30 वर्ष का ग्रेटर नोएडा अब एक युवा शहर, जोश और उमंग से होगा विकास: सीईओ नरेंद्र भूषण
Ten News Network
ग्रेटर नोएडा :– ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अपना 30वां स्थापना दिवस मनाया , वही 30वें स्थापना दिवस पर ग्रेटर नोएडा के निवासियों को अनेक तोहफे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से दिए गए | वही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 30वे स्थापना दिवस के अवसर पर टेन न्यूज़ की तरफ से विशेष संदेश सत्र बुलाया गया। जिसमें ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण, योगेन्द्र नारायण (एक्स आईएएस, पूर्व मुख्य सचिव, ग्रेटर नॉएडा प्राधिकरण के पूर्व चैयरमेन ), बृजेश कुमार (एक्स आईएएस , ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पूर्व चैयरमेन) , बिमेटक संस्थान के निदेशक डॉ हरिवंश चतुर्वेदी, ईपीसीएच के महानिदेशक डॉ राकेश कुमार , ग्रेटर नोएडा के समाजसेवी आलोक सिंह, अग्नि संस्था के वरिष्ठ अधिकारी आदित्य घिल्डियाल , ग्रेटर नोएडा के वरिष्ठ महानुभाव शामिल हुए |
इस कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर विवेक कुमार (उप निदेशक, एमिटी विश्वविद्यालय) ने किया जिस दौरान विशिष्ट अधिकारियों समेत ग्रेटर नोएडा के गणमान्य लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी।
कार्यक्रम की शुरआत में योगेन्द्र नारायण (एक्स आईएएस , प्रथम अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी , ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण एवं पूर्व मुख्य सचिव , उत्तर प्रदेश) ने कहा की ग्रेटर नोएडा के स्थापना के बारे में सबसे पहले जो सपना देखा था वो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने देखा था। उनका ही मत था कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बारे में सोचा जाए, विचार किया जाए और प्लान बनाया जाए । उस समय में भारत सरकार के जॉइंट सेक्रेटरी पद पर तैनात था | शिपिंग एवं ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री बन्द होने जा रही थी, तो मैंने अपने चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखा कि मैं दिल्ली के आस – पास` रहना चाहता हूं। तो उन्होने मुझसे पूछा की क्या आप ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चैयरमेन बनोगे , तो मैंने कहा – हाँ बिल्कुल तो फिर उन्होंने कहा की उस जगह ना कोई आफिस है ना कोई फर्नीचर है और ना ही कोई अधिकारी है और ना ही पैसा है। तो मैंने कहा ये बहुत बड़ा चैलेंज है मेरे लिए और में इस चैलेंज को स्वीकार करता हूँ। तो इन तरह ग्रेटर नोएडा नाम के सपने ने आकर लेना शुरू किया।
उन्होंने कहा की शुरू में मैंने एक इंस्टिट्यूट से ही ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की कमान संभाली , फिर हमने प्लानिंग शुरू की। पहले तो हमारे पास दो विकल्प थे , पहला जिस तरीके से नोएडा के विकास हुआ था उसकी योजनायें बनी थी या तो उसके अनुरूप चलते। पर में चाह रहा था कि जो में शहर बनाऊ वो बहुत ही हटके हो और वो भारत का नंबर एक का शहर हो , तो मैने उत्तर प्रदेश सरकार से ये अनुमति मांगी की जो हमारे उत्तर प्रदेश के टाउन एवं विलेज कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट है उससे हटकर दिल्ली के स्कूल ऑफ आर्किटेकचर प्लानिंग जो कि रिंग रोड पर है उससे स्ट्रक्चर बनवाया जाए । तो उन्होने हमे इसकी अनुमति दे दी। उस समय इसके डायरेक्टर मिस्टर रिबेरो थे तो उन्होंने मझसे कहा कि आप सिर्फ एक आर्किटेक को मत ले जाओ , यहां से आप पूरे स्कूल को ही इसमें शामिल कर लो, हमारे पास पूरी सुविधाएँ भी उपलब्ध है |
