15 अगस्त 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीचिंग कार्डर का ऐलान करें : डाॅ. आर.के. खांडल – टेन न्यूज़ लाइव कार्यक्रम में शिक्षा अव्यवस्था की खोली पोल

Abhishek Sharma

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आज समूचा विश्व कोरोना वायरस की चपेट में है। दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी लॉकडाउन जैसे हालातों से जूझ रही है। वैश्विक आबादी धीरे-धीरे आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रही है। हजारों लोग इस वायरस से अपनी जान गंवा चुके हैं। भारत में इससे प्रभावितों की संख्या 2 लाख के करीब पहुंच गई है। इसके चलते सामाजिक, औद्योगिक और आर्थिक संकट गहराया हैं। वहीं शैक्षिक क्षेत्र की तालाबंदी भी एक महती मुसीबत पैदा होने का आभास करा रही है। पहले से ही संसाधन की भारी कमी झेल रहे एजुकेशन सेक्टर को अब इससे दोहरी मार झेलनी होगी।

कोरोना के संकट के चलते देश भर के शैक्षिक संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है। इससे लाखों छात्रों के पठन में बाधा पैदा हुई है। एक तरफ जहां दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं, वहीं अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं को भी आगे के लिए टाल दिया गया है।

एक डाटा के अनुसार दसवीं और बारहवीं के क्रमश: 18.89 लाख और 12 लाख छात्र इससे प्रभावित होंगे। वहीं देश भर के 20,300 सरकारी स्कूलों में नौनिहालों का बस्ता बंद कर दिया गया है। इस महामारी ने आंगनबाड़ी के उन 13.63 लाख केंद्रों में बच्चों के पोषण और देखभाल के साथ शैक्षिक कार्यक्रमों को भी झटका दिया है।

पूरे देश में लॉक डाउन और कोरोना वायरस महामारी का हर क्षेत्र पर प्रभाव पड़ रहा है। इन्हीं मुद्दों को लेकर टेन न्यूज़ लगातार ऑनलाइन वेबीनार आयोजित कर रहा है। शिक्षा के मुद्दे को लेकर टेन न्यूज ने उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) के पूर्व वाइस चांसलर प्रो.(डॉ.)आर. के. खाण्डल से खास बातचीत की। इस कार्यक्रम का संचालन प्रो. (डॉ.) कुलदीप मलिक ने अपने अलग अन्दाज़ में किया ।

आरके खांडल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज मैं जिस मुकाम पर हुं, उसका श्रेय अपने गांव को देना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि मेरा जन्म राजस्थान के गांव में हुआ। यहां की संस्कृति , गांव की माटी और संस्कारों के बलबूते मैं इस मुकाम तक पहुंच सका। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति बताती है कि हर व्यक्ति विशेष में परमात्मा का अंश है। उनका कहना है कि व्यक्ति, जानवर, पेड़ या कोई भी हो , जब मैं उससे मिलता हूं तो उससे प्रेम भाव से मिलता हूं, मेरे मन में स्वत: ही प्रेम भाव उमड जाता है। मेरा सभी युवाओं से भी यही कहना है कि जो भी मिले उसे आदर भाव के साथ देखना सीखें, तो निश्चित ही जीवन में सफलता मिलेगी। कोई भी व्यक्ति मिले चाहे उसमें दोष ही क्यों ना हो , सबसे पहले उसकी अच्छाइयां देखने की कोशिश करें तो अपने आप ही बुराइयों का नाश हो जाता है।

उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज ऋषि मुनि रहे हैं, जब हम यह बात सोचते हैं तो हमारा कद और ऊंचा हो जाता है। आज दुनिया भर के जो देश अपने आप को विकासशील देश बुलाते हैं उनको शिक्षा देने का कार्य हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों ने किया है। चीन के लोग संस्कृत का ज्ञान लेने नालंदा और तक्षशिला में आते थे। जब वह भारत आते थे तो उससे पहले संस्कृत का ज्ञान लेने के लिए वह इंडोनेशिया जाते थे, उसके बाद भारत का रुख करते थे। जब पूरा विश्व रेंगना सीख रहा था , तब हमारे पूर्वज दौड़ते थे।

