“कोरोना महामारी में लोगों की सेविंग्स हो रही है खत्म, पॉलिसी दे रही है साथ,” टेन न्यूज़ के कार्यक्रम में बोले आर्थिक विशेषज्ञ 

Ten News Network

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ग्रेटर नोएडा :– देश में कोरोना का प्रकोप जारी है, जिसके चलते बहुत से राज्यों में लॉकडाउन लगा है | लॉकडाउन की वजह से बहुत से लोगों की नौकरी जा चुकी है, भारी संख्या में लोग बेरोजगार हुए है | व्यपारियों की बात करें तो सभी के कारोबार ठप हो चुके है | जिसके बाद अब लोगों की सेविंग खत्म हो रही है, लोग परेशान हो रहे है की आखिर सेविंग खत्म होने के बाद उनकी क्या हालत होगी? ये सवाल सभी के मन में चल रहे है |

 

वही इस मामलें को लेकर टेन न्यूज़ नेटवर्क ने रविवार को एक परिचर्चा का आयोजन किया, जिसका विषय “बुरे समय में वित्त प्रबंधन” रहा | इस परिचर्चा में ग्रेटर नोएडा स्थित बिमटेक संस्थान के सह-प्रोफेसर मनोज पांडेय, बजाज एलियांज लाइफ इंश्योरेंस के उपाध्यक्ष राहुल चौरसिया, एयू म्यूच्यूअल फाइनेंसियल सर्विसेज के निदेशक अजित सिंह, इन्वेस्टमेंट एडवाइजर संजय चतुर्वेदी शामिल हुए |

 

इस कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर मनोज पांडेय ने किया | आपको बता दे की प्रोफेसर मनोज पांडेय एक मशहूर आर्थिक विशेषज्ञ है, उन्होंने आर्थिक मामलों में बहुत से महत्वपूर्ण विचार दिए है, जिसको लोगों ने अपनाया भी है, साथ ही प्रोफेसर मनोज पांडेय इंश्योरेंस क्षेत्र में  भी मशहूर विशेषज्ञ है |  प्रोफेसर मनोज पांडेय ने एक्सपर्ट्स से महत्वपूर्ण प्रश्न किए, जिसका जवाब एक्सपर्ट्स द्वारा दिए गए | बता दे की यह कार्यक्रम टेन न्यूज़ नेटवर्क के यूट्यूब और फेसबुक चैनल पर प्रसारित किया गया |

 

प्रोफेसर मनोज पांडे ने कहा “जैसा कि आप जानते हैं कि कोरोना महामारी हमारे लिए बहुत चुनौती पूर्ण रहा है, हमने बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं, साथ ही इस महामारी से हमारी अर्थव्यवस्था को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचा है, दिक्कत यह है कि जो पिछला वेव था, जो काफी सिमिलर था, उसको हमने काफी अच्छी तरीके से खत्म किया था लेकिन कोरोना महामारी के चलते हमारी आर्थिक हालत ख़राब हो गई है” |

“उन्होंने कहा की हकीकत यह है कि आजादी के बाद हमारी अर्थव्यवस्था डाउन चली गई, आपने देखा होगा कि किस तरह कोरोना महामारी में प्रवासी मजदूर मुंबई, गोवा, दिल्ली से अपने घर की तरफ चल पड़े | जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई, क्योंकि कोरोना महामारी में सरकार की तरफ से लॉकडाउन लगाया गया था जिसमें इंडस्ट्रीज से लेकर सभी व्यवस्थाओं को एक तरीके से बंद कर दिया गया था, जिससे कोरोना संक्रमण न फ़ैल सके | उस दौरान हमने देखा कि लॉकडाउन की वजह से बहुत से लोगों की नौकरियां चली गई थी, कुछ जगह लोगों को तनख्वाह कटके मिल रही थी, तो वहीं कुछ लोगों को तनख्वाह देरी से मिल रही थी | दिसंबर और जनवरी में हालात सुधरने लगे थे, तभी हमें फरवरी से दूसरी लहर का सामना करना पड़ा | वही इस दूसरी लहर से कुछ बचे हुए लोगों की सेविंग भी खत्म हो गई, मतलब पहले से जो बेरोजगार लोग थे, जिन्होंने अपनी कुछ सेविंग बचा के रखी थी, वह धीरे-धीरे खत्म होने लगी” |