योगेंद्र नारायण ने कहा की एक अग्रीमेंट साइन हुआ , स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर प्लानिंग और हमारे बीच | ग्रेटर नोएडा के डेवेलपमेंट का और राज , जिसपर आपको यकीन नही होगा कि 1991 मैं सिर्फ 5 लाख रुपये में ग्रेटर नोएडा के डेवेलपमेंट की प्लानिंग हुई। फिर हमने देखा कि नोएडा के लोगो की बहुत शिकायतें थी नोएडा ऑथोरिटी से। फिर इसका हमने अध्ययन किया। उस समय नोएडा प्राधिकरण के चैयरमेन हिमेन्द्र कुमार थे , वो बहुत ही सपोर्टिव थे। मेरे पास न तो आफिस था ना कोई फर्नीचर था , तो उन्होंने मझसे कहा कि आपको जिस चीज़ की जरूरत हो , वो आप यहां से ले जाइए। फिर मैंने धीरे – धीरे करके पहले उनसे स्टाफ लिया, फिर मैंने खामिया जानी की क्या खामियां है नोएडा अथॉरिटी के अंदर। जब ये ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बारे में समाचार प्रकाशित हुआ, तो गांव वाले बहुत निराश हो गए थे कि हमारी भी जमीन जाएगी। तो मैंने सबसे पहले फैसला किया कि मैं वहां के जो प्रधान है, पंच है उनसे पहले बातचीत करूँगा। तो उनके सबके प्रधानो के कार्यालय जो थे, पहले में वहां गया उनसे बातचीत की और उनसे पूछा कि क्या चाहते है आप लोग । जब ग्रेटर नोएडा स्थापित होता है तो क्या मांगे है आपकी तो उन्होंने सबसे पहले कहा कि साहब हमे तो नौकरियां चाहिए और जब नोएडा अथॉरिटी आई थी तो उन्होंने बहुत वादे किए थे , लेकिन हमें नौकरियाँ तो मिली नहीं , हमें बहुत निराशा हुई , बाहर से लोग आ गए नौकरियों के लिए।
दूसरा नोएडा अथॉरिटी के अंदर बहुत सारी समस्याएं थी , उन्होंने जो सोसाइटी बनाई थी उसकी सड़कें बहुत छोटी थी तो इस मामले में स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से बातचीत की । फिर इस तरीके से हमें सफलता मिलती चली गई और फिर हमने सोचा कि जो बिजली की तार है वह सब अंडर ग्राउंड होनी चाहिए। आगे उन्होंने कहा मुझे याद है बृजेश कुमार ने मुझे उस समय कहा था यह जो अंडरग्राउंड वायरिंग है वह बहुत ही महंगी पड़ रही है , हम लोग कैसे करें बहुत ही कम फंड रहता है। तो हमने कहा की प्लानिंग बन गई है उसी के हिसाब से सब होगा। और मैं सबको मुबारकबाद देना चाहूंगा कि जैसा हमने प्लान किया था , सब उसके तहत हो पाया।
बृजेश कुमार (एक्स आईएएस , पूर्व अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण) ने बातचीत को आगे बढ़ाते हुए अपने अनुभव साझा किए और कहा की सबसे पहले जब हमने ग्रेटर नोएडा के बारे में सुना तो मैं और मेरी वाइफ हम दोनों ग्रेटर नोएडा देखने के लिए वहां गए कि आखिर ग्रेटर नोएडा कैसा है तो फिर जब हम वहां गए तो हमने देखा कि घना अंधेरा था और हमें थोड़ा डर भी लग रहा था , हालांकि मैं सरकारी गाड़ी में गया था लेकिन वहां काफी सारे पेड़ थे और कुछ डेवलपमेंट नहीं था तो हमने सोचा सबसे पहले हमें यहां की सप्लाई चालू करनी चाहिए जब भी डिमांड आएगी।
