पद्मावत मूवी रिव्यू : सभी सितारों ने दमदार अभिनय दिखाया है

Lokesh Goswami Ten News Delhi :

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फ़िल्म रिवीयू पद्मावत -संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ प्रसिद्ध हिंदू राजपूत रानी पद्मिनी की जीवन पर केंद्रित है।

पद्मावत पर बैन होने से इतिहास नहीं बदल सकता और रिलीज होने के बाद भी नहीं बदलेगा। बदलता है तो सिर्फ चित्रण, घटना नहीं। इतिहास की यह घटना बताती है कि रजवाड़ों के दौर में औरतों की बहुत दुर्गति थी। वरना सैकड़ों औरतों का सामूहिक आत्मदाह कोई जुनून नहीं, एक लाचारी थी। अलाउद्दीन खिलजी क्रूर और कमीना कहने से मन को तसल्ली मिलती है, लेकिन द्रोपदी चीरहरण के पीछे कोई खिलजी नहीं था। उसके अपने ही थे। क्षत्रिय ही थे। द्रोपदी को वस्तु की तरह दांव पर लगा दिया। फिर बेइज्जत किया। सीता के साथ भी कोई अच्छा सलूक नहीं हुआ। लेकिन हम सिर्फ अतीत पर हंगामा करते हैं। फिल्म पद्मावती में वो सारी चीजें थीं, जिन पर राजपूत समुदायों की नाराजगी थी। फिल्म में राजपूतों के साहस का वर्णन किया गया है। वहीं अलाउद्दीन खिलजी को एक तानाशाह शासक के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

फिल्म ‘पद्मावत’ की कहानी की शुरुआत

फिल्म की कहानी कुछ यूं शुरू होती है। अलाउद्दीन खिलजी धोखे से अपने चाचा ससुर की हत्या कर गद्दी पर बैठ जाता है । यहां फिल्म की शुरुआत बड़े ही भव्य थ्री-डी दृश्यों से शुरू होती है। तो दूसरी तरफ  सिंगला की राजकुमारी पद्मावती (दीपिका पादुकोण) और चित्तौड के महाराजा रतन सिंह (शाहिद कपूर) की मुलाकात शिकार के दौरान जंगल में होती है। जहां वे एक दूसरे पर मोहित होने के बाद महारावल रतन सिंह पद्मावती को अपनी दूसरी रानी बना कर चित्तौड़ ले आते हैं। उनके महल में आने के बाद महारावल के गुरु पद्मावती पर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, और दोनों के अंतरंग पलों को देखने की कोशिश करते हैं, और रतन सिंह रानी पद्मावती के सुझाव पर उन्हें देश निकाला दे देते हैं। अपमानित होने के कारण राजगुरु चित्तौड़ की बर्बादी की शपथ लेता है। इसके बाद वह चित्तौड़ छोड़ देता है और सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी (रणवीर सिंह) के पास पहुंच जाता है। वहां अपना बदला लेने के लिए अलाउद्दीन को रानी पद्मावती के रूप के किस्से सुना कर मंत्रमुग्ध कर देता है। रानी पद्मावती के रूप की चर्चा सुनकर अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मावती को पाने के लिए पागल हो जाता है ।उसके बाद चित्तौड़ अपना संदेश भेजता है, जिसे रतन सिंह ठुकरा देता है, और अलाद्दीन चित्तौड़ पर कब्जा करने के लिए आ जाता है। कुछ दिनों तक वह चित्तौड़ के सामने बैठा रहता है, लेकिन कुछ दिन बाद छलकपट से वह रानी पद्मावती को देखने के लिए महल में आता है, और रतन सिंह की महमान नवाजी करने के बदले अपने पास बुला उसको कैद कर ले जाता है, इसके बाद वह रतन सिंह के बदले में रानी पद्मावती को दिल्ली आने के लिए संदेश भेजता है, और पद्मावती रतन सिंह को बचाने के लिए कुछ शर्तों के साथ उसका आग्रह स्वीकार कर लेती है और अपने वीर सेनानायक गोरा और बादल के साथ महाराज को अलाउद्दीन की कैद से मुक्त कराने का प्लान बनाती है। एक शर्त के चलते वह महारावल के गुरू का सर कटवाकर मंगा लेती है और पहुंच जाती है खिलजी के राज्य में, जहां अलाउद्दीन की पत्नी महरूनिसा (अदिति राव हैदरी) उनको वहां से एक गुप्त सुरंग के रास्ते मुक्त करा देती है। अलाउद्दीन पद्मावती को ना पाने के क्रोध में फिर से चित्तौड़ पहुंच जाता है, और रतन सिंह से युद्ध के दौरान धोखे से मृत्यु करवा देता है। इसके बाद रानी पद्मावती जौहर करने के लिए विवश होती है।

