सकारात्मक सोच और बेहतर मार्गदर्शन दिशाहीन युवा वर्ग के लिए होगा महत्वपूर्ण साबित | टेन न्यूज पर बोली युवा पीढी

ABHISHEK SHARMA

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हमारे देश में बहुत बड़ी आबादी युवा है, लेकिन बहुत सारे नौजवानों की उद्दंडता बढ़ती जा रही है। सोशल मीडिया में किसी भी प्रतिष्ठित व्यक्ति की पोस्ट पर गालियां दे देना उनके लिए आम बात है। गाड़ी चलाते समय छोटी-छोटी बातों के लिए झगड़ा हो जाता है। एक दुखद घटना नोएडा-63 के एक गांव की है। एक लड़की छिजारसी से विजय नगर पढ़ने जाती थी। इस बीच रास्ते में तीन युवक उसके साथ छेड़खानी करते थे। थाने में शिकायत करने के बाद भी कुछ कार्रवाई नहीं हुई, तो उसने खुदकुशी कर ली। उस लड़की का जीवन तो समाप्त हुआ ही, उन तीनों लड़कों का जीवन भी बर्बाद हो गया। वे अब जेल की हवा खाने को मजबूर हैं। युवाओं की एक बड़ी आबादी आज दिशाहीन है। यदि समय रहते इन्हें सही राह नहीं दिखाई गई, तो सबसे युवा आबादी वाला देश कहते समय हमें गर्व की अनुभूति नहीं होगी, बल्कि हम शर्मिंदगी महसूस करेंगे।

दिशाहीन युवा वर्ग को सही राह दिखाने के लिए टेन न्यूज़ नेटवर्क ने ऑनलाइन वेबीनार आयोजित की, जिसमें मुख्य चर्चा का केंद्र युवा वर्ग रहा और दिशाहीन युवा वर्ग को किस तरह से सही रास्ते पर लाया जाए, इस बात पर चर्चा हुई। इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि इसमें सभी पैनलिस्ट युवा वर्ग के रहे।

संचालक-
शिक्षाविद व समाजसेवी मोहित नागर (डायरेक्टर पैरामाउटं लिटिल ऐंजल्स स्कूल, प्लेनेट अवार्डी ,लंदन)

पैनलिस्ट
– अर्जुन सिहं
प्रो कबडडी़ कोच यू.पी योद्धा,
यू.पी मुख्यमत्रीं द्वारा सम्मानित

– स्वेता नगरकोटि
वर्तमान में यू.पी.एस.सी परीक्षा उत्तीर्ण

– गौरव भाटिया
प्रफ़ेशन से इंजीनियर
पसंद से व्यवसायिक

– रोहित चौधरी
प्रो कबडडी खिलाडी़ टीम यू.पी योद्धा

– सोनाली जालुका (सीए)

– सुरभि बंसल (सीए)

– सुरभि भाटी (Motivational speker)

सोनाली जालुका ने अपने वक्तव्य में कहा अगर युवा दिशाहीन हो जाए तो उसकी जिम्मेदारी किसी और पर नहीं थोप सकते। हमारे एक्शन तय करते हैं कि हम किस दिशा में आगे बढ़ेंगे। आज के समय में हमारे देश में भेड़ चाल का माहौल है। अगर एक इंसान कोई रास्ता सुनता है, तो उसको देखकर चार और लोग उसी रास्ते पर चल देते हैं। गलत रास्ते पर ज्यादा लोग चलते हैं, जबकि गलत रास्ते पर पीछे भीड़ खड़ी हो जाती है। उन्होंने कहा कि आज मैं सीए बन गई हूं। लेकिन अभी तक मेरी प्रेक्टिस नहीं हुई है, मैं भविष्य में एक मोटिवेशनल स्पीकर बनना चाहती हूं। क्योंकि जब मैंने यह लाइन चुनी तो कोई बताने वाला नहीं था और उनको देखकर मैं अभी इस रास्ते पर चल निकली।

उन्होंने कहा कि आज के समय में पढ़ाई पैसा कमाने का एक जरिया बन गया है, ऐसा लोग सोचते हैं। जबकि शिक्षा से एक इंसान आगे बढ़ता है। उन्होंने कहा कि किताब हमारी सच्ची साथी होती हैं। निरंतर रूप से अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए, उनका अनुसरण करना चाहिए और जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करना बेहद जरूरी है। अपनी काबिलियत को देखते हुए खुद सोचें व समझे कि हम क्या कर सकते हैं। दूसरी ओर बच्चों को सही मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। अभिभावक अपने बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना न करें। इससे बच्चा गलत रास्ते पर भटक सकता है और न ही बच्चे पर किसी तरह का दबाव डालना चाहिए, उनको अपना भविष्य तय करने के लिए स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए।