जो भी हमारा डवलपमेंट का प्लान था उसके हिसाब से जो भी 10 से 12 लाख की आबादी है उसके हिसाब से हमारा प्लान था 5 ऑब्जेक्टिव हमने रखे थे डेवलपमेंट के लिए। पहला तो यही था कि सप्लाई डिमांड से ज्यादा हो। दूसरा यह जो शहर हो वहां पर लोगों को आनंद मिले। एक सुखद वातावरण हो। तीसरा यहां के जो लोकल लोग थे उनको शहर बसने के लाभ मिलने चाहिए , इकनॉमिक टर्म्स में भी और अदर टर्म्स मैं भी। चाहे वह एंप्लॉयमेंट में हो या फिर इन्वेस्टमेंट में और चौथा जो हमारा ऑफिस हो वह बहुत ही सेंसिटिव हो लोगों की डिमांड के लिए और मैं मानता हूं कि हमने यह सभी कार्य किया और काफी हद तक हमें सफलता भी प्राप्त हुई।
उन्होंने कहा की हमारे पुराने साथी थे जो टाउन प्लानर थे , वह अमेरिका से लौट कर आए थे और वह मुझसे मिलने आए तो मैंने उनसे पूछा कि बाहर के देश इतने साफ-सुथरे क्यों दिखते हैं हमारे भारत के मुकाबले आखिर क्या दिक्कत है तो उन्होंने मुझसे दो बातें कहीं पहली हम अपने शहरों में ग्रीनरी करके छोड़ देते हैं उसका ख्याल नहीं रखते या तो उस में कचड़ा फैल जाता है और फिर वह ग्रीन नहीं रहता। दूसरा कि हर तरफ कचरा पड़ा रहता है। तो हमने सोचा कि जो डेवलपमेंट है वह रुकनी नहीं चाहिए , पहले हमने सड़कों का काम स्टार्ट किया फिर खंबे लगाना शुरू किए और उसके साथ ही ग्रीनरी का काम भी चालू रखा।
दूसरा किसी ने कहा था कि जब तक शहर नहीं बसता तब तक ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का ऑफिस भी नहीं बन सकता और तब तक हम अपना ऑफिस नोएडा से ही चला रहे थे फिर हमें लोगों की तरफ से कहा गया कि हमें ग्रेटर नोएडा में शिफ्ट हो जाना चाहिए , लेकिन फिर कुछ लोगों ने कहा की यहां तो अस्पताल भी नहीं है, फिर उसके बाद हमने स्कीम निकाली जिसमें कहा गया था कि 6 महीने में जो हमें 50 बेड का चलता हुआ अस्पताल देगा , हम इंटरेस्ट में उनको कुछ छूट देंगे | आपको बता दें सबसे पहले कैलाश हॉस्पिटल इसके लिए सामने आया और उन्होंने हमें 50 बेड की जगह 100 बेड का अस्पताल दिया। फिर ऑफिस शिफ्ट करने की बात हुई और लोगों की तरफ से भी हमें कहा जाने लगा की नोएडा से आप लोग शिफ्ट कर लीजिए ग्रेटर नोएडा में। तो हमने सोचा कि एक छोटा सा टेंपरेरी ऑफिस बना दे जिससे कि हम 3 महीने के अंदर ग्रेटर नोएडा में शिफ्ट हो जाए। फिर हमने काफी सारे इंजीनियर से कांटेक्ट किया और उनसे हमने कहा कि हमें कम बजट में अच्छा ऑफिस चाहिए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के लिए फिर हमारे सामने कई सारे स्ट्रक्चर आए और उसमें से हमने एक फाइनल किया और तय वक्त पर हमें हमारा ऑफिस मिल गया। फिर उसके बाद जो बसावट का काम है वह तेजी से बढ़ने लगा।
जहाँ भूतपूर्व अधिकारी अपने ग्रेटर नोएडा के शुरुआती अनुभव साझा कर रहे थे, वहीं अब बारी थी प्राधिकरण के वर्तमान कर्ता धर्ता, अर्थात मुख्य कार्यपालक की जिन्होंने विस्तार पूर्वक अब की परिस्थितियों से सबको अवगत कराया जाए।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने कहा की किसी शहर के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि उसकी नींव कैसी रखी जाए तो अगर हम ग्रेटर नोएडा की बात करें तो इसकी नीव बहुत अच्छी तरह रखी गई | नींव से मेरा मतलब है जो इसका डवलपमेंट है , उसका रोड मैप बहुत अच्छी तरह से तैयार किया गया , इसीलिए ग्रेटर नोएडा इतना अच्छा डिवेलप हो पाया।