 

“दरअसल दूसरी लहर इतनी खतरनाक थी कि में हर एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित था, जिस के इलाज में बहुत सारा पैसा भी खर्च हुआ, जिसकी वजह से जुड़ी हुई सेविंग भी खत्म हो गई, अब हालात यह है कि लोगों के पास ना तो रोजगार है और ना ही कुछ बचा हुआ पैसा, जिससे कि वह अपना जीवन यापन कर ले, बहुत से अभिनेता, कलाकार भी इस परेशानियों से गुजर रहे हैं”।

प्रोफेसर मनोज पांडेय ने कहा की “कोरोना की दूसरी लहर से भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। भारत सरकार के ताजा आंकड़े के अनुसार वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.3 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। वहीं पिछले साल (2019-20) में यह 4 फीसदी रही थी। जबकि चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में जीडीपी ग्रोथ रेट 1.6 फीसदी दर्ज की गई”।

 

इन्वेस्टमेंट एडवाइजर संजय चतुर्वेदी ने कहा “कोरोना महामारी में सबसे ज्यादा उछाल हेल्थ इंश्योरेंस में देखा गया, क्योंकि लोगों की सेविंग खत्म हो रही थी, लोगों को डर था कि आखिर उनके घर में कोई भी सदस्य अगर संक्रमित होता है तो उसके इलाज के लिए पैसे की बहुत सख्त जरूरत होगी, जिसको लेकर लोगों ने हेल्थ इंश्योरेंस कराना शुरू कर दिया क्योंकि मेडिकल इंश्योरेंस कंपनी ने दावा किया था कि इस क्लेम में कोविड-19 भी इलाज होगा, मतलब अगर कोई कोविड-19 होता है, तो इंश्योरेंस वाले अस्पतालों को पैसा देंगे”|

 

साथ ही उन्होंने कहा कि “बहुत से लोगों ने एक एक करोड़ तक के हेल्थ इंश्योरेंस ले रखे हैं, वजह यह है की कोरोना पेशेंट के लिए इलाज में 10 से 15 लाख का खर्चा होता है, जो एक मिडिल क्लास के लिए बहुत बड़ी रकम होती है | खासकर गरीबों के लिए इस रकम को जुटाने के लिए उन्हें काफी सालों तक मेहनत करनी पड़ती है, फिर भी इतनी बड़ी रकम इकट्ठा नहीं कर पाते हैं, यही वजह रही है कि लोगों ने सबसे ज्यादा हेल्थ इंश्योरेंस खरीदा है” |

 

उनका कहना है कि “इस समय कारोबारियों पर कोरोना की दोहरी मार पड़ रही है। एक तो मंदी और उपर से बंदी ने उनकी आर्थिक स्थिति बिगाड़ कर रख दी है, कोविड-19 का भी डर है। जीविकोपार्जन के लिए व्यापार भी मजबूरी है। ऐसे में दुकानदार क्या करें? सरकार भी दुकानदारों को कोई मदद देने को तैयार नहीं है। सरकार टैक्स लेने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। कोविड-19 के कारण हालात खराब है। दुकानदारों को खर्चे निकालना मुश्किल हो रहा है। कुछ दिन हालात ऐसे रहे तो समस्या और गंभीर हो सकती है। लोगों की परचेसिग पावर खत्म हो चुकी है। जिसको लेकर अब व्यापारी भी पॉलिसी का लाभ उठा रहे है, अगर पॉलिसी नहीं होती तो बहुत से व्यापारियों की हालत चिंताजनक होती है ” |

साथ ही संजय चतुर्वेदी ने कहा की “कोरोना वायरस का प्रकोप झेल रही अर्थव्यवस्था में जीवन बीमा कंपनियों का कारोबार अपेक्षित तरीके से बढ़ नहीं रहा है। तभी तो देश में जीवन बीमा के क्षेत्र में काम कर रही कुल 24 कंपनियों के प्रीमियम और पॉलिसी में इस साल जनवरी से जून की अवधि में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इन कंपनियों का प्रीमियम इस साल जनवरी से जून के दौरान 49,335 करोड़ रुपये ही रहा जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 60,637 करोड़ रुपए रहा था। यह 18.64 प्रतिशत की गिरावट है”।

