3 कोरोना वॉरियर्स के सम्मान में टेंन न्यूज़ ने आयोजित किया ऑनलाइन कार्यक्रम, जाने किस तरह इन्होने लोगों तक पहुंचाई मदद

Ten News Network

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कोरोना वारियर्स के सम्मान में गुरुवार को टेन न्यूज़ पर सैल्यूटिंग अवर कोरोना वारियर्स कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका संचालन टेंन न्यूज़ के कंसल्टिंग एडिटर प्रोफेसर सिद्धार्थ गुप्ता ने किया। इस कार्यक्रम में रिटायर्ड कमांडर राजीव सरदाना, आयुष सरदाना तथा राजेश नारायण मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए।

जहां एक तरफ लोग कोरोना की दूसरी लहर में अपनों को खोने से बचाने के लिए लड़ रहे थे वहीं दुसरी तरफ देशभर में कई ऐसे लोग भी थे जो अपनी जान की परवाह न करते हुए दूसरों की जिंदगी को बचाने के लिए हर सम्भव कोशिश कर रहे थे। उनमें से एक रिटायर्ड कमांडर राजीव सरदाना ने भी लोगों के जीवन को इस महामारी से बचाने के लिए अपनी परवाह न करते हुए लोगों को ऑक्सिजन सिलिंडर वितरित किये।

कमांडर राजीव सरदाना ने बताया कि हमारा ऑक्सिजन सिलिंडर के साथ में पहले से ही पुराना नाता रहा है क्योंकि मैं और मेरी पत्नी हम दोनों देशभर के बच्चो को गोताखोरी सिखाते है। इसलिए सिलिंडर के बारे में हमे पहले से जानकारी भी थी।

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जब हमने देखा कि कितने हमारे रिश्तेदार, हमारे जानने वाले परेशानी में आ रहे है, क्योंकि दिल्ली में उस समय कुछ अलग ही माहौल था, चारो तरफ लोग कोरोना के कारण त्राहि त्राहि कर रहे थे, तो हमने कुछ ऑक्सिजन सिलिंडर को खरीदकर मुफ्त में जरूरतमन्दों को बांटने का काम किया। जिससे कि उनकी दिक्कत कम हो पाए।

राजीव सरदाना ने कहा कि हमारा जो विज़न है वह बड़ा ही सिंपल है| राजेश जी जिस ऐप का निर्माण कर रहे है, ‘फ्री ऑक्सिजन फ़ॉर इंडिया’ के नाम से जिसकी अभी टेस्टिंग चल रही है, वह यह कि आप एक सिलिंडर खरीदिये और उसे अपने पास रखिए लेकिन इस सिलिंडर का लोकेशन हमारे पास रहेगा। यदि हमें उस सिलेंडर की आवश्यकता पड़ती है तो हम उसे इस्तेमाल में ले सकें।

उन्होंने कहा कि हमने 7 फ्री ऑक्सिजन रिफिलिंग पॉइंट बनाये है। वैसे ही हम चाहते है कि हम उसको 100 की तादात में लेकर जाएं। वैसे ही हम चाहते है कि 1000 ऑक्सिजन पॉइंट्स हो जिसकी लोकेशन ऐप पर मौजूद हो और जरूरत पड़ने पर हम वहां से ऑक्सीजन सिलेंडर कलेक्ट कर सकें।

राजीव ने कहा कि कोरोना की जो दुसरी वेव आयी थी उसमें लोगों को समझ नही आ रहा था कि क्या करना है, इस चक्कर में वह ऑक्सिजन सिलेंडर को ठीक ढंग से चेक भी नही करते थे कि कौन से सिलेंडर हम लेकर जा रहे है, क्या इस सिलेंडर की टेस्टिंग पहले हुई थी या नही या इस सिलेंडर में पहले कौनसी गैस भरी हुई थी।

उन्होंने कहा हमें सिलेंडर लेने से पहले इन सब चीजों का ध्यान रखना है साथ ही हमे यह भी देखना है कि हम जानने वाली कंपनियों के ही ऑक्सीजन सिलेंडर का इस्तेमाल करें| अगर आपके पास अमेरिकन बेस्ड कंपनी के अलुमिनियम सिलेंडर है तो और भी अच्छा है।

राजेश नारायण ने कहा कि मुझे बहुत ही मोटिवेशन मिला था जब मैंने राजीव सरदाना जी का पहला इंटरव्यू देखा, मुझे लगा कि कुछ करना चाहिए। उन्होंने कहा मेरा बैकग्राउंड आईटी से आता है तो मैंने सोचा कि किस तरह से हम आईटी को इसमें शामिल कर सकते है, लोगों को इस महामारी से बचाने के लिए। इसपर मैंने राजीव से भी बात की और हमने डिसाइड किया कि हम एक एप्पलीकेशन का निर्माण करेंगे जिससे जिसको भी ऑक्सिजन सिलिंडर की आवश्यकता है उसको वह आसानी से मिल सके।

राजेश ने बताया कि एप्पलीकेशन के माध्यम से हम ऑक्सिजन सिलेंडर को ट्रैक तो कर पाएंगे, इसके साथ ही हम जिस व्यक्ति के पास से वह सिलेंडर लेंगे अब वह भी एक बार सोचता है कि मेने जो सिलेंडर दिया है क्या उसका सही जगह पर इस्तेमाल हो रहा है या नही| उसके लिए भी इस एप्पलीकेशन में एक ऑप्शन रहेगा जिसके माध्यम से डोनर्स देख पाएंगे कि उनका ऑक्सिजन सिलेंडर कितनी जगह इस्तेमाल हुआ है या उनके सिलेंडर में कितनी ऑक्सिजन बची है।

आयुष ने बताया कि जब हमने ऑक्सीजन वितरण का काम शुरू किया तो शुरुआती दौर में हमारे पास ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए 1 दिन में चार से पांच कॉल्स आती थी। फिर एक दिन मेरे पिताजी ने कहा कि पूरी फैमिली का फ़ोन नंबर हम हेल्पलाइन नंबर के रूप में डिस्ट्रीब्यूट कर देते है उसके बाद एक दिन जब मैं सो के उठा तो मैंने देखा कि मेरा व्हाट्सएप्प पूरा मैसेज से भर चुका है और मेरे पास 8 से 10 काल आ चुकी है। फिर मैंने उन सबको वापस कॉल करना शुरू किया।

यह हम सबके लिए एक भयंकर स्तिथि थी कि सभी को ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत थी और 4 से 5 कॉल से शुरू हुआ यह सिलसिला अब 25 से 30 कॉल तक पहुंच चुका था और यह हमारे लिए काफी मुश्किल रहा इतने सारे कॉल को रिसीव करना क्योंकि हमें इसका कोई पुराना अनुभव भी नही था। फिर धीरे धीरे करके हमे समझ में आया कि हमे इन कॉल्स को किस तरह से हैंडल करना है क्योंकि हमारे पास दूसरे राज्यों से भी ऑक्सिजन सिलेंडर के लिए फ़ोन आने लगे थे और यही नही हमारे पास रात को 2 बजे भी कॉल्स आते थे कि हमें इमरजेंसी बेस पर ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत है तो उस समय मैं और मेरे पिता जी दोनों मिलकर रात में भी जरूरतमन्दों तक सिलेंडर पहुंचाने का काम करते थे।

 

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