NOIDA POLICE PRESS RELEASE 28/01/14

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कम्पलिट मोबिलिटी प्लान के तहत जिले में बसों के संचालन को निजी हाथों में देने को लेकर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण और यूपी रोडवेज विभाग के बीच तना.तनी बढ़ती जा रही है। रोडवेज विभाग को प्राधिकरण ने एसपीवी में 10 फीसदी का भागीदार बनाया है। मगर अब रोडवेज विभाग इससे भी अलग होने का फैसला किया है। रोडवेज विभाग के अधिकारियों ने बैठक कर इस पर विचार किया है और अपनी बसों को अपनी मर्जी से चलाने का फैसला लिया है।
उल्लेखनीय है कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ग्रेटर नोएडा और नोएडा में बसों के संचालन की जिम्मेदारी कम्पलिट मोबिलिटी प्लान के तहत निजी हाथों में सौंपने जा रहा है। इसके लिए दिल्ली की दो कंपनियों से प्राधिकरण की बात चल रही है और बहुत जल्द उनमें से किसी एक से समझौता हो सकता है। इसमें रोडवेज विभाग की कोई भागीदारी नहीं होगी। जबकि कम्पलिट मोबिलिटी प्लान के तहत बनने वाली एसपीवी में रोडवेज विभाग को दस फीसदी की भागीदारी दी गई हैं। इस बात का खुलासा होने के बाद रोडवेज विभाग प्राधिकरण से अपनी दूरी बनानी शुरू कर दी है। रोडवेज विभाग को प्राधिकरण के फैसले पर काफी नाराजगी है और वह अब प्राधिकरण के किसी भी कंपनी के गठन में हिस्सेदारी नहीं लेना चाहता है। हालांकि प्राधिकरण का कहना है कि वह रोडवेज विभाग को पूरी तरह से अलग नहीं कर रहा है। मगर रोडवेज विभाग इससे इत्तेफाक नहीं रख रहा है। ग्रेटर नोएडा डिपो के एआरएम सतेन्द्र कुमार वर्मा का कहना है कि रोडवेज विभाग एसपीवी में दस फीसदी की भागीदारी भी नहीं लेना चाहता है। उन्होंने बताया कि विभागीय अधिकारियों की बैठक हुई थी। जिसमे विभाग अपनी बसों को अपनी मर्जी के रूटों पर चलाने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि सिटी में बसों को चलाने से विभाग को लगातार घाटा हो रहा है। जिसकी पूर्ति प्राधिकरण को करना होता हैए मगर विभाग का प्राधिकरण पर अभी नौ करोड़ रुपए बकाया है। जिसका भुगतान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण जैसे ही अपनी बसों को वापस लेगाए रोडवेज विभाग अपनी डीजल बसों को उतार देगा और लम्बी रूटों पर चलाएगा।

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