सरकारी स्कूल शिक्षक एसोसिएशन का केजरीवाल पर आरोप , दिल्ली के 1024 सरकारी स्कूलों में नहीं योग टीचर
Rohit Sharma
नई दिल्ली :– देश में 21 जून को छठा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है | आपको बता दे कि योग को अंतराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में भारत ने बड़ी भूमिका निभाई है। साल 2014 में पीएम मोदी ने खुद संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव रखा था। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र के देशों ने यह प्रस्ताव को स्वीकार किया और तब से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
योग दिवस भारत में हर साल बड़े स्तर पर मनाया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण कोई खास तैयारी नहीं की जा रही है। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर पीएम मोदी जीवन में योग के महत्व पर चर्चा करेंगे।
वही सरकारी स्कूल शिक्षक एसोसिएशन के महासचिव अजयवीर यादव ने कहा हमारा देश छठा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने जा रहा है , लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है की हमारे देश की राजधानी दिल्ली में योग टीचर ज्यादा संख्या में नही है |
उन्होंने कहा कि दिल्ली में 1024 सरकारी स्कूल है , जिनमे 100 के करीब योग टीचर है , जिससे साफ हो जाता है की दिल्ली सरकार योगा को लेकर कितनी चिंतित है | साथ ही उन्होंने कहा की जो 100 योगा टीचर है वो भी एक साल के बाद रिटायर्ड हो जाएंगे |
महासचिव अजयवीर यादव ने कहा की दिल्ली सरकारी स्कूलों में 30 सालों से योग टीचर की भर्ती नहीं हुई है , जिसके बारे में केंद्र और राज्य सरकार को भी पता है , फिर भी इस महत्वपूर्ण विषय पर ध्यान नहीं दिया |
अजयवीर यादव ने कहा की सरकारी स्कूल शिक्षक एसोसिएशन ने 6 सालों से केंद्र और दिल्ली सरकार से माँग कर रही है की दिल्ली के सरकारी स्कूलों में योग टीचरों की भर्ती करें , जिससे बच्चों को हमारी देश की संस्कृति से अवगत हो सके | साथ ही उन्होंने कहा की दिल्ली सरकार सिर्फ हैप्पीनेस क्लासेज चला रही है , लेकिन योग पर ध्यान नहीं दे रही है , जिसके कारण हमारे छात्र देश के संस्कार भूलते जा रहे है |
सरकारी स्कूल शिक्षक एसोसिएशन के महासचिव अजयवीर यादव ने कहा कि आजकल की जीवनशैली को देखते हुए योगा करना न सिर्फ बड़ों बल्कि, बच्चों के लिए काफी फायदेमंद है। यह आपके मानसिक व शारीरिक विकास दोनों में अहम भूमिका निभाता है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है, जो बच्चों को कई तरह की बीमारियों से भी बचाता है।
हालिया रिसर्च के मुताबिक बदलती जीवनशैली के चलते आज स्कूल जाते छोटे बच्चे भी तनाव का शिकार हो रहे हैं। उनमें डिप्रेशन जैसे गंभीर मानसिक बीमारी के लक्षण देखने के लिए मिलते हैं। मगर योगा के जरिए बच्चों को कम उम्र से इस समस्या से लड़ने के लिए तैयार किया जा सकता है।
अजयवीर यादव ने कहा कि इससे बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है और पैरंट्स के साथ करने से वह उनके और करीब आ पाते हैं। अपनी फीलिंग्स खुलकर आसानी से शेयर कर पाते हैं। योग से बच्चे सेल्फ अक्सेप्टेंस सीखते हैं जो उनके आगे काफी काम आता है। उन्हें अपने शरीर की कमियों और शक्तियों की पहचान होती है, जिससे वह जैसे हैं उसे स्वीकार करने में आसानी होती है। यह टीनेज और उसके बाद भी उनके लिए फायदेमंद साबित होती है।
योगा बच्चों को काफी कम उम्र से ही ऐक्टिव बनाने के साथ ही हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सीख देता है। आज के डिजिटल युग में बच्चों का ध्यान भटकाने के लिए कई गैजट्स मौजूद हैं मगर योग की मदद से वह किसी काम पर फोकस करना सीखते हैं। प्राणायम के जरिए वह अपनी बॉडी को बारीकी से समझना शुरू करते हैं, जिससे उनकी एकाग्रता बढ़ती है। इसके साथ ही छोटी-छोटी चीजों को लेकर रोना और चिड़चिड़ेपन में भी कम आती है।
योग करने से बच्चों का जीने का नजरिया ही बदल जाता है जिससे उनमें आत्मविश्वास और जवाबदेही की समझ बढ़ती है। इसके लिए जानकारों की मानें तो 7-8 साल की उम्र से ही बच्चों को योग कराने की शुरुआत की जा सकती है। उत्तानसन, बुधकोनासन, भुजंगासन, ताड़ासन से योग अभ्यास शुरू किया जा सकता है। इनसे बच्चों के मसल्स मजबूत होते हैं, तनाव दूर होता है और बॉडी बैलेंस करना बच्चे आसानी से सीख पाते हैं। मगर इस बात का खास ध्यान रखें कि बच्चे कभी भी अकेले में योग न करें। उनके साथ कोई योग टीचर व आप साथ में जरूर होने चाहिए।