तथाकथित पत्रकारों की रिमांड के बाद कई अहम जानकारियां आई सामने, पुलिस अधिकारीयों पर पर्दा डालते दिखे एसएसपी
Abhishek Sharma (Photo-Video) Lokesh Goswami Tennews
गौतम बुद्ध नगर से गिरफ्तार हुए पत्रकारों के संबंध में आज जिलाधिकारी बीएन सिंह और एसएसपी वैभव कृष्ण ने साझा प्रेस वार्ता करते हुए कई अहम जानकारियां संवाददाताओं के साथ साझा की। एसएसपी ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि पुलिस ने 23 अगस्त को थाना बीटा-2 में पांच पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसके बाद चार पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया। वही एक पत्रकार रमन ठाकुर फरार चल रहा है जिसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने 25000 का इनाम भी घोषित किया गया है।
गिरफ्तार किए गए पत्रकारों को 5 दिन की पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई। जिसमें कई अहम जानकारी सामने आई है। एसएसपी ने बताया कि अभियुक्त नीतीश पांडे पुलिस मीडिया न्यूज़ के नाम से पोर्टल का संचालन करता है। जिसका कार्यालय लखनऊ में है। नीतीश पांडे नामक अभियुक्त भी उसी मकान में रहता है। पोर्टल का डोमेन सिद्धार्थ दुबे के नाम से पंजीकृत है।
एसएसपी का कहना है कि सिद्धार्थ नीतीश का रिश्ते में भाई लगता है एवं जिस मकान में पोर्टल का संचालन हो रहा था वह मकान भी सिद्धार्थ दुबे व उसके भाई विक्रांत दुबे का ही है। एसएसपी का कहना है कि सिद्धार्थ और विक्रांत ने वर्ष 2011-12 व 2013 में ग्राम गढ़ी चौखंडी में अपनी पत्नियों के नाम पर 1000 वर्ग मीटर के प्लॉट की रजिस्ट्री कराई थी। जबकि यह जमीन 2006 में नोएडा प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित कर ली गई थी।
मई 2019 में नोएडा प्राधिकरण ने सिद्धार्थ के पिता रविंद्र दुबे पर प्राधिकरण की जमीन कब्जाने का मुकदमा लिखवाया था। एसएसपी का कहना है कि जब प्राधिकरण की जमीन पर अवैध कब्जा करने का मुकदमा दर्ज किया गया तो अभियुक्त नितीश पांडे ने 29 जून को एसएसपी से सूरजपुर कार्यालय में आकर मिला था। उसने एसएसपी से रविंद्र दुबे का नाम मुकदमे से निकलवाने का अनुरोध किया था, परंतु एसएसपी ने मदद करने से इनकार कर दिया था।
एसएसपी के मुताबिक इस तथ्य के सबूत भी उपलब्ध हैं कि 2018 में नीतीश पांडे ने चंदन राय के साथ मिलकर गढ़ी चौखंडी के खसरा नंबर 17 में रामनिवास को कब्जे से बेदखल कर रविंद्र दुबे को कब्जा दिलवाया था। जिसमें स्थानीय पुलिस की भूमिका भी सामने आ रही है। हालांकि एसएसपी ने अपने ही पुलिसकर्मियों का नाम लेने से साफ इनकार कर दिया। एसएसपी का कहना है कि गिरफ्तार किए पत्रकारों ने कई बड़े पुलिस अधिकारियों के नाम भी लिए हैं लेकिन जांच के बाद उनके नाम खोले जाएंगे।
एसएसपी ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि 30 जनवरी 2019 को तीन पत्रकार व एसएसओ थाना सेक्टर 20 मनोज पंत गिरफ्तार किए गए थे। जिसके बाद जमानत पर छूटे तीनों पत्रकार अपने आप को हाईकोर्ट इलाहाबाद में एजीए बताने वाले एक वकील डीके पाठक के संपर्क में आए। जिसने इन पत्रकारों को सलाह दी कि तुम एसएसपी के खिलाफ खबरों के जरिए दबाव बनाओ जिससे कि वह तुम्हारे आगे झुक जाए और मुकदमे की पैरवी करना बंद कर दे।
एसएसपी वैभव कृष्ण का कहना है कि गिरफ्तार किए गए पत्रकारों के फोन से कई ऑडियो क्लिप व व्हाट्सएप चैट मिली है। जिसमें सुशील पंडित ने स्वीकार किया है कि उनके द्वारा चलाई गई खबरें गलत है एवं अफरा तफरी उत्पन्न करने के उद्देश्य से यह प्रसारित की गई हैं। एसएसपी का कहना है कि व्हाट्सएप चैट में यह लोग खबरों के माध्यम से धुआं उठाने, आग लगाने जैसी बातें कर रहे हैं और इन खबरों पर दुष्प्रचार बनाकर नीतीश पांडे ने सोशल मीडिया वेब पोर्टल पर खूब वायरल किया।
वही एसएसपी का कहना है कि जिस मकान में पुलिस मीडिया न्यूज़ पोर्टल संचालित हो रहा था वह मकान गाजियाबाद निवासी प्रमिला गुप्ता के नाम पर रजिस्टर्ड है। लेकिन अभियुक्त चंदन राय द्वारा उस मकान पर अवैध रूप से कब्जा किया गया है। गिरफ्तार किए गए पत्रकारों ने गाजियाबाद में आवास आवंटन में लॉटरी के नाम निकलवाने के नाम पर लगभग ₹11 लाख की ठगी को भी अंजाम दिया गया था। पत्रकारों की गिरफ्तारी के बाद यह लोग सामने आए और उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है।