मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल को राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त – सरकार द्वारा लिया कदम सम्वैधानिक और औचित्यपूर्ण है.

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मिजोरम की राज्यपाल कमला बेनीवाल को राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त कर दिया गया है,इस पर काँग्रेस और कुछ विरोधी दलों के नेताओ द्वारा आपत्ति की गई है.काँग्रेस की आपत्ति तो समझ में आती है, पर अन्य विरोधी दलों का इस सम्बन्ध में विरोध किया जाना औचित्यपूर्ण नहीं है.बेनीवाल के विरुद्ध अनेक गंभीर आरोप हैं, जिनका संज्ञान लेने के बाद ही राष्ट्रपति द्वारा अपनी सहमति दी गयी है .बेनीवाल को एक महीना पहले मिजोरम स्थानांतरित किया गया था,तबसे उन्होंने केवल एक दिन ही मिजोरम में बिताया है और बाकी समय वे अपने गृह राज्य राजस्थान में रही है.उन पर जन्ता के पैसे से निजी यात्रायें करने का गंभीर आरोप है.२०११ से २०१`४ के मध्य उन्होने ६३ बार सरकारी विमान से यात्राएं की हैं ,जिनमें से ५३ बार वें जयपुर गयीं हैं.क्या इस बात कोई स्पष्टीकरण देना संभव है कि गुजरात का राज्यपाल जयपुर बार बार क्यों जाता था?उन पर यह भी आरोप है कि गुजरात विधान सभा द्वारा पारित महत्वपूर्ण बिल को लंबे समय तक लटका कर उन्होंने राज्य को लभगग १२०० करोड रुपये की क्षति पहुचाई,उन पर जयपुर के सहकारी समिति आवास मामले में झूठा शपथ पत्र देने का भी आरोप है?सार्वजनिक जीवन में स्वच्छता के हिमायती किसी भी राजनीतिक दल या व्यक्ति को क्या किसी ऐसे राज्यपाल का समर्थन करना चाहिए? सरकार द्वारा लिया कदम सम्वैधानिक और औचित्यपूर्ण है.

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