प्रोफेसर विवेक कुमार, उप निदेशक, एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा द्वारा संचालित किया गया।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों और शिक्षा जगत की नामचीन हस्तियों ने इस दौरान अपने विचार रखे।

डॉ हरिवंश चतुर्वेदी, निदेशक, बिमेटक, डॉ पंकज मित्तल, महासचिव, भारतीय विश्वविद्यालय संघ और प्रोफेसर (डॉ) विकास सिंह, कुलपति, आइटीएम विश्वविद्यालय, नया रायपुर, ने इस दौरान अपने विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम को दिशा देते हुए, प्रोफेसर विवेक कुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अत्यंत महत्वकांक्षी परियोजना है और 2040 तक जब तक इसका सम्पूर्ण क्रियान्वयन होगा, हमे अनेकों बदलाव देखने को मिलेंगे।

“पिछले दिनों कई राज्यों के अनेकों इंजीनियरिंग कॉलेजेस में प्रांतीय भाषाओं में अपने कोर्सेज आरम्भ किये, जो बेहद
प्रशंसीय है,” डॉ विवेक कुमार ने कहा।

चर्चा को आगे बढ़ाते हुए, डॉ पंकज मित्तल ने ऐकडेमिक बैंक ऑफ क्रेडिट पर प्रकाश डाला। “इस व्यवस्था के माध्यम से अब इक्छुक छात्र- छात्राएं अपनी रुचि के अनुसार कोर्सेज कर सकेंगे जिसका ब्यौरा उनके क्रेडीट के रूप में दर्ज हो जाएगा। और जब 120 या उससे ज्यादा क्रेडिट उनको मिल जाएगा तो उससे संबंधित डिग्री लोगों को मिल जाएगी।”

शिक्षा नीति के बारे में और जानकारी साझा करते हुए प्रोफेसर (डॉ) विकास सिंह ने कहा, “यह भारत 2.0, यानी आजादी के सौ साल पूरे होने और होने वाले अमृत महोत्सव का बहुत बड़ा पार्ट होगी। इस शिक्षा नीति द्वारा दी जा रही मल्टीप्ल एंट्री, मल्टिपल एग्जिट सुविधा के तहत बच्चे कोई भी कोर्स कर सकते हैं और उन्हें काफी ऑटोनोमी मिलेगी। पर साथ ही कोशिश है कि मल्टी- डिसिप्लिनरी कोर्सेज के तहत हम अपने कैंपस में ही अत्याधिक विषय छात्रों को दे सकें। हमने ऐसी सुविधा बनाई है जिसमें सभी बच्चे 2 नॉन-डोमेन इलेक्टिव और 2 पूर्णतः प्रक्टिकल-बेस्ड स्किल रिलेटेड एलेक्टिव चुन कर अपनी शिक्षा से इतर भी चौतरफा विकास कर सकें। मेरा मानना है की इस नीति के माध्यम से वोकेशनल कोर्सेज के प्रति रुचि बढेगी।”

तत्पश्चात, वरिष्ट शिक्षाविद डॉ हरिवंश चतुर्वेदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़ी जानकारियां साझा की। डॉ चतुर्वेदी ने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत जो 10 बड़ी घोषणाएं की गईं उसके समयबद्ध क्रियान्वयन की आवश्यकता है। जो पिछली शिक्षा नीति आई थी उसको पूरा लागू करने में 6 साल लगे, पर इक्कीसवीं सदी में हमे जल्द क्रियान्वयन की योजना बनानी चाहिए। कोविड के कारण हमारी शिक्षा व्यवस्था में परेशानी आई है और यह सभी को मानना चाहिए।”

“दूसरी सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण चीज यह है की क्या राज्य सरकारें, केंद्र सरकार शिक्षा से जुड़ी चीजों पर अपना बजट बढ़ाएंगी। क्योंकि यह भी बेहद आवश्यक है। साथ ही अगले 10 सालों में देश विदेश में बड़े बदलाव होने वाले है। डिस्रप्टिव टेक्नोलॉजी आने वाले है तो क्या हम अपने स्कूल और कॉलेजेस को उसके लिए तैयार कर पाएँगे,” डॉ चतुर्वेदी ने कहा।

इसी के साथ सभी गड़मान्य अतिथियों ने शिक्षा जगत से जुड़े अनेकों महत्वपूर्ण सुझाव दिए औऱ चर्चा को उचित दिशा देते हुए अपने पड़ाव तक पहुंचाया।


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