यहां पद्मावती का एक जिम्मेदार रानी के रूप में अपनी प्रजा के लिए खुद निर्णय लेने के व्यक्तित्व को प्रकट करता है। वहीं विलासी खिलजी की एक ओछी इच्छा पूरी कर युद्ध टालने की कोशिश को भी दर्शता है। किस तरह वह खिलजी के भवन में आकर रतन सिंह को आजाद कराती है। अंत में रानी द्वारा जौहर जैसी घटना के दृश्य में पद्मावती एक ऐसी वीरांगना के रूप में सामने आई हैं। वह कहीं न कहीं राजपूतों की शान के लिए राज-घराने की परंपरा को आगे बढ़ाती दिखती हैं। पद्मावती एक ऐसी महिला शक्ति के रूप में सामने आईं हैं, जिनमें दया भी है और वह जरूरत पड़ने पर दमन भी कर सकती हैं। उसमें पतिव्रता के गुण भी हैं और एक रानी के अधिकार के कत्र्तव्य से परिपूर्ण भी। वह राजनीति की सभी बारीकियों को समझती हैं और दुश्मन को छल और बल के द्वारा घुटने टेकने पर मजबूर भी कर सकती है।

फिल्म ‘पद्मावत’ की कहानी के चित्रण का जो फिल्मांकन किया गया है वह गजब का है। फिल्म की कहानी का विरोध करना अनावश्यक सा लगता है, क्योंकि इतिहास के वो पक्ष को देखो जो आज तक नहीं देखा। संजय लीला भंसाली का शानदार निर्देशन और सभी कलाकारों का शानदार अभिनय और संगीत दिल को अंदर तक छू जाता है।

दीपिका पादूकोण और शाहिद कपूर ने अपने किरदारों के अभिनय को बहुत ही बराकियों के साथ निभाया है। वहीं फिल्म के अन्य किरदार भी अच्छा काम करते हैं, खासकर मिस्र से आए गुलाम के किरदार में जिम स्राभ, जो समलैंगिक भी दिखते हैं, और एक योद्धा के रूप में भी हैरान करते हैं। फिल्म देखने के बाद भी उनका करेक्टर याद रहेगा।

कहानी में यदि रणवीर सिंह की बात करें तो उन्होंने क्रूर और सनकी सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी बनकर अलाद्दीन के रोल में जान डाल दी है। उनका हर दृश्य उनकी चालाकी ध्रूर्तता और विलासिता का परिचायक दिखता है। पूरी फिल्म में उनका ही वर्चस्व दिखता है।

फिल्म ‘पद्मावत’ के कुछ दृश्यों को एडिट करने के बाद भी पूरी फिल्म बेहतरीन लगती है। यह फिल्म वाकई में ए शानदार फिल्म है। फिल्म की कहानी, राजपूतों की सांस्कृतिक विरासत और उनका पहनावा, भव्य दृश्य, एनीमेशन, गानों के फिल्मांकन के साथ थ्री-डी में देखना सभी कुछ प्रभावित करता है।

इस फिल्म को लेकर पिछले ढ़ाई तीन महीनों से जो विवाद चल रहा है, तो आप उसे समझने और ढूंढने की कोशिश जरूर करेंगें, लेकिन आपको कुछ ऐसा लगेगा नहीं कि जिस पर विवाद की कोई वजह सामने आए। शायद विवाद लोगों की नासमझी और पागलपन का एक जनून है, उस जनून को दरकिनार रखते हुए अपने सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाते हुए फिल्म का आनंद उठाएं तो ज्यादा अच्छा होगा।

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