वहीं आरके खांडल ने देश की वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर अपनी राय रखते हुए कहा कि 50 साल पहले तक भारत की 80% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती थी और सभी लोग आत्मनिर्भर थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया तो लोगों को पढ़ाई के लिए शहर का रुख करना पड़ा। शहर में आकर पढ़ाई पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद जब वे नौकरी की तलाश करते थे तो उनसे कहा जाता था कि गांव जाकर वहां कोई रिसर्च या काम शुरू करें।

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है भारत की शिक्षा व्यवस्था शुरुआत से ही ठीक नहीं रही। शिक्षा के दो पहलू हैं, एक पढ़ाना लिखाना और दूसरा सिखाना, हमारे देश में पढ़ाने लिखाने पर जोर दिया गया, सिखाने पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जब किसी के जीवन में सिखाना आ जाता है तो वह विद्या का रूप बन जाता है। विद्या जब आचरण में आ जाए तो वह टेक्नोलॉजी बनती है, तो टेक्नोलॉजी से नवाचार बनता है। उनका मानना है कि हमने पिछले 100 सालों में केवल लोगों को शिक्षा देकर डिग्री दी, वर्कर पैदा किए। हमने तकनीक और विज्ञान पर कोई जोर नहीं दिया।

हमारे देश में शिक्षा का अर्थ केवल अच्छे नंबर लाना, कंपटीशन जीतना और अच्छे संस्थान में एडमिशन लेना रह गया है। आज के समय में स्कूली विद्या पूरी करने के बाद बच्चों को आईएएस, आईपीएस बनाने के लिए बड़े-बड़े कोचिंग संस्थानों में भेज दिया जाता है। जहां बच्चे केवल कंपटीशन करते हैं और ऐसे में वे सीखना भूल जाते हैं। आज के समय में माता-पिता बच्चों पर अत्याधिक दबाव बनाकर रखते हैं, कोई भी अभिभावक अपने बच्चे को शिक्षक नहीं बनाना चाहता है, सभी लोग होड़ में लगे हुए हैंं।

उन्होंने आगे कहा कि आज के वक्त में एक नारा चल रहा है कि मोदी है तो मुमकिन है। मैं चाहता हूं कि 15 अगस्त 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीचिंग कार्डर का ऐलान करें, क्योंकि हमारे देश में आईएएस, आईपीएस, इंजीनियरिंग के कार्डर हैं तो एक शिक्षक का कार्डर क्यों नहीं हो सकता। अगर ऐसा हुआ तो आने वाले वक्त में हर मां-बाप चाहेगा कि उसका बच्चा बड़ा होकर टीचर बने। आज अगर कोई व्यक्ति कुछ नहीं कर पाता तो आखिर में शिक्षक बन जाता है जोकि हमारे देश की शिक्षा का दुर्भाग्य है।

देश में शिक्षा का कार्डर बनना चाहिए, जिससे कि देश के शिक्षकों की सैलरी भारत सरकार के सिद्धांतों के अनुसार आए। देश के शिक्षक की सैलरी फिक्स होनी चाहिए, तभी लोगों का रुझान इस ओर बढ़ सकेगा। दूसरी बात यह है कि सरकार को देश के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों को टेकओवर कर लेना चाहिए। इससे शिक्षा और शिक्षक दोनों की स्थिति में सुधार हो सकेगा।

उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश की शिक्षा प्रणाली की व्यवस्था बिगड़ी हुई है, यहां सब कुछ फिक्स है। उन्होंने कहा मेरा मानना है कि स्कूलों में इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए कि जब जिसका मन करे पढ़ाई के लिए स्कूल में आए, यह जरूरी नहीं होना चाहिए कि परीक्षा केवल मार्च में हों। जब भी किसी विद्यार्थी की परीक्षा के लिए तैयारी पूरी हो तभी परीक्षा करानी चाहि

कार्यक्रम के अंत में डॉ खंडल ने डॉक्टर कुलदीप मलिक द्वारा पूछे हर एक सवाल का जवाब दिया और भविष्य के लिए डॉक्टर कुलदीप मलिक को अपना आशीर्वाद एवं शुभकामनाएं दी।

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