नोएडा : कमिश्नर सिस्टम लागू होने के बाद पैदा हुई आवास की समस्या , प्राधिकरण की चिंता बढ़ी
ROHIT SHARMA
जिले में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद 10 आईपीएस की तैनाती होने जा रही है। इन्हें आवास कहां दिए जाएंगे, इसे लेकर नोएडा अथॉरिटी की चिंता बढ़ गई है। जो बड़े बंगले हैं, उनमें पहले से ही यहां तैनात सीनियर अधिकारी रह रहे हैं।
बताया जा रहा है कि पुलिस कमिश्नर को फिलहाल एसएसपी आवास वाले बंगले में शिफ्ट किया जा सकता है। इसके अलावा डीआईजी स्तर के 2 आईपीएस व अन्य अफसरों के लिए आवास की व्यवस्था कैसे होगी, इस पर अथॉरिटी के अधिकारी कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। ऐसे में आने वाले समय में आवास को लेकर पेच फंस सकता है।
दरअसल, नोएडा अथॉरिटी के पास टाइप-5 कैटिगरी के केवल 10 बंगले हैं। पॉलिसी के अनुसार इनमें से 3 रिजर्व हैं। जिनमें से सेक्टर-14ए स्थित एक बंगले में अथॉरिटी के चेयरमैन, दूसरे में सीईओ और तीसरे में एसीईओ रह सकते हैं।
इसके अलावा बाकी 2 बंगलों में एसएसपी आवास और सेक्टर-27 स्थित डीएम आवास है। बचे हुए 5 बंगलों में से एक में जिला जज रहते हैं। अन्य 4 में भी सीनियर अधिकारी रह रहे हैं। इसके बाद टाइप-4 कैटिगरी के 58 आवास हैं। इनमें अथॉरिटी के जीएम स्तर के अधिकारियों से लेकर ओएसडी स्तर तक के अन्य विभागों को सीनियर अधिकारी रह रहे हैं।
हालांकि इनमें कई आवास ऐसे भी हैं, जिनमें ऐसे अधिकारियों की फैमिली रह रही है जो कि इस समय जिले में तैनात नहीं है। ये लोग इन आवासों में रह रहे हैं और निर्धारित सरकारी किराया भी दे रहे हैं। इन 58 में भी एक भी आवास खाली नहीं है, जिसमें किसी पुलिस अधिकारी को शिफ्ट किया जा सके।
एसएसपी आवास अभी खाली है, जिसमें पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह फिलहाल शिफ्ट हो सकते हैं। नोएडा में 10 आईपीएस की तैनाती हुई है, इनमें डीआईजी स्तर के आईपीएस भी हैं। इन 9 आईपीएस के लिए बंगले व सरकारी आवास कैसे उपलब्ध कराए जाएंगे, फिलहाल अथॉरिटी इस सवाल पर चुप है। या तो इनमें से कुछ अधिकारियों को ग्रेटर नोएडा स्थित एक-दो बड़े आवास मिल सकते हैं या फिर किसी सेक्टर में ही किराए पर व्यवस्था करनी होगी।
टाइप-3 से लेकर टाइप-1 स्तर के करीब 700 सरकारी आवास अथॉरिटी की लिस्ट में हैं। इनमें करीब 25 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनमें बाहरी लोगों ने कब्जा कर रखा है। टाइप-3 के कुल 100 आवास हैं। जिनमें 25 से ज्यादा ऐसे लोगों का कब्जा है जो कि जिले में तैनात ही नहीं है। हालांकि अथॉरिटी का कोई भी अधिकारी इस बारे में कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
जानकारी के मुताबिक, अगर इनसे आवास खाली कराने का प्रयास किया जाता है तो सिफारिशों का इतना ज्यादा दबाव आ जाता है कि अथॉरिटी अफसरों के लिए इन आवासों को खाली कराना मुश्किल हो जाता है।