6 साल बाद भी आवंटियों को नहीं मिल पाया कब्ज़ा, 2013 में यमुना प्राधिकरण ने निकाली थी औद्योगिक भूखंड योजना
Abhishek Sharma
Greater Noida (01/03/19) : यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा 2013 में औद्योगिक भूखंडों की स्कीम निकाली गई थी, जिसका कब्ज़ा अभी तक आवंटियों को नहीं मिल पाया है। यह स्कीम यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के सेक्टर-32,33 में निकाली गई थी। प्राधिकरण ने बिना किसानों की सहमति के उनकी जमीन पर यह स्कीम निकाली थी, इसके लिए सभी किसानों ने अपनी जमीन देने के लिए सहमति नहीं दी थी।
जिसके बावजूद प्राधिकरण ने 2013 में औद्योगिक भूखंडों की यह स्कीम लॉंच की थी। प्राधिकरण द्वारा निकाली गई स्कीम का 3 महीने के अंदर ड्रॉ कराना था, लेकिन 2013 में स्कीम निकालने के 2 साल बाद अगस्त 2015 में इसका ड्रॉ किया गया था। इस स्कीम में 300 से लेकर 1800 स्क्वायर मीटर के औद्योगिक भूखंड थे। इस योजना में यमुना प्राधिकरण द्वारा 821 औद्योगिक भूखंड आवंटित किए गए थे। किसानों से बिना कब्ज़ा लिए जमीन पर यमुना प्राधिकरण द्वारा यह योजना निकाली गई थी, जिसकी सूचना आवेदनकर्ताओं को नहीं दी गई थी।
इस योजना में आवेदन करने वाले सभी आवंटियों को जब इस बात का पता चला कि अभी तक किसानों से प्राधिकरण जमीन पर कब्ज़ा नहीं ले पाया है, तो सभी आवंटियों ने कब्ज़ा लेने के लिए एक संगठन बनाया।
आवंटी ऋषभ राणा ने बताया कि सभी आवंटियों ने मिलकर कई बार यमुना प्राधिकरण में पत्र लिखकर जल्द कब्ज़ा दिलाने की मांग की, लेकिन प्राधिकरण की ओर से अभी तक आवंटियों के पक्ष में कोई फैसला नहीं लिया गया है। सभी आवंटि प्राधिकरण को कब्ज़ा लेने के लिए 25 से अधिक पत्र लिख चुके हैं, लेकिन प्राधिकरण का सुस्त रवैया लगातार बना हुआ है।
प्राधिकरण ने जब औद्योगिक भूखंडों की योजना निकाली थी तो तब भूखंड के रेट 5500 प्रति स्क्वायर मीटर थे, जिसके बाद प्राधिकरण ने रेट बढाकर 6100 रूपये कर दिए थे। उनका कहना है कि यमुना प्राधिकरण द्वारा औद्योगिक भूखंड योजना की पहले से कोई तैयारी नहीं की गई थी। आवंटियों से पैसे ऐठने के लिए सिर्फ यह योजना निकाली गई थी। उन्होंने बताया कि सभी आवंटियों ने भूखंड के लिए 75 फीसदी से अधिक धनराशि भी प्राधिकरण को जमा करा दी है।
यमुना प्राधिकरण के ओएसडी शैलेन्द्र कुमार भाटिया ने बताया कि उस क्षेत्र में अभी विकास कार्य तेजी से चल रहा है। किसानों ने जमीन देने के बाद उस पर स्टे ले लिया था जिस कारण कब्ज़ा देने में परेशानी आ रही थी। अब सभी टेंडर लगभग पूरे होने जा रहे हैं। जल्द ही आवंटियों को कब्ज़ा दे दिया जाएगा।
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