पब्लिक स्कूलों को जितना महत्व देना चाहिए उतना नई शिक्षा नीति में नहीं : सलमान ख़ुर्शीद

Abhishek Sharma

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Greater Noida (16-12-2019) : केंद्रीय सरकार देश की शिक्षा में बड़े बदलाव करने जा रही है। भाजपा सरकार पूरी तरह से देश में नई शिक्षा लागू करने की तैयारी में है। देश में 33 साल बाद नई शिक्षा नीति आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि नवाचारयुक्‍त, शोधपरक, अनुसंधान को बढ़ावा देती यह नई शिक्षा नीति देश के सामाजिक आर्थिक जीवन में नए सूत्रपात का आगाज करेगी। ई शिक्षा नीति देश को वैश्विक पटल पर एक महाशक्ति के रूप में स्‍थापित करने के लिए समर्पित है।

उनका कहना है कि विश्‍व गुरु भारत अपने पुराने वैभव को तभी प्राप्‍त कर सकता है जब उसकी शिक्षा नवाचारयुक्‍त हो गुणवत्‍तापरक हो यही मूलमंत्र लेकर हम अपने देश के लगभग एक हजार विश्‍वविद्यालयों के कायाकल्‍प के लिए कृतसंकल्पित हैं। हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है कि हम अपनी युवा शक्ति को कैसे सकारात्‍मक और सृजनात्‍मक रास्‍ते पर प्रेरित करें. साल 2055 तक भारत में काम करने वाले लोगों की संख्‍या सबसे ज्‍यादा रहेगी।

वहीं भाजपा द्वारा तैयार की जा रही नई शिक्षा प्रणांली को लेकर टेन न्यूज़ ने कांग्रेस के पूर्व विदेश एवं अल्पसंख्यक मंत्री सलमान खुर्शीद से ख़ास बातचीत की एवं जाना कि भाजपा द्वारा लायी जा रही नई शिक्षा प्रणाली से उनकी क्या उम्मीदें हैं। चूँकि सलमान खुर्शीद खुद पब्लिक स्कूल से जुड़े हुए हैं।

भाजपा द्वारा तैयार की जा रही नई शिक्षा प्रणाली से क्या उम्मीद करते हैं?

सलमान खुर्शीद ने कहा कि अभी नई एजुकेशन पॉलिसी पर चर्चाएं चल रही है और उसको पूरी तरह से आम जनता के बीच में नहीं रखा गया है, न ही उस पर कोई निर्णय लिया गया है। सिर्फ एक प्रस्ताव रखा गया है लेकिन उसमें अभी बहुत कुछ चर्चा की आवश्यकता है। मेरा जो विशेष जुड़ाव है, वह पब्लिक स्कूलों से रहा है।

पब्लिक स्कूलों को समझ कर जितना महत्व देना चाहिए वह मुझे लगता है कि इस पॉलिसी में नहीं दिया गया है। अगर यह नहीं होगा तो बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा। क्योंकि जो अध्याय यहां हैं शिक्षा का उसमें बहुत बड़ा योगदान पब्लिक स्कूलों का है। पब्लिक स्कूल इंग्लैंड में कैसे होते हैं, पहले कैसे होते थे, वह न समझ कर आज जो वास्तविकता है पब्लिक स्कूलों की जिस तरह हजारों बच्चों को सही शिक्षा और अफॉर्डेबल शिक्षा प्राप्त हो सकती है, इसको समझने की आवश्यकता है।

84 वर्षीय तिब्बती गुरु दलाई लामा ने भी इस बारे में कहा , “धार्मिक शिक्षा के स्थान पर अपनी शिक्षा प्रणाली में अहिंसा, प्रेम, दयालुता और करूणा जैसे मानसिक गुणवत्ता वाले विषयों को शामिल किया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में लोग धर्म और अपनी क्षेत्रीयता को लेकर आपस में लड़ रहे हैं। भारत को अपनी 3000 साल पुरानी उच्च नैतिक परंपरा वाली शिक्षा प्रणाली में नई क्रांति लाने की आवश्यकता है ताकि उसे आधुनिक शिक्षा में बदला जा सके।

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