सवर्णों को दिए गए 10 फीसदी आरक्षण पर ग्रेटर नोएडा के गणमान्य व्यक्तियों ने दी बेबाक राय

Abhishek Sharma

Greater Noida (11/01/19) : मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 प्रतिशत कोटा देने का फैसला किया है। इससे जुड़ा बिल लोकसभा और राजयसभा में पास हो गया है। इस बीच एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठाया जा रहा है कि क्या यह कानून कोर्ट में टिक पाएगा? ये सवाल इसलिए है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ये बात साफ कर चुका है कि आरक्षण किसी भी सूरत में 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता जबकि केंद्र सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के गरीब छात्रों के लिए 10 फीसदी सीटें आरक्षित करने से आरक्षण 60 फीसदी तक हो जाता है।

मोदी सरकार के आरक्षण बिल को सामान्य वर्ग के साथ छलावा मान रहे विरोधियों का तर्क है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट  के फैसले की गलत व्याख्या कर रही है। कोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण न होने देने की बात इसलिए कही थी, ताकि कम से कम आधी सीटें मेरिट के आधार पर भरी जाएं।  अगर सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फीसदी का कोटा तय किया गया तो मेरिट के लिए महज 40 फीसदी सीटें रह जाएंगी जो कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ होगा। यही वजह है कि ये बिल सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिक पाएगा।


आरक्षण को लेकर टेन न्यूज़ ने ग्रेटर नोएडा के गणमान्य व्यक्तियों से उनकी राय जानी। इस मुद्दे पर बात करने के लिए हमारे साथ मौजूद रहे एक्टिव सिटीजन टीम के सदस्य अलोक सिंह और कवी लेखक व पर्यावरण प्रेमी ओम रायज़ादा।
आरक्षण के फैसले पर टिप्पणी करते हुए ओम रायज़ादा ने कहा कि ये जो फैसला लिया गया है इससे साफ़ तौर पर स्पष्ट होता है कि ये फैसला सिर्फ सामान्य वर्ग के लोगों को लुभाने के लिए लिया गया है। इसके पीछे सरकार की वोट पाने के अलावा और कोई अन्य सोच नहीं है। ये फैसला जल्दबाजी में लिया गया है। सालाना ढाई लाख से ज्यादा आय वाले लोगों को टैक्स का भुगतान करना पड़ता है और दूसरी सरकार ने इस फैसले में 8 लाख सालाना आय वाले व्यक्ति को गरीब बताया है। तो ये चीज समझ से बाहर है कि 8 लाख सालाना आय वाला व्यक्ति गरीब कैसे हो सकता है। आरक्षण की व्यवस्था हमारे समाज में विष घोलने का काम कर रही है। इसके कारण लोग एक दुसरे को देखकर खुश नहीं है। जिनको आरक्षण मिल रहा है वो उन लोगों की आँखों की किरकिरी बने हुए हैं जिन लोगों को आरक्षण का फ़ायदा नहीं मिल पा रहा है।
देखा जाए तो सरकार आरक्षण के नाम पर लोगों को पागल बना रही है, क्योंकि नौकरियां तो लगभग समाप्त हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण की व्यवस्था ही गलत है इस प्रकार की कोई व्यवस्था शयद दुनिया में कही नहीं है। उन्होंने कहा कि मै इस बात का समर्थन जरूर कर सकता हुँ कि अगर आरक्षण गरीबी के आधार पर दिया जाए। इसे जाति विशेष के तौर पर न दिया जाए। आरक्षण के चलते 10 नंबर लाने वाला इंसान पास हो जाता है और आरक्षण न लेने वाला व्यक्ति 20 नंबर लाकर भी फ़ैल हो जाता है। इसीलिए मै शुरू से ही आरक्षण का विरोधी रहा हुँ।
आरक्षण पर बोलते हुए आलोक सिंह ने कहा कि मेरा मानना है आरक्षण को जिस प्रकार से लागू किया है वो गलत है। इतना बड़ा फैसला मोदी सरकार ने सिर्फ दो दिन के अंदर लिया है। अगर इतना बड़ा फैसला दो दिन में लिया जा सकता है तो देश में इतनी साड़ी समस्याएं हैं जो और भी जल्दी हल की जा सकती हैं। लगातार बढ़ रही जनसँख्या आज के समय में बहुत बड़ी समस्या है उसपर भी सरकार को बिल पेश करना चाहिए और 2 बच्चों का कानून लागू करना चाहिए। जरूरी विधेयक जो सरकार को लाने चाहिए उन्हें दस-दस साल तक लटका के रखा जाता है उसके उसके बाद भी कानून नहीं बनाया जाता है। इस फैसले को लागू करने के पीछे सवर्णों का वोट बैंक अपनी ओर आकर्षित करना ही सरकार की मंशा है।
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