 

“जीवन बीमा क्षेत्र के संगठन लाइफ इंश्योरेंस काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार इस साल पहली छमाही के दौरान सरकारी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी का कुल प्रीमियम 44,794 करोड़ से घटकर 36,530 करोड़ रुपए पर आ गया है। जबकि निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों का प्रीमियम 12,805 करोड़ रुपए रहा है। एक साल पहले इसी अवधि में मिले 15,842 करोड़ के प्रीमियम की तुलना में यह 19.17 प्रतिशत कम है। इसी दौरान पॉलिसी की संख्या में भी गिरावट आई है। यह 13.89 लाख से 14.37 प्रतिशत घटकर 11.89 लाख पर आ गई है”।

 

“कोरोना के डर से पिछले एक साल में 1 करोड़ रुपये तक के हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की बिक्री में जबरदस्त बिक्री हुई है. पॉलिसी बाजार के मुताबिक मैक्स बूपा, केयर हेल्थ इंश्योरेंस और बिरला कैपिटल जैसी कंपनियों को ऐसे प्रोडक्ट के लिए जबरदस्त ग्राहक मिले हैं| पॉलिसी बाजार के अनुसार ऐसी पॉलिसी का हिस्सा साल 2019 के 2 फीसदी से बढ़कर अब 35 फीसदी तक पहुंच चुका है” |

 

“साल 2019 के अंत तक ऊंचे सम इंश्योर्ड पॉलिसी का हिस्सा महज 2 फीसदी था, जो कि अब बढ़कर 35 फीसदी तक पहुंच गया है| गौरतलब है कि कोरोना के इलाज पर लोगों की भारी रकम खर्च हो जाती है| निजी अस्पताल इसके लिए 8 से 10 लाख का बजट बना देते हैं| इसकी वजह से लोग ज्यादा रकम वाले हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी ले रहे हैं” |

 

“इस साल यानी साल 2021 के पहले तीन महीनों में ही 1 करोड़ रुपये से ज्यादा वाले हेल्थ प्लान की पॉलिसी बाजार में बुकिंग बढ़कर 12.5 फीसदी हो गई, जो कि साल 2020 में 9 फीसदी थी. कोविड के डर और अस्पतालों में भर्ती के बढ़ते खर्च को देखते हुए हाई कवर वाले हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की बिक्री बढ़ रही है | एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह जरूरी नहीं है कि ऐसी पॉलिसी महंगी ही हो| कई  बार साल में कुछ हजार अतिरिक्त रकम देकर भी ऐसी पॉलिसी ली जा सकती है| उदाहरण के लिए किसी 25 साल के युवा के लिए पॉलिसी बाजार पर केयर हेल्थ इंश्योरेंस की 1 करोड़ कवरेज वाली पॉलिसी सिर्फ 1133 रुपये प्रीमियम पर उपलब्ध है, जबकि 10 लाख के कवरेज के लिए भी प्रीमियम 810 रुपये महीना होता है” |

एयू म्यूच्यूअल फाइनेंसियल सर्विसेज के निदेशक अजित सिंह ने कहा की “कोरोना वायरस ने इस साल के शुरुआती चार महीनों में ही अर्थव्यवस्था और लोगों की आर्थिक कमर को बुरी तरह से चोट पहुंचा दी है| कोरोना के चलते फिलहाल इस साल के अंत तक लोगों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है | जहां एक तरफ शेयर बाजार लगातार गिरावट के साथ बंद हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर रहीं हैं| कुछ छोटी कंपनियों ने तो अपने कर्मचारियों को बाहर का रास्ता तक दिखा दिया है” |

 

“कोरोना काल ने सबसे पहले जो सीख दी है वो है कि अपना इमरजेंसी फंड को बनाएं| लोग या तो खर्च करते हैं या फिर निवेश करते हैं. वर्तमान स्थिति में लोगों के पास एक इमरजेंसी फंड होना चाहिए, जिससे वो अपनी ईएमआई या फिर बिलों का भुगतान समय पर कर सकें| यह फंड नौकरी छूटने के बाद भी लोगों की बड़ी सहायता करता है| इमरजेंसी फंड बनाने के लिए कम से कम बैंक खाते में छह माह की सैलरी को रखें” |

