सहारा की कमाई और सर्वोच्च न्याया लय.
जब काले धन की जाँच के मामले को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने हाथ में लिया और SIT का गठन किया तो लोगों को लगा कि अब प्रभावशाली राजनीतिज्ञ और पूंजीपति बच नहीं पायेंगें ,खासतौर पर जब सर्वोच्च न्या० ने मोदी सरकार की इस बात को लेकर खिंचाई की , कि सरकार विदेशों से प्राप्त सूचियों में शामिल लोगों के नाम सार्वजनिक नहीं कर रही है तो मीडिया के कुछ लोग हर्शातिरेक से उछलने लगे , पर अगली ही पेशी में यह देख कर थोड़े शर्मा गये कि नाम देखने को नसीब नहीं हुए.मैंने उस समय यह आशंका व्यक्त की थी कि कहीं यह मामला न्यायालयों में न फंस जाये और सरकार को अपनी वचनबद्धता से भागने का आसान रास्ता न मिल जाये,क्योंकि बड़े राजनीतिग्यों और पूंजीपतियों के मामले में सर्वोच्च अदालत और अन्य अदालतों का रिकोर्ड इस बात की गवाही नहीं देता है कि इन लोगों को वाकई सजा मिल सकती है.अब आप सहारा के मालिक के विरुद्ध चल रही कार्यवाई को देखिये.२०११ में SEBI के निदेशक ने इस मामले को पकड़ा और निर्णय दिया कि सहारा के निवेशकों का बड़ा भाग फर्जी है और सर्वोच्च अदालत ने आदेश भी पारित किया कि सहारा कि कम्पनियाँ ३ माह के अंदर २४००० करोड़ रूपया सेबी के पास जमा करें .सुबरतो राय की झूटी कहानियों से परेशान हो कर कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया और वे ९ महीनो से जेल में हैं .सर्वोच्च अदालत ने उन्हें ५००० करोड नकद और ५००० करोड की बैंक गारंटी देने पर जमानत देने का ओफर दिया हुआ है ,पर सहारा श्री गज़ब के दुस्साहसी है , देश की सबसे बड़ी अदालत के काबू में नहीं आ रहें हैं ,अब उन्होंने विदेशी बैंक से ४००० करोड का कर्जा लेने का प्रस्ताव किया है .जिस रस्ते से यह पैसा लाने की कोशिश हो रही है वाह रहस्यपूर्ण है और अब अदालत द्वारा यह जानने की कोशिश नहीं की जा रही है की यह गुमनामी निवेश किन लोगों का है .इस मामले में SIT गठित की जा सकती है और सहारा की कंपनियो को संपत्ति सहित जब्त किया जा सकता है ,पर ऐसा लगता है कि कोर्ट को फंसा दिया गया है.यह तो पहला ही मामला है ,क्या काले धन के अन्य मामलों में भी कुछ ऐसा ही नहीं होगा , सरकार और सर्वोच्च न्या० को कोई कारगर और ईमानदार रास्ता तलाशना होगा , अकेले अदालत ज्यादा नहीं कर सकती .
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