हमारी मांग है कि एससीपी/टीएसपी को लागू करने हेतु एक विस्तृत कानून आंध्र प्रदेश अजा/जजा सब-प्लान विधेयक, 2013 की तर्ज पर संसद में पास होना चाहिए।
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story-आज डा0 उदित राज के नेतृत्व में अनुसूचित जाति/जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ की दिल्ली इकाई की ओर से एन.डी.एम.सी. कन्वेंशन सेंटर, जंतर-मंतर के सामने, नई दिल्ली पर एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में परिसंघ के दिल्ली एवं एन.सीआर. के पदाधिकारी, सक्रिय कार्यकत्र्ता एवं शुभचिंतक शामिल हुए और दलित आंदोलन की दिशा व दशा पर गंभीर चर्चा हुई। सम्मेलन में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि शीघ्र ही दिल्ली एवं एन.सी.आर में विभिन्न स्तरों पर अजा/जजा परिसंघ की इकाइयां गठित करके विशेष सदस्यता अभियान चलाया जाएगा।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए अनुसूचित जाति/जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष, डाॅ0 उदित राज जी ने कहा कि बाबा साहेब ने बौद्धिक नेतृत्व पढ़े-लिखे लोगों को दिया था न कि गांव और राजनैतिक लोगों को। अब पढ़े-लिखे लोग राजनैतिक लोगों से उम्मीद करते हैं। जाट और पटेल आंदोलन से सबक लेने की आवश्यकता है। हमारा मतलब यह कतई नहीं है कि कि अपनी मांगों के लिए असंवैधानिक एवं गैरकानूनी कार्य करना चाहिए लेकिन अधिकारों के लिए एकजुट होना चाहिए। पटेल एवं जाट दोनों आंदोलनों का नेतृत्व किसी नेता ने नहीं बल्कि लोगों ने स्वयं किया। उन्हेांने कहा कि ‘‘मैंने निजी क्षेत्र में आरक्षण हेतु प्राइवेट मेंबर बिल संसद में पेश किया। यह राजनैतिक दलों के समर्थन से नहीं बल्कि समाज की ताक़त से पास होगा। जब तक लाखों की संख्या में हम एकजुट नहीं होते यह अधिकार लेना बहुत ही मुश्किल है।उन्होंने कहा कि आरक्षण शासन-प्रशासन में दलितों की भागीदारी सुनिश्चित करता है तो एससीपी एवं टीएसपी उनके आर्थिक उत्थान का उपाय है। पिछले कुछ सालों से जिस तरह की गतिविधियां चल रही है उससे एससीपी एवं टीएसपी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पा रहा है। एस.सी.पी. एवं टी.एस.पी. की योजनाओं की गहन निगरानी होनी चाहिए एवं सूचनाएं सार्वजनिक की जानी चाहिए। राज्य स्तर पर एक उच्च स्तरीय समिति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित की जानी चाहिए, जिसका कार्य एससीपी नीतियों के निर्धारण, योजनाओं के अनुमोदन, और निगरानी करने की होनी चाहिए। हमारी मांग है कि एससीपी/टीएसपी को लागू करने हेतु एक विस्तृत कानून आंध्र प्रदेश अजा/जजा सब-प्लान विधेयक, 2013 की तर्ज पर संसद में पास होना चाहिए