उपराष्ट्रपति निवास पर आचार्य तुलसी जन्मशताब्दी समारोह की चर्चा
उपराष्ट्रपति श्री एम॰ हामिद अंसारी ने कहा कि राष्ट्रीय एकता, अमनचैन एवं सांप्रदायिक सौहार्द के लिए दलगत स्वार्थों से ऊपर उठना जरूरी है। इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है। इसके लिए आचार्य तुलसी के अणुव्रत आंदोलन, नैतिकता और सांप्रदायिक सौहार्द के सिद्धांतों को अपनाने की जरूरत है। इन सिद्धांतों को अपनाने से न केवल राष्ट्रीय बल्कि दुनिया की बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।
उपराष्ट्रपति श्री एम॰ हामिद अंसारी ने आज उपराष्ट्रपति निवास पर अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के विद्वान शिष्य अणुव्रत प्राध्यापक मुनिश्री राकेशकुमारजी, मुनिश्री सुधाकरजी, मुनिश्री दीपकुमारजी के सान्निध्य में आचार्य तुलसी जन्मशताब्दी समारोह के संदर्भ में आयोजित संगोष्ठी में उक्त उद्गार व्यक्त किए। इस विचार संगीति में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री कन्हैयालाल पटावरी, आचार्य श्री तुलसी जन्मशताब्दी समारोह (दिल्ली) के निदेशक श्री मांगीलाल सेठिया, अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के प्रधान न्यासी श्री संपतमल नाहटा, श्री गोविंदमल बाफना, श्री शांतिकुमार जैन, सभा के महामंत्री श्री सुखराज सेठिया, श्री पदमचंद जैन, मीडिया प्रभारी श्री शीतल जैन, अणुव्रत लेखक मंच के संयोजक श्री ललित गर्ग, तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री श्री संदीप डूंगरवाल, श्री दीपक सिंघी आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए वर्ष-2014 में आयोजित तुलसी जन्मशताब्दी समारोह के कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। मुनिश्री सुधाकरजी एवं मुनिश्री दीपकुमारजी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
श्री अंसारी ने अणुव्रत आंदोलन के कार्यक्रमों की अवगति के बाद कहा कि नैतिकता और चरित्र की स्थापना संतपुरुषों के मार्गदर्शन में ही हो सकती है। हर इंसान एक अच्छा इंसान बनने का संकल्प ले, यह जरूरी है। आचार्य श्री तुलसी जन्मशताब्दी समारोह निश्चित ही देश में इंसानियत एवं भाईचारे की प्रतिष्ठा का सशक्त माध्यम बनेगा। श्री अंसारी ने अणुव्रत आंदोलन के द्वारा लोकतंत्र को सशक्त करने की दृष्टि से किए जा रहे प्रयत्नों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण आध्यात्मिक शक्ति के साथ संपूर्ण राष्ट्र में शांति व भाईचारे का संदेश फैला रहे हैं। मौजूदा माहौल में अणुव्रत आंदोलन समाज में शांति एवं सौहार्द स्थापित करने के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों को जन-जन में स्थापित करने का सशक्त माध्यम है।
इस अवसर पर अणुव्रत प्राध्यापक मुनिश्री राकेशकुमारजी ने विशेष उद्बोधन में अणुव्रत आंदोलन की संपूर्ण जानकारी प्रदत्त करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति में दायित्व और कर्तव्यबोध जागे, तभी लोकतंत्र को सशक्त किया जा सकता है। सांप्रदायिक विद्वेष, भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक अस्थिरता के जटिल माहौल में अणुव्रत आंदोलन के माध्यम से शांति एवं अमन-चैन कायम करने के लिए प्रयास हो रहे हैं। यही वक्त है जब नैतिक और अहिंसक शक्तियों को संगठित किया जाना जरूरी है। इस संदर्भ में उन्होंने आचार्य श्री महाश्रमण की वर्तमान में संचालित हो रही अहिंसा यात्रा एवं आचार्य श्री तुलसी जन्मशताब्दी समारोह की चर्चा करते हुए कहा कि नैतिकता और साम्प्रदायिक सौहार्द का वातावरण निर्मित करने के लिए आचार्य श्री तुलसी की शिक्षाओं को अपनाना जरूरी है। धर्म का वास्तविक लक्ष्य इंसानियत की स्थापना है। इसी के लिए आचार्य तुलसी ने उद्घोष दिया था- इंसान पहले इंसान फिर हिन्दू या मुसलमान। इसी तरह उनका दूसरा मुख्य उद्घोष था- निज पर शासन फिर अनुशासन। इन्हीं उद्घोषों का लक्ष्य था नफरत, घृणा एवं हिंसा पर नियंत्रण एवं नैतिकता की प्रतिष्ठा। अणुव्रत आंदोलन जैसे उपक्रमों से अहिंसा एवं समतामूलक समाज की प्रतिष्ठा हो सकती है। मुनि सुधाकरकुमार ने आचार्य महाश्रमण की पुस्तक ‘सुखी बनो’ श्री हामिद अंसारी को प्रदत्त की। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने तुलसी जन्मशताब्दी समारोह के दिल्ली में विधिवत शुभारंभ के अवसर एवं आचार्य महाश्रमण के स्वागत समारोह में 8 जून 2014 को मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेने के निवेदन पर शीघ्र ही निर्णय लेने का आश्वासन दिया।