शिल्पोत्सव 2015 : वडाली बंधुओं ने बांधा समां

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यूँ तो पहले मेला केवल गांव या छोटे कस्बों में दिल बहलाने का एक साधन हुआ करता था, लेकिन आज बड़े शहरों में मेले का आयोजन होना इस बात का प्रमाण है की लोग आज भी देसी अंदाज़ में भारत की मिट्टी की खुशबु समेटे हुए मेले का आनंद उठाना चाहते हैं। यकिन ना हो तो आप नोएडा में चल रहे शिल्पोत्सव 2015 में आकर देख लीजिए। इस हस्तशिल्प मेले में विभिन्न प्रदेशों और देशों के करीब चार सौ हस्तशिल्पी अपने हुनर का प्रदर्शन कर रहे हैं।

शिल्पोत्सव 2015 में लोग न सिर्फ कला की बारीकियां शिल्पकारों से समझ रहे हैं बल्कि वह उनकी कलाकृतियों की खरीदारी भी कर रहे हैं। मेले में घूमने आये कनाडा के शिल्पकार कुलदीप सिंह चिकना मेले को देख कर काफी रोमांचित थे। श्री चिकना ने आयोजको को मुबारकबाद देते हुए कहा कि पूरे विश्व के शिल्प बाजार में भारत की हिस्सेदारी सिर्फ दो प्रतिशत की है। इसे बढ़ाने के लिए ऐसे महोत्सव का आयोजन स्वागतयोग्य है। ऐसे आयोजनों से न केवल शिल्पकारों को बाजार उपलब्ध हो जाता है बल्कि उन्हें अपना हुनर दिखाने का मौका भी मिलता है और भरण पोषण का का जरिया भी।

हैंडलूम से सजे स्टॉल, शिल्प की वस्तुएं, जूट और टेराकोटा से बनी सामग्री की खरीदारी लोग जमकर कर रहे हैं। रोज की तरह आज भी मेले में फूड स्टाल पर लोगों का तांता लगा रहा। पुरानी दिल्ली का जायका परोस रहे है “जाएका-ए-दिल्ली” अपनी उम्दा चिकेन बिरयानी, तवा चिकेन, चिकेन टिक्का और सीक कबाब से लोगों को पुरानी दिल्ली के जायका से रू-ब-रू करा रहा हैं।

शिल्पोत्सव 2015 में हस्तशिल्पी और हथकरघा कारीगरों के अलावा विविध अंचलों की वस्त्र परंपरा, कला,लोक व्यंजनों के अतिरिक्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी समागम हो रहा है। यहाँ दोपहर के बाद उमा पब्लिक स्कूल, संत किशोरी शरण विद्या मंदिर, राजकीय हाई स्कूल सलेमपुर आये छात्र कलाकार मंच पर नृत्य और संगीत प्रस्तुत कर वहां मौजूद लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। वहीं शाम के समय विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत पूर्णचंद वडाली भाईयों ने सूफियाना सुर छेड़ा तो हर कोई इस जादू में बंधा नजर आया। वक्त गुजरने के साथ-साथ यह महफिल और खूबसूरत होती चली गई। वडाली ब्रदर्स को सुनने आये एक श्रोता ने बताया कि पूर्नचन्द वडाली जैसा गायक अब कहां सुनने को मिलता है, जहां हम सुर और ताल की बात करते हैं लगता है वडाली तो जेसे सुरों से खेलते हैं।

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