कोरोना महामारी में सामाजिक सचेतकों की मदद , सुझाव और सहयोग से ही सरकार जीतेगी कोरोना विरुद्ध लड़ाई

Ten News Network

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नोएडा :– देश में कोरोना का कहर जारी है , रोजाना 4 लाख के करीब लोग संक्रमित हो रहे है , साथ ही योजना क़रीब 4000 लोगों की मौत कोरोना वायरस हो रही है | वही मौतों की संख्या में हुए इजाफा को लेकर अब लोगों में आक्रोश है , सभी लोग अपनी अपनी राय दे रहे है , साथ ही सरकार , प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कमियों को उजागर कर रहे है | देखा जा रहा है की ऑक्सीजन और बेड की किल्लत को लेकर लोग प्रशासन और सरकार को दोषी ठहरा रहे है |

 

इंडियन एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन के सदस्य विशाल गोयल ने कहा की इस महामारी से तभी लड़ा जा सकता है , जब सबकी नियत और सोच, अगर सही दिशा में काम करने को तैयार हो | उन्होंने कहा की आम भारतीय नागरिक की सोच के हिसाब से आज की परिस्थिति का आकलन करने की कोशिश की है । हर जना अपनी सोच, सामर्थ्य और नियत के हिसाब से आज की परिस्थिति में कुछ करने की कोशिश कर रहा है। मगर क्या आज की परिस्थिति, ऐसी है जिससे हमें इतनी परेशानी होनी चाहिए थी। नियत और सोच, अगर सही दिशा में काम करने को तैयार है, तो आज ही शाम तक, सारी समस्या का हल हो जायेगा।

विशाल गोयल ने कहा इस वक़्त हम 3 समस्याओं से गंभीर रूप से गुजर रहे है।

1. ऑक्सीजन – क्या हम हर शहर के ऑक्सीजन प्लांट्स मे कमर्शियल और इंडस्ट्रियल सप्लाई बंद करके, सिर्फ मेडिकल इस्तेमाल के लिए नही कर सकते।

2 – कालाबाजारी – शहर के 100 लोग एक ग्रुप बना कर (जिसमे शहर के सामाजिक, रेजिडेंशियल, इंडस्ट्रियल संगठन के सदस्य हो) 3-3 लोगों की टीम बना ले, जिसमे प्रशासन का सहयोग हो, और वो लोग (मेडिकल शॉप्स, हॉस्पिटल, ऑक्सीजन प्लांट्स) में हर रोज़ जाए और यह सुनिश्चित करे, की कोई भी कालाबाजारी या किसी प्रशासनिक व राजनीतिक प्रेशर में गलत काम नहीं कर रहे।

3 – हॉस्पिटल में बेड की व्यवस्था – इसी टीम के सदस्य, हॉस्पिटल में जाए और यह सुनिश्चित करे, की कोई भी प्रशासनिक, राजनीतिक य पैसे के दबाव की वजह से बेड की अवैलाबिलिटी में कोई दिक्कत न आए ।

विशाल गोयल ने कहा कि 3 लोगों की 35 टीम – जब हर रोज़ शहर के हॉस्पिटल, मेडिकल शॉप्स और ऑक्सीजन प्लांट्स में जायेंगी, तो क्या सारी व्यवस्था एक ही दिन में सही नहीं हो जायेगी। पुलिस और प्रशासन, उन जगहों पर मदद करे, जहां पर शिकायत मिल रही हो, इस तरीके से, प्रशासन, पुलिस और समाज की भागीदारी के साथ, इस परिस्थिति से आराम से निकल सकते है। हमारे देश की स्थिति जितनी गंभीर है, उसका निदान भी उतना ही सरल है, क्योंकि जनसंख्या की वजह से बीमारी अगर ज्यादा है, तो वही हमारे असीमित संसाधन, इसमे हमारी मदद करेंगे, सिर्फ हमे नियत और सोच को ज़रा हटके इस्तेमाल करना है और फैसलों में देर नही करनी है।

 

वही इस ,मामले में टेन न्यूज़ ने गौतमबुद्ध नगर के तीनों डीसीपी को फ़ोन किया , लेकिन उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया | अगर इस विषय पर पुलिस प्रशासन की तरफ से जवाब आता है तो स्टोरी ऐड किया जाएगा |

 

वही इस मामले में उद्यमी यु के शर्माने कहा की विशाल गोयल के विचार व मनोभाव अति उत्तम है। परन्तु हमारा सहयोग लेना या न लेना प्रशासन के अधिकार क्षेत्र में आता है। क्या प्रशासन अपने अधिकार क्षेत्र में प्रवेश करने का अधिकार आम जन को देने के लिए सहमत होगा? हम दंतहीन/अधिकार हीन होकर हल्ला मचा सकते हैं क्या ये समाधान लाने में सहायक होगा? हम लोग निस्वार्थ भाव से समर्पित होकर प्रशासन को सहयोग कर सकते हैं ।

 

साथ ही उन्होंने कहा की अगर प्रशासन तैयार हो तो ? हम लोगों के बीच अच्छे प्रशासनिक व रणनीतिकअनुभव के लोगों का अच्छा समुह है उनके सहयोग से अवश्य प्रभावी कदम कार्यान्वित किया जा सकता है। परन्तु प्रशासन इसे अनुमोदित करे व उनके सुचना व सुझाव पर अधिकृत कदम उठाए |

 

गजानन माली ने कहा की यह एक अच्छा सुझाव है , उत्तर प्रदेश सरकार ने इस सम्बंध में दिशा निर्देश भी जारी किए है । ज़िले में 21 पुलिस स्टेशन है , उतनी कमेटी बन सकती है। ३ क्षेत्रीय पुलिस उपायुक्त इन कमेटियों की अध्यक्षता कर सकते है । सामाजिक सचेतक द्वारा दिए गए सुझाव , सहयोग और मदद से ही सरकार का ३ रा लेवल कोरोना को नियंत्रण में ला सकता है | महामारी में सामाजिक सचेतकों की मदद , सुझाव और सहयोग से ही कोरोना विरुद्ध लड़ाई सरकार जीतेगी|

 

डीडीआरडब्लूए के सचिव संजीव कुमार ने कहा की आज जिले समेत देश में जो भयानक स्थिति पैदा हुई है , उसके जिम्मेदार हम , ज़िला प्रशासन , केंद्र – राज्य सरकार है | अगर हम किसी गलत का विरोध नहीं करेंगे , तो सही काम कभी नहीं हो पाएगा | सरकार की लापरवाही की जवाब हमे देना चाहिए , जिससे आने वाली महामारी की अगली वेव्ज़ में यह गलती फिर से न हो सके | अगर नियत काम करने की हो तो सारे काम सफल होते है , इस बार बहुत ढिलाई देखी गई है | समाज को साथ लें कर ही ज़िला और पुलिस प्रशासन इस लड़ाई में कामयाब हो सकते है ।

हम चलेंगे साथ साथ
डाल हाथों में हाथ
हम होंगे कामयाब एक दिन

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