स्वेता नगरकोटि ने कहा कि सबसे पहली बात, बच्चों को सही मार्गदर्शन की बेहद जरूरत होती है। उनको समय-समय पर बताते रहना चाहिए कि वह किस दिशा में चल रहे हैं। अगर वह गलत दिशा में हैं तो प्यार से उन्हें समझाएं और सही दिशा पर चलने के लिए प्रेरित करें, यह अभिभावकों का फर्ज होता है। वही बच्चों को भी बड़ों से प्रेरणा लेनी चाहिए। अगर उनको कोई समस्या है तो बेझिझक अपने अभिभावकों या शिक्षकों से उसके बारे में चर्चा करें, जिससे कि समस्या का समाधान मिल सके।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा आजकल बच्चों पर शुरू से ही अभिभावकों द्वारा अच्छे नंबर लाने का दबाव डाल दिया जाता है। ऐसा ना करके बच्चों का सपोर्ट करें और यह जानने की कोशिश करें कि बच्चा किस क्षेत्र में बेहतर कर सकता है, उस और बढ़ाने के लिए कुछ प्रयास करने चाहिए। अगर बच्चे पर अच्छे नंबर लाने का दबाव डाला जाए तो उससे बच्चे का मानसिक विकास शायद सही ढंग से ना हो पाए। बच्चों को शुरू से ही मोरल वैल्यू के बारे में बताया जाए। उन्होंने कहा कि हमारा देश पूरे विश्व में सबसे युवा देश है। यहां 65% आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। इस हिसाब से देश के विकास की जिम्मेदारी हमारे युवाओं के कंधों पर हैं और इस बात का अहसास उन्हें दिलाते रहना चाहिए।

गौरव भाटिया ने अपनी बात रखते हुए कहा कि युवा के साथ हम बहुत तेजी से काम कर रहे हैं। हमारा देश पूरे विश्व में सबसे युवा देश है। हमारे देश का युवा बेहद मजबूत, शक्तिशाली है और वे अपने लक्ष्य को लेकर बेहद चिंतित रहते हैं। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि एक बच्चे को सही प्लेटफार्म प्रदान करने के लिए दो लोगों का महत्वपूर्ण रोल रहता है। एक तो हमारे अभिभावक, जिनसे हम संस्कार सभ्यता और संस्कृति सीखें, लोगों के प्रति अपना व्यवहार कैसे रखना है, यह भी बताना अभिभावकों की जिम्मेदारी है। दूसरा हमारे कॉलेज और स्कूल की शिक्षा महत्वपूर्ण रोल निभाती है।

उन्होंने कहा कि अगर हम सोलवीं सदी की बात करें तो भारत की जीडीपी 27% थी लेकिन जब हम अंग्रेजों से आजाद हुए तो हमारा जीडीपी केवल 4% थी। यह बदलाव इसलिए आया क्योंकि 1835 में अंग्रेजों ने हमारे एजुकेशन सिस्टम को बदल दिया और 1835 से लेकर अब तक करीबन 5 से 6 पीढी शिक्षा ग्रहण कर चुकी हैं लेकिन सबके अंदर यही विचार डाला जाता है कि बेटा अच्छा पढ़ लिख ले ताकि अच्छी नौकरी लग जाए।

उन्होंने कहा मेरा मानना है कि बच्चों को शुरू से ही यह शिक्षा देनी चाहिए कि अच्छी पढ़ाई लिखाई कर लो ताकि और लोगों को भी रोजगार दे सको। हालांकि अभी देश में नई शिक्षा नीति आई है और हम आशा करते हैं कि इस शिक्षा नीति में काफी बदलाव किए जाएंगे। जिससे हमारे देश का युवा वर्ग आत्मनिर्भर बन सकें और लोगों को भी आत्मनिर्भर बनाने में अपना सहयोग दे सके। उन्होंने भी यही कहा कि अगर हमारे देश के युवा को सही मार्गदर्शन और शिक्षा प्रदान की जाए तो वह बड़े से बड़ा काम बहुत आसानी के साथ कर सकता है।

सुरभि बंसल ने अपने वक्तव्य मे कहा, जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे देश की आजादी में लाखों युवाओं का बेहद महत्वपूर्ण योगदान रहा। लेकिन उन सब का मार्गदर्शन करने के लिए उनके पास बड़े बुजुर्ग लोग थे। जिन्होंने उन्हें समझाया कि किस तरह से अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़नी हैं और किस तरह से हमें आजादी मिल सकेगी। आज के युवाओं को देख कर बहुत दुख होता है कि उनको पता ही नहीं है कि वह किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जो कि एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है।

कबड्डी खिलाड़ी रोहित चौधरी ने कहा कि अगर देश का युवा सही रास्ते पर आगे नहीं बढ़ रहा है तो यह देश के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं। उन्होंने कहा, मैं स्पोर्ट्स से जुड़ा हुआ हूं, इसलिए मेरा मानना है कि अगर युवा स्पोर्ट्स में अपना दिमाग लगाएं और समय दें, तो वह अपने जीवन में काफी कुछ कर सकता है। आज के समय में कबड्डी ने भी अपनी अलग पहचान बनाई है। युवाओं को खेल के प्रति अग्रसर होना चाहिए, जिससे वे स्वस्थ रह सकते हैं और खेल में ही अपना करियर बना सकते हैं।

