बिहार: सरकारी विद्यालयों में पुस्तकालय घोटाला, मधुबनी के सरकारी शिक्षक ने किया बड़ा खुलासा, पढें पूरी रिपोर्ट

टेन न्यूज नेटवर्क

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पटना, बिहार (31 अगस्त 2022): विद्यालय की मूलभूत सुविधाओं एवं छात्राें के बौद्धिक विकास में पुस्तकालय का अहम स्थान है। प्राचीन काल में ज्ञान, विज्ञान, दर्शन, आध्यात्म और मेधाओं की भूमि कही जानेवाली बिहार के सरकारी विद्यालयों की खस्ताहाल व्यवस्था एवं विद्यालयों की दयनीय स्थिति किसी से छुपी नहीं है।

वर्तमान में बिहार के सरकारी विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है, विद्यालय में पुस्तकालय का एक महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन बिहार के आधे से अधिक सरकारी विद्यालयों में आधुनिक व्यवस्था तो दूर पुस्तकालय नहीं है।

यू-डायस रिपोर्ट 2020-21 की मानें तो बिहार में 58.95 फीसदी विद्यालयों में ही पुस्तकालय की सुविधा है। वहीं पिछले वर्ष बिहार के 55 फीसदी विद्यालयों में पुस्तकालय की व्यवस्था थी।

रिपोर्ट के मुताबिक 1साल में लगभग 3 फीसदी विद्यालयों में पुस्तकालय निर्माण हो सकी है। राज्यभर में सरकारी सहायता प्राप्त और निजी विद्यालयों को मिलाकर कुल 60.61 फीसदी विद्यालयों में पुस्तकालय है। लगभग 40फीसदी विद्यालय बिना पुस्तकालय के ही चल रहे हैं। बिहार में कुल 93 हजार 459 सरकारी विद्यालय है जिसमें से महज 56647 विद्यालयों में ही पुस्तकालय की सुविधा है, वहीं कुल 7293 निजी विद्यालयों में से महज 6162 विद्यालयों में ही पुस्तकालय है।

टेन न्यूज की पड़ताल में हुए चौंकाने वाले खुलासे

टेन न्यूज की टीम ने जब इन पुस्तकालयों की यथास्थिति जानने हेतु पड़ताल की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए, बिहार के माध्यमिक एवं उच्च स्तरीय सरकारी विद्यालयों में बने इन पुस्तकालयों में अधिकांश जगहों पर पाठ्यक्रम की पुस्तक होने के बजाय दर्शन एवं उपन्यास की पुस्तकें पड़ी थी।

इस बाबत जब हमने शिक्षकों से एवं पुस्तकालय प्रभारी से बातचीत की सूबे के मधुबनी जिले के बासोपट्टी प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत एक सरकारी उच्च विद्यालय के शिक्षक ने नाम का खुलासा न करने के शर्त पर कहा कि ” ये सभी पुस्तकें किसी एक दुकानदार से अधिक मुनाफे और कमीशन दिए जाने के शर्त पर खरीदकर पुस्तकालय में भर दिया जाता है। अधिकांश पुस्तक ऐसे हैं जो केवल पुस्तकालय को भरने के लिए लगा दिया जाता है, इससे छात्रों को कोई लाभ नहीं है।”

वहीं अगर हम विद्यालयों में पुस्तकालय के लिहाज से अन्य राज्यों को देखें तो झारखंड में 97.52 फीसदी सरकारी विद्यालयों में पुस्तकालय की सुविधा है, उत्तरप्रदेश में 94.15 फीसदी सरकारी विद्यालयों में पुस्तकालय है।।

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