वरिष्ठ नागरिकों के लिए रिटायरमेंट के बाद की जरूरी योजनाएं, ‘प्रो मनोज पांडेय’ के साथ टेन न्यूज़ की ख़ास पेशकश

Abhishek Sharma / Baidyanath Halder

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Greater Noida: बिमटेक के एसोसिएट प्रोफेसर एवं संशोधक मनोज कुमार पांडे ने टेन न्यूज से बातचीत करते हुए वरिष्ठ नागरिकों के लिए लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों और निवेश के बारे में बातचीत की और बताया कि लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों में अपनी जमा पूंजी लगाना कितना सुरक्षित है और इसमें किस प्रकार की  जोखिम रहती हैं। वरिष्ठ नागरिक नौकरी से रिटायर होकर अपनी जमा पूंजी को कहीं ना कहीं ठिकाने लगाता है, चाहे वह बैंक हो या इंश्योरेंस पॉलिसी हो या कोई अन्य तरीका हो।

बता दें कि प्रोफेसर मनोज कुमार पांडे ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से प्रबंधन में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है और भारतीय बीमा संस्थान के एक सहयोगी सदस्य हैं, उन्होंने भारत और खाड़ी देशोंमें 20 वर्षों तक लाइफ इन्स्योरेन्स कंपनी में विभिन्न क्षमताओं और भूमिकाओं में सेवा की। प्रोफेसर पांडे दिसंबर 2011 बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (बिमटेक) में शामिल हुए। अपने बीमा कार्यक्रम में एक एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में प्रौद्योगिकी व जीवन बीमा और बीमा चैनल प्रबंधन के क्षेत्र में शिक्षण और अनुसंधान में शामिल है, वह तकनीकी में काफ़ी रुचि रखते है और बीमा मामलों पर न्यूज़ पैनल चर्चा में अक्सर रहते हैं।

पेश है बिमटेक के एसोसिएट प्रोफेसर व लाइफ इन्स्योरेन्स विशेषज्ञ प्रो मनोज कुमार पांडेय से बातचीत के मुख्य अंश :-

सोशल सिक्योरिटी के अभाव में रिटायरमेंट प्लानिंग आज एक अहम मुद्दा है, आपके अनुसार किसी सीनियर सिटीजन को अपने फाइनेंसियल प्लानिंग में क्या-क्या आवश्यकताएं होती हैं?

उन्होंने कहा कि पिछले एक डेढ़ साल में हमारे देश में वित्तीय संस्थानों में गिरावट आई है , लेकिन कोई लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिक्विडेट नहीं हुई है। यह केस शुरू हुआ था आइएलएफएस, डीएचएफएल व उसके साथ कुछ अन्य कंपनियां हैं, इन कंपनियों के डूबने से म्यूच्यूअल फंड के कुछ पैसे जरूर डूबे हैं। लेकिन इंश्योरेंस कंपनी कोई ऐसी नहीं है जिसमें पैसे डूबे हों या कंपनी दिवालिया घोषित हुई हो। बावजूद उसके हालात ऐसे हैं कि लोग कहीं भी पैसे निवेश करने में काफी सोच-विचार करते हैं।

उन्होंने कहा कि हाल ही में पंजाब व मुंबई को ऑपरेटिव बैंक में हुए हादसे ने भी बैंकिंग सेक्टर की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं और हालात ऐसे हैं कि लोग विशेषज्ञों से पूछते हैं कि बैंक में पैसा रखना सुरक्षित है या नहीं।  अगर बात की जाए वरिष्ठ नागरिकों की तो रिटायर होने के बाद उनकी पूरी जमा पूंजी उन्हें एक साथ मिलती है जिसे बड़ा सोच कर निवेश करना होता है।

आवश्यकताओं को देखते हुए वरिष्ठ नागरिकों के लिए कौन-कौन से फाइनेंसियल आप्शन उपलब्ध हैं?

