दिल्ली : जेएनयू में सैकड़ों छात्र और शिक्षक हुए कोरोना संक्रमित , वीसी से इस्तीफे की मांग

Ten News Network

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नई दिल्ली :– दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में छात्र व कुछ शिक्षक कोरोना पॉजिटिव हुए हैं।।जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिएशन (जुनटा) ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग की है कि विश्वविद्यालय के गेस्टहाउस को तुरंत आइसोलेशन सेंटर में तब्दील किया जाए।

 

टीचर्स एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि कोरोना की रोकथाम व उपचार के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए, इसलिए विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति को अपने पद से तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।

 

गौरतलब है कि जेएनयू में अभी तक 280 से अधिक छात्र व अध्यापक शिक्षक कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। जुनटा की सचिव मौसमी बसु ने टेन न्यूज़ को बताया विश्वविद्यालय प्रशासन को कोविड सुविधाओं के संबंध में दो प्रपोजल दिए गए. यह प्रपोजल कुलपति एम. जगदीश कुमार के पास मौजूद हैं, लेकिन उन्होंने इन पर अभी तक अपनी सहमति नहीं दी।

 

कोरोना के दौरान भी विश्वविद्यालय में अपने प्रोजेक्ट पर काम कर रहे छात्रों ने जुनटा की सहमति से विश्वविद्यालय में व्यापक कोविड केयर प्लान बनाने की अपील की थी. इसके तहत विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस को आइसोलेशन सेंटर में तब्दील करने की मांग की गई थी, लेकिन विश्वविद्यालय के पॉजिटिव हुए छात्रों को सुल्तानपुरी स्थित एक आइसोलेशन सेंटर में रखा गया है।

 

मौसमी बसु ने कहा कि एक लिखित शिकायत में कहा कि सुल्तानपुर स्थित आइसोलेशन सेंटर से छात्रों ने तस्वीरें और वीडियो भेजे हैं, जिन्हें देखकर पता लगता है कि इस आइसोलेशन सेंटर में टॉयलेट बेहद गंदे हैं. खुले में कूड़ा पड़ा हुआ है. बिस्तर व बेडशीट गंदी होने के बावजूद बदली नहीं गए. आइसोलेशन सेंटर में गंदगी व असुरक्षित माहौल है. इतना ही नहीं शिक्षकों ने अपने घर से खाने के पैकेट, ड्राई फ्रूट, फल व दूध इन कोरोना पॉजिटिव छात्रों के लिए भिजवाए।

 

शिक्षक संघ ने जानकारी देते हुए बताया कि विदेश स्थित एक विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को 10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर देने के लिए तैयार था, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर भी कोई निर्णय नहीं लिया. विश्वविद्यालय के भीतर कोई कोरोना फैसिलिटी सेंटर भी तैयार नहीं किया गया. बार-बार कहने के बावजूद छात्रों व स्टाफ की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया गया. शिक्षक चाहते हैं कि ऐसी स्थिति में अब कार्यकारी वाइस चांसलर को तुरंत अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।

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