छोटी औद्योगिक इकाइयों का उभरना बड़ा मुश्किल, एमएनसी पर नहीं पड़ेगा अधिक प्रभाव : आदित्य घिल्डियाल
Abhishek Sharma
अभी देशभर में 1.28 करोड़ छोटे उद्योग अभी काम कर रहे हैं और मौजूदा समय में 35 करोड़ लोगों को इन छोटे उद्योगों में काम मिला हुआ है। कोरोना की मार सबसे ज्यादा इनपर पड़ने वाली है। मौजूदा दौर में कारोबारी दोहरी मार झेल रहे हैं। एक तो लॉकडाउन से नया काम पूरी तरह ठप है वहीं दूसरी तरफ पड़े हुए सामान की डिलिवरी में भी भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इससे कंपनियों की हालात तेजी से खराब होनी शुरू हो गई है।
गौतम बुद्ध नगर में भी इसका औद्योगिक इकाइयों पर काफी प्रभाव पड़ रहा है। सामान की डिलिवरी में आ रही मुश्किलों और सरकारी और निजी कंपनियों की तरफ से पेमेंट न मिलने जैसी मुश्किलों के चलते देश की छोटी कंपनियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है।
आज इसी मुद्दे को लेकर टेन न्यूज़ ने एसोसिएशन ऑफ ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष आदित्य घिल्डियाल से खास बातचीत की और जाना कि लॉक डाउन में औद्योगिक इकाइयां लगभग बंद होने की कगार पर हैं, लॉक डाउन के बाद यह इकाइयां किस तरह से अपना अस्तित्व बचा सकती हैं।
आदित्य घिल्डियाल ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि इंडस्ट्रीज घुटने पर आ गई हैं और इससे बड़ी बात तो यह है कि अभी खबरें आ रही हैं कि लॉक डाउन और भी बढ़ेगा। औद्योगिक इकाइयां बिल्कुल डूबने की कगार पर हैं। मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है कि एक तरफ तो उत्तर प्रदेश सरकार धीरे-धीरे औद्योगिक इकाइयों को खोलने की अनुमति दे रही है।
वहीं दूसरी ओर सरकार मजदूरों का पलायन करा रही है। जब वह मजदूर यहां पर रहेंगे ही नहीं तो कंपनी का संचालन कैसे शुरू हो सकेगा। क्योंकि अभी जिन लोगों को भेजा गया है, वे तुरंत ही लौट कर तो वापस नहीं आ सकते।
उन्होंने कहा कि मैने कुछ उद्यमियों से बात की है, जिन कंपनियों को सरकार ने खोलने की अनुमति दी है। उनके वेंडर्स सारे बंदे हैं। जब वेंडर बंद हैं तो इंडस्ट्री में उत्पादन कैसे होगा। एक और बड़ा सवाल यह है कि जो मजदूर अब चले गए या जाने वाले हैं वह बाद में कब और कैसे आ सकेंगे।जिस तरह के अभी हालात बने हुए हैं उसे देखते हुए तो ऐसा नहीं लगता कि यह वापस लौटेंगे। मजदूरों का भी फीडबैक लिया गया है। उनका कहना है कि वे यहां से अपने घर जाकर वापस मुश्किल ही लौटेंगे।
सरकार द्वारा औद्योगिक इकाइयों को खोलने की अनुमति देने पर क्या राय है?
उन्होंने कहा, यह प्रदेश सरकार की बहुत अच्छी पहल है।33 परसेंट कर्मचारियों को लाने की अनुमति दी है। स्थिति ऐसी है की उद्यमी सरकार की सभी मांगों को मानने के लिए तैयार है। मुझे लगता है कि किसी भी औद्योगिक इकाई के रनिंग स्टेज में आने में कम से कम 1 महीने से अधिक का समय लग जाएगा।
मुझे लगता है खासतौर पर जो बड़ी इंडस्ट्रीज और मल्टीनेशनल कंपनियां हैं, उनको जल्दी खोल देना चाहिए। यह कंपनियां दिशा निर्देशों के तहत सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए काम शुरू कर सकती हैं। जितनी सुविधाएं मल्टीनेशनल कंपनियां अपने कर्मचारियों को दे सकती हैं शायद ही वह सुविधा प्राइवेट कंपनी अपने कर्मचारियों को दे पाए।
आने वाले समय में लॉक डाउन का कंपनियों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है
जो छोटी कंपनियां हैं, उनकी स्थिति बदतर हो चुकी है। इसका एक कारण यह है कि यह बंद हो चुकी हैं, उनके पास पैसा नहीं है, सरकार ने 2 महीने की फ्री में मजदूरों को सैलरी दिला दी है। उनकी जमा पूंजी चली गई है,धंधा हो नहीं रहा है, ना तो कंपनियां उत्पादन कर पा रही हैं और ना स्टॉक को बेच सकते हैं, क्योंकि इस समय खरीदार नहीं है। इस महामारी से छोटी औद्योगिक इकाइयां बंद होने की कगार पर हैं। वही बड़ी कंपनियों की बात करें तो उन पर इसका खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। अगर लॉक डाउन आगे दो-तीन महीने तक के लिए भी बढ़ाया जाता है तो भी वह इसे झेल सकते हैं।
कोरोना वायरस का औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले कर्मचारियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा
लॉक डाउन होते ही सारी कंपनियां बंद हो गई थी, जिसके चलते कर्मचारी खुद-ब-खुद पलायन कर चुके हैं। उन्हें नौकरी से निकालने की तो जरूरत ही नहीं पड़ेगी।आने वाले समय में सभी औद्योगिक इकाइयों के लिए कर्मचारियों की कमी बड़ी समस्या बनने जा रही है।
लाॅकडाउन में गौतम बुद्ध नगर पुलिस के कार्य को किस तरह से देखते हैं?
