दिल्ली के जंतर मंतर पर अपनी माँगो को लेकर वैज्ञानिकों ने किया प्रदर्शन , पढें पूरी खबर

Ten News Network

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नई दिल्ली :– देश के करीब 30 शहरों में हज़ारों की संख्या में वैज्ञानिक, रिसर्च स्कॉलर और छात्र मार्च करते हुए नज़र आए। वही इस कड़ी में आज दिल्ली के जंतर मंतर पर सैकड़ो वैज्ञानिकों ने प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम का आयोजन आज भारत में विज्ञान के सामने आने वाली समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए किया गया, जिसमें विज्ञान और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए कम बजट आवंटन, अवैज्ञानिक और अस्पष्ट विचारों का प्रचार, और साक्ष्य आधारित विज्ञान को खत्म करने का सरकार का निर्णय शामिल है।

विरोध में वैज्ञानिक समुदाय के लोग एकत्र हुए जिनमें डॉ अमिताभ बसु, (सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक, एनपीएल, नई दिल्ली), प्रो नरेंद्र शर्मा (सेवानिवृत्त प्रोफेसर जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज, डीयू), डॉ विनय कुमार (एसोसिएट प्रोफेसर जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज, डीयू और समन्वयक आईएमएफएस दिल्ली आयोजन समिति) व अन्य शामिल हैं।

उन्होंने सभा को भी संबोधित किया और लोगों से सरकार के विज्ञान विरोधी एजेंडे के खिलाफ एक शक्तिशाली आंदोलन बनाने की मांग की। साथ ही इनकी प्रमुख मांग जीडीपी का तीन फीसदी वैज्ञानिक शोध और दस फीसदी शिक्षा पर खर्च करने की थी।

दरअसल सरकार द्वारा दी गई धनराशि को लेकर वैज्ञानिक खुश नहीं है, इन वैज्ञानिकों का कहना है कि जीडीपी के सिर्फ 0.9 प्रतिशत को ही वैज्ञानिक रिसर्च के लिए दिया जाता है जो काफी कम है।

इन वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर दूसरे देश के साथ तुलना किया जाए तो वैज्ञानिक रिसर्च के मामले में हम लोग बहुत पीछे हैं।साउथ कोरिया अपने वैज्ञानिक रिसर्च के लिए जीडीपी के 4.15 प्रतिशत खर्च करता है। जापान में यह 3.47 प्रतिशत है जबकि स्वीडन सरकार 3.16 प्रतिशत और डेनमार्क 3.08 प्रतिशत खर्च करता है, ऐसे में इतनी कम राशि में इन देशों के साथ सुविधाओं और उत्पादकता के मामले में प्रतिस्पर्धा करना संभव नहीं है।

साथ ही मार्च में भाग लेने वाले शिक्षाविदों ने अवैज्ञानिक विचारों को लेकर चिंता जाहिर की, इनका कहना है वर्तमान विद्यालय और महाविद्यालय प्रणाली से निकलने वाले छात्रों के दिमाग में कोई भी ‘वैज्ञानिक मस्तिष्क’ नहीं है इसलिए विज्ञान में उपयोगी करियर के लिए आमतौर पर ऐसे बच्चे अनुपयुक्त हैं।

चीजों को और भी ख़राब बनाने के लिए, स्कूल की पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रम में भी अवैज्ञानिक विचारों को पेश किया जा रहा है। शैक्षिक प्रशासकों और पाठ्यपुस्तकों के अनुचित व्यक्तिगत विश्वासों को शिक्षा प्रणाली में घुसपैठ करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

हाल के दिनों में गैर वैज्ञानिक मान्यताओं और अंधविश्वास फैलाने का प्रयास बढ़ रहा है।कभी-कभी, सबूतों की कमी के तौर पर अवैज्ञानिक विचारों को विज्ञान के रूप में प्रचारित किया जाता है जिसे रोका जाना चाहिए

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