मेवाड़ लाॅ इंस्टीट्यूट का अतिथि व्याख्यान आयोजित.

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भले ही एक व्यक्ति निर्दोष साबित होने के बाद जमानत पर रिहा हो जाए लेकिन जेल में बंद रहने के कारण उसके सम्मान को ठेस लगती ही है। वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष सी. गुलाटी ने मेवाड़ लाॅ इंस्टीट्यूट की ओर से विवेकानंद सभागार में आयोजित अतिथि व्याख्यान में यह बात कही। वह ’कारागार अपवाद है और जमानत नियम’ विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कानून की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को विषय से जुड़ी बातें उन्होंने बड़े विस्तार से उदाहरण सहित बताईं।
उन्होंने कहा कि कलमाड़ी, आसाराम, सुब्रत राय सहारा पर अपराध सिद्ध नहीं हुआ है, फिर भी वे जेल में बंद हैं। इससे उनकी छवि व प्राधिकारों का हनन हुआ है। उन्होंने कहा कि जमानत व कारागार ये ऐसे दूषित शब्द हैं, जिनसे मनुष्य की गरिमा को ठेस पहुंचती ही है। इसलिए कानून में इसके बदलाव की संभावना पर विचार होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि बिना ठोस कारण के किसी की भी गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए। वैसे सुप्रीम कोर्ट ने जो नियम बना रखे हैं, उसका सम्मान भी होना चाहिए। अतिथि व्याख्यान में लाॅ इंस्टीट्यूट के फैकल्टी सदस्य व विद्यार्थी मौजूद रहे।

 

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