आगे उन्होंने कहा की ग्रेटर नोएडा सिर्फ 30 वर्ष के अंदर ही एक ऐसे मुकाम पर खड़ा है यह न केवल स्टेट के लिए बल्कि पूरे देश के लिए ड्राइवर ऑफ ग्रोथ बनकर सामने आ रहा है। सबसे पहले इंटरनेशनल एयरपोर्ट जिसका हम 15 साल से सपना देख रहे थे , जिसमें ग्रेटर नोएडा का साढ़े 12 प्रतिशत की भागीदारी है। जिसमें साढ़े 300 करोड़ का इन्वेस्टमेंट हुआ है और अगले 30 सालों में साढ़े 1200 सौ करोड़ का रिवेन्यू आने की संभावना है। यह एयरपोर्ट भारत का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होने जा रहा है , जिसमें 5 रन वे होंगे।
सीईओ नरेंद्र भूषण ने कहा कि 30 वर्ष युवाकाल की उम्र है। नया जोश और उमंग जिस तरह युवाकाल में होती है, ठीक वैसे ही शहर के विकास गतिविधियों की है। कुछ गलतियां भी हुईं, लेकिन वह समय के पहिये के साथ सामने आई। इन सभी से सीख लेकर विकास के नये आयाम लिखे जा रहे हैं। ग्रेटर नोएडा आज विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाए हुए है। विदेशी निवेश को आकर्षित कर रहा है। आगे भी करता रहेगा। उन्होंने शहर के विकास कार्यों और आने वाले दिनों में ग्रेटर नोएडा द्वारा प्रदेश के आर्थिक पहिये को गति देने की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा देश का सबसे सुंदर शहर होगा। इसे हैप्पी सिटी बनाया जाएगा।ठोस कूड़ा प्रबंधन, बल्क वेस्ट जनरेटर्स, दिल्ली मुंबई औद्योगिक कारिडोर (डीएमआइसी), इंटीग्रेटेड टाउनशिप, के बारे में विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि डीएमआइसी के विकास से शहर हैप्पी सिटी के तहत स्थापित होगा। डीएमआइसी के तहत 1208 एकड़ क्षेत्र में मल्टी माडल ट्रांसपोर्ट व मल्टी माडल लाजिस्टिक हब विकसित होगा। करीब 3884 करोड़ रुपये के विकास कार्य होंगे। इस परियोजना से क्षेत्र के लोगों की दिल्ली की परिवहन संबंधी निर्भरता खत्म होगी। उन्होंने स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में तीन महीने में विस्तृत कार्ययोजना की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इससे क्षेत्र के ग्रामीण व शहरी युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।
सीईओ नरेंद्र भूषण ने कहा कि वर्ष 2021 के आखिर तक किसानों की छह व 10 फीसद भूखंडों समेत अन्य समस्याओं का निस्तारण कर दिया जाएगा। इस पर तेजी से कार्य हो रहा है। अगले तीन महीने में जीआइएस परियोजना शुरू हो जाएगी। निवासी इंटरनेट से शहर के कोने-कोने की जानकारी कहीं से भी ले सकेंगे।
सीईओ ने कहा कि शहर में योट्टा डाटा सेंटर के बाद जापानी कंपनी की ओर से भी डाटा सेंटर बनाया जा रहा है। करीब आठ हजार करोड़ रुपये के निवेश से ये दोनों डाटा सेंटर बनेंगे। इन दोनों के शुरू होने से शहर देश के डाटा सेंटर की राजधानी बन जाएगा।
जहाँ ग्रेटर नोएडा की पहचान इंडस्ट्रीज से हैं वहीं देश के कोने कोने से अनेकों विद्यार्थी भी यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं। इसी विषय पर शहर के उत्तम शिक्षण संस्थान के अग्रणी शिक्षाविद डॉ हरिवंश चतुर्वेदी (निदेशक , बिमटेक संस्थान , ग्रेटर नोएडा) ने अपने विचार साझा किए।
