आयोग के नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां -बगैर फार्म -16 भरे ही प्रत्याशियों को दी जा रही सभाओं की परमिशन

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ग्रेटर नोएडा। जनपद में प्रत्याशियों द्वारा जनसभा, रैली आदि के लिए मांगी जा रही परमिशन में चुनाव आयोग के निर्देशों की अनदेखी की जा रही है। आयोग के निर्देशानुसार अनुलग्नक फार्म-16 में प्रत्याशियों द्वारा पूरा ब्यौरा दिया जाता है, जिससे खर्च के ब्यौरे का आंकलन करने में आसानी होती है। मगर इसके बगैर ही प्रशासन द्वारा अनुमति दी जा रही है।
चुनाव आचार संहिता लगते ही प्रत्याशियों द्वारा चुनाव प्रचार में किए जाने वाले खर्च को जोड़ा जाता है। इसके लिए व्यय समिति भी बनी है और केन्द्रीय चुनाव आयोग ने व्यय पर्यवेक्षक भी भेजा है। व्यय पर्यवेक्षक वीपी गुप्ता ने जनपद के तीनों उप जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है। इस पत्र के जरिए एसडीएम द्वारा चुनावी सभा और रैलियों आदि के लिए दी जा रही परमिशन पर उंगली उठाई है। उन्होंने कहा कि प्रत्याशियों द्वारा रैली व सभाओं के लिए अनुमति मांगने के दौरान अनुलग्नक फार्म-16 भरकर जमा किया जाता है। मगर अभी तक दी गई परमिशन में इसकी अनदेखी की गई है, जिससे आयोग के निर्देशों की अवहेलना की जा रही है। उन्होंने सभी एसडीएम को चुनाव आयोग के निर्देशों का शत प्रतिशत पालन करने का निर्देश दिया है, ताकि प्रत्याशियों के चुनावी व्यय का सही आंकलन किया जा सके।
क्या है फार्म-16
दरअसल, जब भी कोई प्रत्याशी चुनावी प्रचार के लिए सभा या रैली आयोजित करता है, तो उसे फार्म-16 भरना पड़ता है। इस फार्म में कई काॅलम होते हैं, जिसमें प्रत्याशी द्वारा बताया जाता है कि रैली में कितनी कुर्सियां होंगी, टैंट होगा या नहीं, गाडि़यां कितनी होंगी, कितनी भीड़ होगी, सभा में कौन नेता प्रमुख होगा आदि से संबंधित विस्तार से जानकारी दी जाती है। इसी के आधार पर व्यय पर्यवेक्षक द्वारा रैली में हुए व्यय का आंकलन करता है और दी गई सूचना गलत पाई जाती है, तो कार्रवाई की जाती है।

अधिकारी का कहना
इस संबंध में एडीएम (प्रशासन) चंद्रशेखर का कहना है कि वह अब तक दी गई रैली या सभाओं की परमिशन को वह देखेंगे। यदि उसमें आयोग के निर्देशों का पालन नहीं किया गया है, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

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