P CHIDAMBARAM : 50 DAYS OF DEMONETISATION OVER , STILL ATMs AND BANKS WITNESSING LONG QUEUES

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श्री पी. चिदंबरम, भूतपूर्व वित्तमंत्री एवं वरिष्ठ प्रवक्ता, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने निम्नलिखित बयान जारी किया:-ंउचय अब से कुछ ही देर में नोटबंदी से हुई सारी परेशानियां खत्म हो जानी चाहिए। प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी ने 30 दिसंबर तक का समय मांगा था। प्रधानमंत्री जी ने अपनी 27 दिसंबर की रैली में कहा था, ‘‘नोटबंदी के द्वारा, हमने एक -हजयटके में आतंकवाद, ड्रग माफिया, मानव तस्करी और अंडरवल्र्ड की कमर तोड़ दी। लोगों की उम्मीदें देश के 125 करोड़ लोगों की यह उम्मीद जायज है कि आज का दिन पूरा होने के बाद ऊपर बताए गए सारे लक्ष्य पूरे हो जाएंगे। 8 नवंबर, 2016 को पैसे पर लगाए गए सारे प्रतिबंध सोमवार, 2 जनवरी, 2017 से हटा लिए जाएंगे और लोग अपने बैंक खातों से पैसा निकाल पाएंगे। यह उम्मीद भी जायज है कि सारे एटीएम पहले की तरह चैबीस घंटे काम करना शुरू कर देंगे और उनमें नोटों की कोई कमी नहीं रहेगी। लोगों को यह उम्मीद भी जायज है कि अब बैंक उन्हें चेक पर लिखा पैसा नकद में देना शुरु कर देंगे और उनसे कम पैसे के चेक लेकर आने की मांग नहीं करेंगे। काश मैं इन मामलों में देश को आश्वासन दिला पाता, लेकिन मैं ही नहीं, बल्कि पूरा विपक्ष मजबूर है क्योंकि सरकार ने पूरे विपक्ष पर काला धन रखने और टैक्स चोरी करने का ठप्पा लगा दिया है। आज इन मामलों में देश को केवल एक व्यक्ति ही आश्वासन दे सकता है और वो खुद प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी हैं। इसलिए मैं उनसे निवेदन करता हूं कि वो कल या किसी अन्य दिन देश को अपने संबोधन में यह घोषणा करें कि 8 नवंबर से पैसे पर लगाए गए सारे प्रतिबंध वापस ले लिए गए हैं। मैंने 9 नवंबर को मीडिया को अपने संबोधन में कहा था कि यदि नोटबंदी का लक्ष्य कालाधन बाहर निकालना और भ्रष्टाचार खत्म करना है, तो कांग्रेस पार्टी सरकार का पूरा समर्थन करेगी। लेकिन मैंने यह चेतावनी भी दी थी कि नोटबंदी से इनमें से कोई भी लक्ष्य पूरा नहीं हो सकेगा। पिछले 50 दिनों में हुई घटनाओं ने मेरी बात साबित कर दी है। 2000 रु. के नए नोटों में भी कालाधन सामने आया है और रिश्वत का लेनदेन 2000 के नए नोटों में भी हो रहा है। इसलिए इस बात की कोई गारंटी नहीं कि भविष्य में कालाधन इकट्ठा नहीं होगा और नए नोटों में रिश्वत ली या दी नहीं जाएगी। व्यवस्था की बदहाली मैंने यह चेतावनी भी दी थी कि नोटबंदी की असली परीक्षा इसे लागू करने के तरीके के द्वारा होगी। यह स्पष्ट है कि यह पूरा काम बिना किसी योजना और विचार के किया गया; किसी भी विशेषज्ञ से सलाह नहीं ली गई; चलन में नोटों की उपयोगिता को सम-हजया नहीं गया; यहां तक कि नए नोट छापने के लिए नोट प्रिटिंग प्रेसों की क्षमता के बारे में भी नहीं सोचा गया। 2000 के नोटों के बंडल पकड़े जाने से आरबीआई, करेंसी चेस्ट एवं बैंक की शाखाओं में भी भ्रष्टाचार के प्रमाण सामने आ गए हैं। कुल मिलाकर यह सारी जद्दोजहद बदहाल व्यवस्था, प्रशासनिक असफलता तथा व्यापक भ्रष्टाचार का प्रदर्शन करती है।

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