डॉ हरिवंश चतुर्वेदी ने कहा की ग्रेटर नोएडा में ऐसे लोग बहुत हैं , जो शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं | मैं पिछले 20 साल से इस शहर से जुड़ा हुआ हूं , एक नागरिक के रूप में एक संस्था के प्रमुख के रूप में , मैं सभी से निवेदन करना चाहता हूं की डेट्रॉइट शहर जो किसी जमाने में अमेरिका का ऑटोमोबाइल का बहुत बड़ा सेंटर था , वहां एक गोष्ट शहर बन गया , क्योंकि नई टेक्नोलॉजी आई जो नई चेंज हुए , वहां की इकोनामी में उससे डेट्राइट की कंपनियां अपना तालमेल नहीं बिठा पाई। तो इसी तरीके से शिक्षा में जो नए परिवर्तन आए हैं यहां के जो शिक्षण संस्थान से वह जल्दी जल्दी पैसा कमाना चाहते थे , वह किसी से भी अपना लिंक नहीं बना पाए , इसमें से ज्यादातर संस्थान बंद हो चुके हैं। कागज पर ही वह चल रहे हैं।
आगे उन्होंने कहा की मैं निवेदन करना चाहूंगा ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से की ऐसी पॉलिसी लानी चाहिए जो लोग हिम्मत हार चुके हैं, ऐसे प्रोमोटर से लैंड और वह प्रॉपर्टी स्थानांतरित हो उनके पास जो संस्थानों को चला सकते हैं। दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं वह लोग जो काम करने आते हैं गाजियाबाद और दूसरे शहरों से उनको वह सुविधाएं नहीं मिलती हैं जो वह चाहते हैं एक इंटेलेक्चुअल सिटी बनाने के लिए हमें एक इंडिया हैबिटेट सेंटर या इंडियन इंटरनेशनल सेंटर जैसी सुविधाएं होनी चाहिए। जहां पर इंटेलेक्चुअल एक्टिविटी और कल्चर एक्टिविटी जैसी सुविधाएं हो सके। मैंने पहले भी यह बात उठाई है किताबों की दुकानें यहां पर क्यों नहीं है।
डॉ हरिवंश चतुर्वेदी ने कहा कि, “2007 से 2012 के बीच ग्रेटर नोएडा में शिक्षण संस्थानों की स्थापना तेजी से हुई । लाखों की संख्या में बाहर के प्रदेशों से ग्रेटर नोएडा में विद्यार्थी पढ़ने आते थे , लेकिन उसके बाद से निरंतर इन शिक्षण संस्थानों में संख्या की कमी देखी गई वैसे तो अब भी ग्रेटर नोएडा में करीब डेढ़ सौ शिक्षण संस्थान है पर असल में ग्रेटर नोएडा में 25 से 30 शिक्षण संस्थान ही जमीनी स्तर पर दिखते हैं और बाकी संस्थान कागज पर ही चल रहे हैं। मुझे नहीं पता कि वह क्यों चल रहे हैं पर स्थिति यही है, इन शिक्षण संस्थानों को मजबूत करने के लिए सरकार और अथॉरिटी प्रयासरत है और आने वाले 10 वर्षों में शिक्षा के क्षेत्र में ग्रेटर नोएडा एक मजबूत विकल्प बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि शहर में कोई भी संस्थान अच्छी तरीके से तब चलती है , जब सारी सुविधाएं शिक्षकों और विद्यार्थियों को मिले , आखिर देखा गया है अगर विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए संस्थान में आता है तो वह किससे आएगा | ट्रांसपोर्ट के माध्यम से आएगा अगर ट्रांसपोर्ट नहीं होगा तो विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाएगा वहीं | शिक्षकों के लिए भी सुविधाएं होनी चाहिए मेरा सिर्फ मानना यह है अगर संस्थानों के पास सारी सुविधाएं होंगी तो शहर का नाम रोशन होगा और विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा मिलेगी।”
तत्पश्चात अनेकों गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार साझा किए, जिसकी शुरुआत वरिष्ट समाजसेवी आलोक सिंह ने किया।