उन्होंने कहा कि आज का युवा मेहनत करना नहीं चाहता है, जबकि खेल हो या पढ़ाई हर क्षेत्र में मेहनत की बेहद आवश्यकता है। वही आजकल अभिभावक भी अपने बच्चे को बेहद लाड प्यार से रखते हैं, उनसे कुछ नहीं कहते, क्योंकि बच्चा गुस्सा हो सकता है। मैं अभिभावकों से यही कहना चाहूंगा कि चाहे खेल हुए हो या पढ़ाई, जब तक बच्चा मेहनत नहीं करेगा तो आगे नहीं बढ़ सकेगा। हर क्षेत्र में कड़ी परिश्रम की जरूरत होती है।

 

कबड्डी कोच अर्जुन सिंह ने कहा कि बच्चे की सबसे अधिक जिम्मेदारी उसके अभिभावकों के ऊपर होती है। अपने बच्चे को अभिभावक से ज्यादा और कोई नहीं समझ सकता है। उन्होंने कहा कि अगर बच्चा गलत संगति में जा रहा है तो उसे स्पोर्ट्स में डाल देना चाहिए, क्योंकि अगर बच्चा स्पोर्ट्स में रहेगा तो वह मेहनत भी करेगा, जिससे उसका शारीरिक एवं मानसिक विकास अच्छे से हो सकता है।

उन्होंने कहा मेरा मानना है कि अगर कोई भी बच्चा गलत रास्ते पर चल रहा है तो उसकी जिम्मेदारी उसकी संगति और यार दोस्तों की है। बच्चा अगर अच्छी संगति में हैं तो वह अच्छा सोचेगा और जीवन में अच्छा करेगा। अगर बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से तंदुरुस्त है तो वह खेल और पढ़ाई दोनों में अच्छा करके दिखाएगा। 18 से 28 की उम्र किसी भी युवा के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इसी उम्र में बच्चे बनते हैं इसी उम्र में बिगड़ते हैं बस अंतर दिशा प्रदान करने का है जैसी बच्चे को दिशा मिलेगी वह उसी राह पर आगे बढ़ेगा।

सुरभि भाटी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि किसी भी युवा को जीवन में आगे बढ़ना है तो सबसे पहले उसका दिमाग शांत होना चाहिए और अगर शांत नहीं है तो उसके लिए मेडिटेशन और योगा निरंतर रूप से करते रहें हर व्यक्ति को एक लक्ष्य के साथ जीवन में आगे बढ़ना चाहिए किसी भी रास्ते पर चलने से पहले उसकी अच्छाइयां और बुराइयां दोनों के बारे में हमें जान लेना चाहिए तभी उस पथ पर आगे चले हमें गलत संगति से दूर रहना चाहिए तभी हम जीवन में कुछ कर सकते हैं सबसे अहम बात जो है वह यह है कि एक व्यक्ति को हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए जब तक हमारी सोच सकारात्मक रहेगी तो हमें कोई भी बाबा हमारे लक्ष्य से नहीं भटका सकती।

उन्होंने आगे कहा कि अभिभावकों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और बच्चा किस दिशा में आगे बढ़ रहा है, इसकी जानकारी भी अभिभावकों को ही रखनी चाहिए। बच्चे को अच्छे संस्कार देना भी माता-पिता की जिम्मेदारी होती है।। उन्होंने कहा कि अभिभावकों को बच्चे के सामने अपने पैसे के बारे में बात नहीं करनी चाहिए। बच्चे को यह नहीं पता चलना चाहिए कि हमारे पास कितनी संपत्ति है। अगर बच्चे को यह पता चले कि उनके पास बहुत पैसा है तो फिर वह अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं, क्योंकि वह सोचते हैं की हमारे पास बहुत पैसा है, कुछ काम करने की जरूरत ही क्या है।

संचालक मोहित नागर ने कई उदाहरण दिए, जिससे कि युवा सही रास्ते पर चल सकता है। उन्होंने इस दौरान एक कहावत बताइ, जिसमें उन्होंने स्वामी विवेकानंद का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद एक जंगल से गुजर रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि पानी में एक सांप बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने एक लकडी उठाई, जिसका एक छोर उन्होंने खुद पकड़ा और दूसरा छोर पानी में डाल दिया जिस पर चढ़कर सांप बाहर आ गया और दूसरे छोर पर उनके हाथ को काट लिया। जैसे ही सांप ने उनको काटा तभी लकड़ी पानी में गिर गई। इसके बाद स्वामी विवेकानंद ने फिर से लकड़ी उठाई और सांप को बाहर निकाला, फिर से सांप ने काट लिया। इससे यह सीख मिलती है कि अगर मनुष्य के अंदर अच्छाई है और सामने वाला व्यक्ति बुरा है और अगर हम अपनी अच्छाई पर डटे रहें तो बुराई का हम पर कोई असर नहीं होगा।

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