उत्तर रेलवे ट्रेनिंग सेन्टर में पांच दिवसीय योग षिविर गाजियाबाद

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उत्तर रेलवे ट्रेनिंग सेन्टर में पांच दिवसीय योग षिविर गाजियाबाद

मार्च, सत्ययोग आश्रम ट्रस्ट गाजियाबाद द्वारा आयोजित पंच दिवसीय योग षिविर के चतुर्थ दिवस योग मालिष विधि में योगी महेन्द्र गोयल ने कहा कि कटोरी थपकी, खडी थपकी, मुक्का थपकी, हल्के हाथ की मालिष से मुख की समस्त इन्द्रियां सषक्त होती हैं व चेहरा चमकदार होता है व लम्बे समय तक झुर्रियां नहीं पडती। श्री गोयल ने पुनः कहा कि रक्त की गति सामान्य करने में नाडियों की मदद करना ही मालिष है। जब षरीर थक जाता है तो रक्त को षुद्ध करने वाली नाडियों का काम मन्द हो जाता है । जब स्वाभाविक गति में अन्तर पड जाता है तो रक्त वाहिनि नाडियां षिथिल हो जाती हैं। मालिष विधि द्वारा ब्लड की गति को तीव्र किया जाता है। जिससे रक्त सामान्य गति से संचालित हो सके। मालिष द्वारा षरीर को स्वस्थ बनाने में सहायता मिलती है। प्रतिदिन मालिष थकान को दूर कर व्यक्ति को सहनषील और सूदृढ. बनाती है। मालिष व्यक्ति को सुन्दर, सुडोल, स्फूर्ति एवं दीर्घायू बनाती है। मालिष दूसरे के हाथ से ही अच्छा होता है। मालिष बरने वाला व्यक्ति ऐसा हो जो मालिष कराने वाले के प्रति मंगलकारी एवं षुभ भावनाओं वाला हो। हाई-ब्लड प्रेषर में मालिष सर से पैर तक करनी चाहिये तथा लो-ब्लड प्रेषर में मालिष पैर से उपर की तरफ हल्के हाथों से करनी ट्रस्ट द्वारा विषेश आमंत्रित श्री अनुपम गोयल ‘समाजसेवी‘ ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन योगाभ्यास के साथ-साथ मालिष कराते रहने से बुढापा जल्दी नही आता   एवं त्वचा खिली-खिली रहती है। उन्होंने भारतीय प्राचीन योगाभ्यास एवं मालिष परमपरा को जीवंत बनाकर स्वास्थ लाभ की प्रेरणा दी।

स्मयोगा फाॅउन्डेषन के कोशाध्यक्ष योगी प्रवीण आर्य ने ‘‘ ओ3्म् का सिमरण किया करो, प्रभु के सहारे जिया करो, जो दुनिया का मालिक है, नाम उसी का लिया करो‘‘ नामक गीत से वातावरण को मधुर बना दिया। कार्यक्रम का कुषल संचालन डाॅ अग्निदेव षास्त्री योग प्रषिक्षक ने किया एवं व्यवस्था श्री एस0के0 भारद्वाज वार्डन ने की। अंत में ई0 भुपेन्द्र कुमार ने सभी आगन्तुकों का धन्यवाद किया और कहा कि कल पंच दिवसीय योग षिविर का समापन समारोह संकेत एवं दूर संचार प्रषिक्षण केन्द्र, उत्तर रेलवे, गाजियाबाद में होगा। इस अवसर पर योगी अषील कुमार, योगी जे0पी0 श्रीवास्तव, योगी प्रकाष मेहता, योगी गणेष प्रसाद आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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