वर्षों से ग्रेटर नोएडा के विकास के चश्मदीद रहे आलोक सिंह ने कहा की हम जो भी योजनाएं सुन रहे हैं उनको दिशा देने का कार्य किया गया है। लेकिन आज भी शहर के चौराहों पर जाम लग रहा है जिसके लिए हमें अंडर पास और फ्लाईओवर की आवश्यकता है। देखा यह जाता है जब शहर में बहुत ज्यादा जाम की स्थिति बन जाती है, तब इन चीजों पर कार्यवाही शुरू होती है । जैसे भंगेल का फ्लाईओवर आप देख लीजिए पिछले 15 सालों से वहां की इंडस्ट्रीज की डिमांड थी कि वहां एक बेहतरीन फ्लाईओवर बने जिससे वहां की औद्योगिक गतिविधियों की रफ्तार तेजी से बढ़े और उनके यहां जो लोग आते हैं उनको सहूलियत हो।
“15 वर्षों बाद यह काम शुरू हुआ है , पिछले तीन-चार महीनों से ऐसे ही हालात ग्रेटर नोएडा के ना हो जाए इसके लिए विनम्र निवेदन है की परीचौक पर अंडर पास अति आवश्यक है अभी के लिए नहीं अगले तीन-चार वर्षों के लिए इसकी बहुत जरूरत है पहले इस पर जरूर फोकस किया जाए क्योंकि अभी तो यहाँ जाम नहीं लग रहा है , लेकिन यह शिफ्ट होकर अल्फा गोल चक्कर पर आ गया है। दूसरा मैं यह कहना चाहूंगा की जब क्लीन सिटी की बात होती है तो जब हम किसी कैंट एरिया की तरफ अगर हम जाएं तो वहाँ के एरिया हमें इतना साफ सुथरा क्यों लगता है क्योंकि उसके आसपास की ग्रीनरी, उसकी ग्रीन बेल्ट ना ही आपको आसपास कोई रहेड़ी पटरी मिलेगी ना ही किसी को अलाउड होगा की वह अपने मनपसंद तरीके से वहां पर दुकान खोल सके”, उन्होंने कहा।
आगे उन्होंने कहा हमने 2003 का दौर भी देखा है जब किसी के अंदर हिम्मत नहीं होती थी कि वह कहीं भी कुछ भी लगा ले, वह अपने दुकान के सामने भी कुछ सामान नहीं रख सकता था। आज भी अल्फा कमर्शियल बेल्ट जिसको हम सुंदर बनाने में लगे हुए हैं उसमें धीरे-धीरे अतिक्रमण शुरू होने लगा है। वहां जो भी जिम्मेदार अधिकारी है ग्राउंड लेवल पर उनको अवगत कराया जाए अगर आज इनको नहीं रोका गया तो यह लोग एक समूह बना लेंगे और जगह के लिए ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सामने डिमांड करेंगे।
इसके पश्चात बिल्डरों के हक की अनेकों वर्षों से लड़ाई लड़ रहे अभिषेक कुमार, अध्यक्ष , नेफोवा संस्था ने अपनी बात को आगे बढ़ाया।
नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने कहा की ग्रेटर नोएडा शहर बढ़ता हुआ शहर है और जैसे-जैसे शहर डेवेलप होता जा रहा है वैसे वैसे समस्याएं भी बढ़ती जा रही हैं । उन्होंने कहा की किसान चौक के पास और हनुमान मंदिर के पास हमें अंडरपास की बहुत आवश्यकता है चार-पांच साल के बाद यहां की हालत बेहद खराब हो जाएगी , क्योंकि यहां की पॉपुलेशन बहुत ज्यादा है। दूसरा ग्रेटर नोएडा वेस्ट में फुट ओवर ब्रिज कहीं पर भी नहीं है जो पैदल आने जाने वाले लोग हैं उनको सड़क पार करने में बहुत ही समस्या का सामना करना पड़ता है तो फुट ओवर ब्रिज होना बहुत ही जरूरी है ।
उन्होंने कहा की सांस्कृतिक कार्य करने के लिए हमारे पास कोई भी जगह नहीं है , कार्यक्रम के लिए ग्रेटर नोएडा से बाहर जाना पड़ता है या किसान भाईयों से इसके लिए सहायता लेनी पड़ती है कि वह अपनी जगह दे दे या फिर हमें किसी फार्म हाउस को बुक करना पड़ता है किसी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम को करने के लिए।आखिरी में उन्होंने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ नरेंद्र भूषण से ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अस्पताल बनाने की मांग रखी।
