नई शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत का आधार साबित होगी: डॉ रमेश पोखरियाल निशंक

भारत के शिक्षा मंत्रालय एवं एसोचैम शिक्षा परिषद द्वारा संयुक्त रुप से नई शिक्षा नीति के आने के बाद भारतीय शिक्षा के सुनहरे भविष्य पर आयोजित वेबीनार में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए भारत के शिक्षा मंत्री माननीय डॉ रमेश पोखरियाल निशंक जी ने कहा कि  नई शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य अच्छे इंसानों को विकसित करना है न कि मशीनों को विकसित करना । यह एक राष्ट्रीय  केंद्रित नीति है । जो मानवीय मूल्यों से भरी है इस शिक्षा नीति में नवाचार, ज्ञान, अनुसंधान, और प्रौद्योगिकी को  तवज्जो दी गई है।

डॉ निशंक जी ने कहा कि शायद यह दुनिया की पहली ऐसी नीति है ।  जिसमें 33  करोड़ छात्रों और उनके माता-पिता, राजनेताओं, राज्य सरकारों और उनके शिक्षा मंत्रियों के साथ,1000 से अधिक विश्वविद्यालयों, 45000 डिग्री कॉलेज, 15 लाख स्कूलों, 1 लाख शिक्षकों और शिक्षाविदों के साथ परामर्श कर  2.25 लाख  सुझाव को ध्यान में रखकर इस नई शिक्षा नीति को लेकर आएं जिसे पूरे देश ने ईमानदारी और खुशी से स्वीकार किया है।

उन्होंने यह भी बताया कि आज लगभग 8 से 10 देशों ने अपने शिक्षा मंत्रियों के साथ हम से संपर्क किया है जो भारत की नई शिक्षा नीति को अपने देशों में लागू करने की इच्छा दिखा रहे हैं|

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का किसी भी राज्य पर कोई भाषा लागू करने का इरादा नहीं है। “हम 22 भारतीय भाषाओं को मजबूत करने के पक्ष में हैं और हम इन सभी भाषाओं को बढ़ावा देना चाहते हैं, किंतु लोगों को यह समझने की आवश्यकता है कि अंग्रेजी एक भारतीय भाषा नहीं है । और मैं उन लोगों को बताना चाहता हूं जो तर्क देते हैं कि अगर हम अंग्रेजी नहीं सीखते हैं तो हम वैश्विक स्तर पर प्रगति नहीं कर सकते हैं । हमें जापान, रूस जैसे देशों को देखने की जरूरत है। , इजरायल, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका कि सभी अपनी भाषा में शिक्षा प्रदान करते हैं।”

 एसोचैम शिक्षा परिषद के  सह- अध्यक्ष  एवं शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र जी ने माननीय शिक्षा मंत्री जी के उद्बोधन की सराहना करते हुए मंत्री जी द्वारा लिखित कविता की कुछ पंक्तियां को पढ़ते हुए  माननीय शिक्षा मंत्री जी को आश्वस्त किया कि, हम सब एक हैं और  नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए आपके साथ खड़े हुए हैं । उन्होंने कहा कि आपने केवल नई शिक्षा नीति नहीं दी है  बल्कि देश को नई दिशा  दिखाते हुए नई शिक्षा नीति के  क्रियान्वयन के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया  है ।

 नवाचार, ज्ञान, विज्ञान, अनुसंधान किसी भी राष्ट्र के निर्माण के महत्वपूर्ण अंग है । उन्होंने  कहा कि भारत को विश्व गुरु का खिताब दिलाने में नई शिक्षा नीति एक महत्वपूर्ण योगदान देने वाली होगी । उन्होंने कहा कि भारत के 1000 से अधिक  विश्वविद्यालयों के पास वह क्षमता है । जिससे वह अपने संस्थानों को तक्षशिला, नालंदा जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय के पूर्व गौरव को फिर से हासिल कर सकेंगे ।

 इसके अलावा वेबीनार में एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल दीपक सूद, एसोचैम शिक्षा परिषद के प्रेसिडेंट डॉ  प्रशांत भल्ला, अशोका विश्वविद्यालय के ट्रस्टी विनीत गुप्ता, एकेस यूनिवर्सिटी के चेयरमैन अनंत कुमार सोनी,  फिलिपलन  एजुकेशन एमडी दिव्या लाल, सूर्यदत्ता एजुकेशन फाउंडेशन के चेयरमैन प्रो डॉ संजय चोरदिया एवं सीनियर निदेशक एसोचैम शिक्षा परिषद नीरज अरोरा द्वारा नई शिक्षा नीति पर विचार रखे गए।

कार्यक्रम को विश्व विद्यालय के समस्त शिक्षकों एवं छात्रों द्वारा फेसबुक, यूट्यूब के माध्यम से लाइव देखा गया।


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