देखिए पुलिस का अपना एक अलग रोल है, वे हर जगह तैनात रहते हैं। चाहे वह हॉस्पिटल है, सोसाइटी है या अन्य कोई भी स्थान है, हर जगह इनकी ड्यूटी लगी हुई है और तो और कोरोनावायरस के दौर में पुलिसकर्मी ही लोगों का टेंपरेचर चेक कर रहे हैं। मेरा मानना है कि यह लोग कोरोना वायरस के सबसे अधिक नजदीक हैं। हालांकि सरकार ने सभी कोरोना वॉरियर्स के लिए काफी अच्छी व्यवस्था कर रखी है। उनको मास्क, हैंड ग्लव्स, सैनिटाइजर दिए गए हैं। सभी पुलिस के जवानों को जनता के साथ-साथ अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा।
गौतम बुद्ध नगर के विधायकों द्वारा लॉकडाउन में किए कार्यों पर क्या राय है?
कोरोना वायरस जैसी महामारी में नोएडा, दादरी व जेवर विधायक का रोल काफी सराहनीय रहा है। सबने अपने-अपने क्षेत्र में बहुत काम किया और यह पहली बार मैंने देखा है कि आधिकारिक तौर पर घोषणा हुई हैं कि सभी विधायकों ने विधायक निधि लोगों की सेवा में दान दी है। वहीं दूसरी और ग्रामीण क्षेत्रों में काफी दिक्कतें आ रही थी, उनको तीनों विधायकों ने बहुत अच्छे से हल किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कम जागरूक होते हैं, जिसके लिए तीनों विधायकों ने लोगों को इस महामारी के प्रकोप के बारे में जागरूक किया और इससे कैसे बचा जा सकता है, यह लोगों को समझाया।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को समझाने के लिए प्रदेश सरकार ने इनका बहुत अच्छा इस्तेमाल किया है, सभी विधायक गरीब मजदूरों को प्रतिदिन खाना मुहैया करा रहे हैं। उनकी समस्याओं को हल कर रहे हैं। तो इससे अच्छी बात ही क्या होगी। जिले के तीनों विधायकों की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है।
सांसद डॉ महेश शर्मा के कार्य को किस तरह से देखते हैं
देखिए इस महामारी में सांसद डॉ महेश शर्मा ने अपना बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके उनके पास लोगों की समस्याओं का अंबार है। वह लगातार उनका समाधान कर रहे हैं, चाहे वो उद्यमियों की समस्या हो या कोरोना मरीजों की। गांव वालों से संपर्क कर रहे हैं, शहरी क्षेत्र में भी लगातार लोगों के संपर्क में हैं। सांसद और उनकी टीम लोगों की सहायता के लिए इस समय में 24 घंटे तत्पर है। हम उनके कार्य से शत प्रतिशत संतुष्ट हैं।
जिला प्रशासन के कार्य पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है
देखिए इस वक्त जिला प्रशासन और पुलिस का सबसे अधिक महत्वपूर्ण रोल है। जहां पर भी कोरोना से संक्रमित लोग मिल रहे हैं, उस जगह को चिन्हित कर हॉटस्पॉट क्षत्र में शामिल किया जा रहा है, सैनिटाइज कराया जा रहा है। जिस तरह से जिला प्रशासन की टीम कार्य कर रही है, वह बेहद सराहनीय हैं।
खुद एसडीएम मौके पर जाकर हॉटस्पॉट क्षेत्रों का जायजा ले रहे हैं, वहां की परेशानियां समझ रहे हैं। जिला प्रशासन अब तक लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरा हैं।
समाजसेवियों ने इस महामारी में काफी योगदान दिया है , उस पर क्या कहना चाहेंगे?
गौतम बुद्ध नगर में जब कोरोना वायरस ने पैर पसारे तो उससे पहले तक कुछ ही गिने-चुने एनजीओ थे, जिनका नाम लोगों ने सुना था। लेकिन जब से यह वायरस आया है , तब से हजारों एनजीओ एक्टिव हो गए हैं और अपने अपने क्षेत्र में बहुत ही जबरदस्त कार्य कर रहे हैं। यह पहली बार देखने को मिला। हम लोगों को यह भी नहीं पता था कि जिले में इतनी बड़ी संख्या में एनजीओ हैं। यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि एनजीओ इस महामारी में आगे आए , लोग तन मन धन से कार्य कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी एनजीओ लोगों की हर संभव मदद कर रहे हैं। वही ग्रामीण क्षेत्रों में भी बहुत सारे एनजीओ हैं , जो लॉक डाउन में उभर कर सामने आए हैं और सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने कहा मेरा मानना है कि जब यह लोग टाउन और कोरोना वायरस महामारी खत्म हो जाएगी तो सभी एनजीओ को उनके सराहनीय कार्य के लिए सम्मानित किया जाना चाहिए, जिससे उनका मनोबल बढ़ सके।
कोरोना महामारी में लोगों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
कोरोना वायरस के चलते हम वही सब दोहराना चाहेंगे कि सुरक्षित रहे हैं, घर पर रहे। जब तक यह वायरस कम या खत्म ना हो जाए, तब तक सावधानी बरतनी हैं और तो और उसके बाद भी लोगों को सचेत रहना पड़ेगा। सबसे अच्छी बात यह है कि सरकार और जिला प्रशासन लोगों की जरूरत की सभी वस्तुएं घर पर पहुंचाने के लिए तैयार हैं, चाहे वह राशन हो या कुछ और सुविधा हो। जब आपको सारी सुविधाएं मिल रही हैं तो आप लोग घर पर रहें सुरक्षित रहें।