बात इस औद्योगिक शहर की हो और उद्योगपति अपने विचार ना साझा करें यह कैसे मुमकिन है। जितेंद्र पारीक, उद्योगपति , ग्रेटर नोएडा ने इन्डस्ट्री से जुड़े विषयों को उठाया।
जितेंद्र पारीक ने कहा की हम अगर इंडस्ट्रीज में भी कोई डेवलपमेंट सेंटेंस बना पाए क्योंकि जो एमएसएमई है इनके लिए जैसी इंडस्ट्री भविष्य में चाहिए उसके लिए एक क्वालिटी डेवलपमेंट सेंटर और समग्र विकास क्षेत्र हिना चाहिए। जिस तरह से यह एक दिन मनाया जा रहा है उस तरीके से यह एक महीना मनाया जाए हर इंडस्ट्रियल एरिया में कुछ एरिया इस तरीके के डिवेलप हो।
हर जगह पर इस तरह की एक्टिविटीज और इस तरह के कार्यक्रम चलें। समय के साथ अगर हम अपने आप को इस तैयारी में रखेंगे तो भविष्य में जिस तरीके की इंडस्ट्री ग्रेटर नोएडा में आ रही है हम चाहेंगे कि हमें फैसिलिटेट किया जाए जिस तरीके से आप बाकी चीजों को फैसिलिटेट कर रहे हैं वैसे ही इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट को भी आप आगे बढ़ाने में सहयोग करें।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए सुनीता वेद दीक्षित, समाजसेवी, ग्रेटर नोएडा ने कहा की काफी स्कूल हैं ग्रेटर नोएडा में , जहां पर स्पीड ब्रेकर नहीं है हम देखते हैं काफी स्कूल के सामने जो गाड़ियां आती हैं वह काफी स्पीड में आती है वहां पर जरूर स्पीड ब्रेकर होने चाहिए।
आगे उन्होंने कहा काफी खूबसूरत टाउन है हमारा और इसको और खूबसूरत बनाने के लिए यहां पर कल्चरल एक्टिविटी होनी चाहिए। कोविड के वजह से काफी सारे प्लान है जो कैंसिल हो गए , लेकिन धीरे-धीरे हम सभी चाहते हैं और अथॉरिटी भी चाहती है कि हम उसी रफ्तार से आगे बढ़े जिस रफ्तार से हम पहले आगे बढ़ रहे थे।
जिससे लोगों को लगे कि बहुत कुछ हो रहा है इस शहर में। आखिरी में उन्होंने कहा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर काफी सारे रोडब्लॉक्स थे , बैरियर थे जिसको हम सबने मिलकर ओवरकम करना है और एक सलूशन ढूंढना है ।
इसके लिए मुझे लगता है की आरडब्ल्यूए का भी हमें सहयोग लेना चाहिए। एक मैंने प्रपोजल दिया था काफी समय पहले क्लस्टर अप्रोच अगर हम फॉलो कर सकें। इससे यह होगा जो फाइनेंसियल बर्डन है वो कम रहेगा। ९
आगे उन्होंने कहा फ्यूचर में अगर अथॉरिटी कोई नया प्रोजेक्ट लेकर आती है, तो आरडब्लूए को और एक्सपर्ट को मिलाकर एक मीटिंग करनी चाहिए और उनके ओपिनियन लिए जाएं इससे यह होगा की इससे हमें लगेगा कि शहर की भागीदारी है और एक अच्छी रिप्रेजेंटेटिव रहेगी सिटीजंस की।
साधना सिन्हा, समाजसेवी , ग्रेटर नोएडा ने भी इस दौरान अपने विचार साझा किया। साधना सिन्हा ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ नरेंद्र भूषण से कहा की आप कोई भी योजना लेकर आते हो तो उसमें महिला सशक्तिकरण को जरूर आमंत्रित करें क्योंकि वैसे भी मिशन शक्ति का वक्त चल रहा है । आगे उन्होंने कहा की कई महिलाएं ऐसी हैं जिनका उनके घर में झगड़ा हो जाता है तो फिर वह अपने घर नहीं जा सकती हैं तो उनके लिए एक जगह होनी चाहिए, जिससे कि महिलाओं के रुकने की व्यवस्था हो सके।
इतने वरिष्ठ जन, गणमान्य अधिकारी, समाजसेवी इत्यादि एक साथ इकट्ठा हुए और विचार साझा कर रहे रहे थे टेन न्यूज़ पोर्टल के माध्यम में। ऐसे में यह सफर अधूरा रह जाता अगर टेन न्यूज़ के संस्थापक, गजानन माली, जो स्वयं ग्रेटर नोएडा के निवासी है वो अपनी राय ना रखते।
