पति-पत्नि ने कचरा प्रबंधन को बनाया बिजनेस, नौकरी छोड स्वच्छता भारत मिशन को दी प्राथमिकता

ABHISHEK SHARMA

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बुन्देलखंन्ड के नौगाँव मे जन्मे और नौगाँव पोलीटेक्निक और सागर से इंजीनीयरिंग की डिग्री प्राप्त करने के बाद देश की प्रतिष्ठित कंम्पनियो मे सेवाएँ देने के बाद प्रवीण नायक ने अब समाज और देश हित मे उठाया अनोखा कदम।

अपनी मल्टीनेश्नल कंंम्पनी को छोड़ कर प्रवीण नायक और अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ निवासी उनकी फैशन डिजाइनर धर्मपत्नी ने देश के स्वच्छता भारत मिशन को प्राथमिकता दी।

इस नायक दम्पति ने कचरे के समाधान के लिये एक गार्वेज क्लीनिक की स्थापना की। यह कचरा प्रबन्धन का एक बेहतरीन माॅडल है।

(Waste Resource Recovery Management Centers)

आपको बता दें कि दम्पति ने देश मे ऐसा पहला क्लीनिक शुरू किया, जहाँ हर तरह के कचरे का संम्पूर्ण इलाज किया जा रहा है। कचरे को रिसोर्स की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।

नायक दम्पति देश मे कचरे से सोना (रिवेन्यू) बनाने वाले गार्वेज क्लीनिक के इस माॅडल को अब गाँव-गाँव तक ले जाने के लिये संकल्प लिया है। महाराष्ट्र के बीड, उत्तर प्रदेश के मेरठ विश्वविद्यालय, नोएडा के एक सेक्टर मे भी गार्वेज क्लीनिक के माॅडल लगाये गये और हजारों टन कचरे को न केवल लैन्ड फिल हो जाने से रोक दिया गया।

स्वच्छता मिशन से प्रभावित यह कदम दम्पति ने उठाया अम्बिकापुर ( छग ) की आदिवासी महिलाओं से मिलने के बाद।

एक जमाने मे अम्बिकापुर ( छग ) की कलेक्टर रही रितु सेन ने आदिवासी महिलाआओं को संगठित कर उन्हें समाज की मुख्य धारा मे लाकर स्वच्छता मिशन, शहरी आजीविका मिशन का एक अनुकरणीय उदाहरण देश के लिए प्रस्तुत किया।

अम्बिकापुर निवासी प्रगति तिवारी ने शादी के बाद अपने पति के साथ मे लंम्बे समय तक इस माॅडल के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कर तकनीकी समावेश कर गाँवों, कस्बों , शहरों , महानगरों हेतु इसे तैयार किया।

दम्पति देश के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को, कचरा बीनने वाली महिलाओं को, किसानों को, शहर के भिखारियों को शहरी आजीविका मिशन से जोड़ कर स्वच्छता मिशन हेतु अपनी हरित सेना का अभिन्न अंग बनाकर शहर के लिये उपयोगी बना रहे है। इस कार्यक्रम के माध्यम से रोजगार के नए अवसर, स्वच्छता मिशन की नई परिभाषा , पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है।

खास बात यह है कि डिजिटल इन्डिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, ओर्गानिक खेती का इस माॅडल मे समायोजन किया है। कचड़ा प्रबंन्धन मे नायक और उनकी टीम नगर निगम, नगर पालिकाओं के माध्ययम से कचरे का सम्पूर्ण निस्तारण कर इसे कुटीर उधोग के रूप मे स्थापित भी करवा रही है।

स्मार्ट वार्ड से स्मार्ट सिटी, कचरे से सोना महिला सशक्तीकरण को प्रवीण नायक ने प्रार्थमिकता देकर एक लम्बा रास्ता तय करने का संकल्प लिया है।

एक छोटे से गाँव से निकले प्रवीण नायक और उनकी टीम की सेवाएँ अब देश की बडी नगर निगम, नगरपालिये भी ले रही है। उनका कहना है कि कचरे का निस्तारण तभी संम्भव है जब कचरे को, कचरे वाले को इज़्ज़त दें और समझे कि कचरा भी उपयोगी है।

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