इस पर जवाब देते हुए प्रोफेसर मनोज पांडे ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक का मतलब जब एक इंसान 60 साल की कैटेगरी में आ जाता है और वह रिटायर हो जाता है। तो जहां उसकी सर्विस होती है वहां उस व्यक्ति का पीएफ , ग्रेच्युटी और अगर सरकारी नौकरी हो तो उसे ल पेंशन भी होती है। इस उम्र में अधिकतर लोग अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर चुके होते हैं। तो जो इनके पास रकम आती है यह बड़ी सोचने वाली बात रहती है कि वह इस जमा पूंजी को कहां लगाएं , जिससे कि उनका पैसा बढे या वापस मिले व समय पर काम आए। ऐसे टाइम पर उन लोगों को फाइनेंशियल एडवाइजर की जरूरत पड़ती है। जिससे उन्हें निवेश करने के अधिक , सुरक्षित और आमदनी के काफ़ी अवसर प्रदान हो सके।

*मेडिकल केयर के बारे में क्या पर्याय है ?

इस पर उन्होंने अपनी राय रखते हुए कहा कि देश में पिछले कुछ समय में स्वास्थ्य सेवाएं ठीक हुई हैं लेकिन मेडिकल केयर इंश्योरेंस की व्यवस्था ज्यादा अच्छी नहीं रही है। उन्होंने कहा कि अगर इंसान सरकारी नौकरी करता है तो कार्यकाल के दौरान उसे सरकार की तरफ से हेल्थ इंश्योरेंस मुहैया कराया जाता है लेकिन जब वे रिटायर हो जाते हैं तो उनके पास यह ऑप्शन खत्म हो जाता है और उसके बाद हेल्थ इंश्योरेंस खरीदना बेहद जरूरी हो जाता है क्योंकि इंसान 60 साल की उम्र के बाद अधिकतर बीमार होना शुरू होते हैं।

उन्होंने कहा कि आजकल बैंक की तरफ से भी हेल्थ इंश्योरेंस कराया जाता है अगर बैंक सही इंटरेस्ट रेट पर आपको हेल्थ इंश्योरेंस दिला दे तो यह सबसे अच्छा ऑप्शन है। वरना बाहरी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों से लेना महंगा पड़ता है। लेकिन वरिष्ठ नागरिकों को इसकी बेहद जरूरत पड़ती है।

रिटायरमेंट के बाद पैसा इन्वेस्ट करने के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन क्या हो सकता है?

उन्होंने कहा कि इंसान जब नौकरी करता है तो वह शुरू से  एक लक्ष्य निर्धारित करके चलता है,  जिसके अनुसार वह कार्य करता रहता है। रिटायरमेंट तक कुछ लोग मकान ख़रीद कर किराया लेते हैं।  वहीं कुछ लोग इसका कहीं और इस्तेमाल करते हैं। इसी प्रकार हर इंसान अलग अलग लक्ष्य के तहत काम करता है लेकिन कुछ लोग पैसा आने के बाद सोचते हैं कि क्या किया जाए।

उन्होंने बताया कि अगर रिटायरमेंट के बाद पूरा पैसा हाथ में हैं तो सबसे अच्छा ऑप्शन है कि उस पैसे का 50%  वह एलआईसी लाइफ इंश्योरेंस में निवेश करें। जिससे कि वह जिंदगी भर मिलने वाली एक रकम सुनिश्चित कर लें। बाकी 20% सीनियर सिटीजंस स्कीम में निवेश कर सकते हैं , जहां पर आपका पैसा सुरक्षित भी है और 8.3 प्रतिशत का ब्याज भी मिलता है। बाकी 20% लिक्विड फंड भी रखना चाहिए और बचा हुआ 10% हेल्थ इंश्योरेंस में निवेश करें।

युवाओं के लिए संदेश:

उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट कोई 1 या 2 दिन में नहीं हो जाता , बल्कि  60 साल की उम्र में होता है। जब एक व्यक्ति की नौकरी लगती है तो वह उसी दिन से अपनी योजनाएं बनाना शुरु कर देता है. क्योंकि उसे पता होता है कि किस उम्र में वह रिटायर होगा। उन्होंने कहा कि जब युवा होते हैं और नौकरी लगती है तो उसी दिन से उन्हें अपने रिटायरमेंट के बारे में तैयारी करनी चाहिए।  प्रोफेसर मनोज पांडे ने कहा कि जब आपकी पहली सैलरी मिलती है तो एक युवा को उसमें से कम से कम 10 परसेंट पैसा लॉन्ग टर्म  पॉलिसी में इन्वेस्ट करना चाहिए। ताकि उसका यह पैसा रिटायर होने के बाद उसके काम आ सके।

 

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