 

“शेयर बाजार या फिर कहीं भी निवेश करने से पहले अपने लक्ष्यों को देखें|अगर आपका लक्ष्य कुछ और है तो फिर ऐसा कतई न करें| फिलहाल शेयर बाजार में आए दिन गिरावट देखने को मिल रही है, जिसके चलते इसमें निवेश करने से बचना चाहिए | जो लोग शेयर बाजार में फिलहाल निवेश कर रहे हैं वो किसी भी सूरत में शॉर्ट टर्म के लिए निवेश न करें. इससे उनको नुकसान हो सकता  है. वहीं शॉर्ट टर्म में निवेश के लिए डेट फंड और बैंक डिपॉजिट को प्राथमिकता दी जा सकती है” |

 

“केवल कंपनी से मिलने वाले स्वास्थ्य बीमा के भरोसे न रहें| कोरोना वायरस ने सीखा दिया है कि स्वास्थ्य बीमा खरीदना परिवार के लिए कितना जरूरी है| आप एक ऐसी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी को खरीदें, जो मुश्किल समय में आपके परिवार की तमाम जरूरतों को पूरा कर सके | हम हमेशा जिंदगी को एक ग्रांट के तौर पर लेते हैं, जैसे ही किसी तरह के कमर्फट जोन में आते हैं| लेकिन कोरोना ने सीखा दिया है कि हम ज्यादा मेहनत करते हुए एक वैकल्पिक आय का जरिया भी बना लें| ऐसा हम पार्ट टाइम नौकरी, फ्रीलॉन्सिंग, ऑनलाइन कंटेंट तैयार करना या फिर प्रॉपर्टी को किराये पर देकर के कर सकते हैं” |

 

साथ ही अजीत सिंह ने कहा की “कोई भी पॉलिसी अगर ली है तो यह ना समझे कि वक्त सही था या बुरा, मतलब पॉलिसी का फायदा सही समय पर मिलता है, तो वही बुरे वक्त में भी यह पॉलिसी साथ देती हैं | जैसा कि देखा गया है कि हेल्थ इंश्योरेंस पर लोगों का जो फोकस था वह इसलिए था क्योंकि कोविड-19 के दौरान लोगों के पास पैसा नहीं था और इलाज में लाखों रुपए खर्च हो रहे थे, जिसका खामियाजा बहुत से लोगों ने देखा है|

बजाज एलियांज लाइफ इंश्योरेंस के उपाध्यक्ष राहुल चौरसिया ने कहा की “अक्सर देखा गया है जब परिस्थिति किसी व्यक्ति के विपरीत होती है, तो सबसे ज्यादा उस व्यक्ति को डर लगने लगता है , मतलब अगर कोई व्यक्ति जहाज में बैठा है और जहाज हील ढुल जाए , तो वह व्यक्ति डर जाता है और यही डर कोरोना महामारी में लोगों को अंदर देखने को मिला है | लोगों ने जब देखा कि कोरोना महामारी का इलाज बहुत ही महंगे दामों में हो रहा है, तो लोगों के अंदर डर बैठने लगा लोगों की यह डर लगने लगा आखिर अगर कोई व्यक्ति संक्रमित होता है, तो उसके इलाज के लिए लाखों रुपए खर्च होंगे, जिसके चलते लोग पॉलिसी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और वह जरूरी भी है, आखिर यह पॉलिसी बुरे वक्त में बहुत साथ देती है” |

 

उन्होंने कहा कि “जब लोग नौकरी करते हैं, तो उसे समय बहुत सी पॉलिसी लेते हैं, जिसमें लोग पैसे इकट्ठे करते हैं कि ताकि बुरे वक़्त में यह पैसा काम आये, पर आखिर में देखा गया है कि लोगों की धीरे-धीरे सेविंग खत्म हो रही है, लेकिन जिन लोगों के पास यह पॉलिसी है , उन लोगों को ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ रहा है” |

वही कार्यक्रम के अंत में प्रोफेसर मनोज पांडेय ने सभी विशेषज्ञों को धन्यवाद ज्ञापित किया, साथ ही लाइव के दौरान दर्शकों द्वारा आए प्रश्नों के जवाब विशेषज्ञ द्वारा दिए गए |

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