अतएव अपने उत्कृष्ट विचार साझा करते हुए गजानन माली ने कहा की ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण के नेतृत्व में ग्रेटर नोएडा का बहुत तेजी से विकास हुआ है। ग्रेटर नोएडा के निवासियों का सौभाग्य है की एक ईमानदार और मेहनती अधिकारी नरेंद्र भूषण ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ का पद संभाल रहे हैं ।
योगेंद्र नारायण जी ने नियोजन की नीव रखी थी , बृजेश कुमार ने विकास काम किया वो धरातल पर दिखा। वही वर्तमान में नरेंद्र भूषण ने इस रास्ते को अपनाते हुए आज ग्रेटर नोएडा में विकास की लहर ला दी है , आज हमारे ग्रेटर नोएडा में सभी सुविधाएं हैं ।
आप ने कुछ मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया ग्रेटर नोएडा में गाव के ज़मीनपर अनधिकृत निर्माण बहुत ज्यादा है , जगत फार्म में बहुत सी जगहों पर कब्ज़ा कर रखा है , अगर कोई भी व्यक्ति अपने प्लॉट में कोई एक्स्ट्रा काम करवाता है , तो उसपर पेनल्टी लगाई जाती है , लेकिन जो गॉव के निवासी है , जिन्होंने अवैध कब्जा कर रखा है , उनके खिलाफ कार्यवाही नही होती । साथ ही उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा फैला हुआ है ।
ग्रेटर नोएडा में अल्फा 2 सेक्टर सबसे पुराना है , वहाँ बड़े बड़े commercial कॉम्प्लेक्स निर्माण कर दिए है ..जब की सड़कें छोटी है , जिसके चलते लोगों को बहुत सी परेशानियों को सामना करना पड़ता है ।
कार्यक्रम को समापन की तरफ बढ़ाते हुए इसके बाद आदित्य घिल्डियाल, वरिष्ठ अधिकारी , अग्नि संस्था , ग्रेटर नोएडा ने अपनी बातों को सभी अतिथियों के सामने रखा।
आदित्य घिल्डियाल ने कहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण को तीनों प्राधिकरण का चैयरमेन बना देना चाहिए , क्योंकि उन्होंने सबसे ज्यादा मेहनत , ईमानदारी के साथ ग्रेटर नोएडा में तेजी से विकास कराया है।
साथ ही उन्होंने कहा कि पहले की बात करें तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डर्स को महत्व दिया, लेकिन इंडस्ट्रीज को महत्व नही दिया गया । वही जबसे नरेंद्र भूषण ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ बने है, तबसे इंडस्ट्रीज को महत्व दिया गया, जिसके चलते बहुत से बेरोजगारों को रोजगार मिल रहा है, आने वाले समय सबसे ज्यादा रोजगार उत्पन्न होगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण उद्योगपतियों को स्कीम के तहत कुछ छूट दी जाए , जिससे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सबसे ज्यादा उद्योग लग सके , मैने देखा है कि ग्रेटर नोएडा से बहुत सी कंपनी पलायन कर चुकी है , जिसके चलते बहुत से लोग बेरोजगार हुए है । साथ ही उन्होंने कहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण सीएसआर के माध्यम से ग्रेटर नोएडा में मजदूरों के बच्चों के लिए स्कूल बनवाए , जिससे उन सभी बच्चों का भविष्य बन सके , अधिकतर ग्रेटर नोएडा के स्कूल बहुत महंगे है , जिसके चलते मजदूरों के बच्चों को अच्छी शिक्षा नही मिलती ।
इसी के साथ सभी वक्ताओं ने अपने विचार रखे जिन्हें वर्तमान सीईओ नरेंद्र भूषण ने गौर से सुना और सभी बिंदुओं पर आवश्यक विश्लेषण एवं उचित निर्णय कर ग्रेटर नोएडा के विकास को और गति प्रदान करने का भरोसा दिलाया।
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