इ कॉमर्स पालिसी ने किया व्यापारियों को निराश, अधिकतर मुद्दों पर सरकार ने नहीं उठाया कोई कदम ; फेडरेशन द्वारा आंशिक सुधारो का किया गया स्वागत

फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल , भारत सरकार द्वारा इ कॉमर्स में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति में 26 दिसंबर 2018 को किये गए आंशिक संसोधन का स्वागत करता है और माननीय केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य श्री सुरेश प्रभु जी का आभार व्यक्त करता है कि फेडरेशन द्वारा समय समय पर दिए गए विभिन्न सुझावों में से कुछ तो सरकार द्वारा लागु कर दिए गए है ।

श्री बंसल के अनुसार उपरोक्त पोलिसी की में विदेशी कैश एंड कैर्री थोक कारोबारियों , जैसे वालमार्ट, मेट्रो इत्यादि द्वारा की जा रही अनियमितता के बारे में कुछ भी नहीं लाया गया है । इ कॉमर्स में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति सर्कुलर 2017 की क्लॉज़ 5 .2 .15 .1 .2 आज भी खुदरा व्यापारियों के पंजीकरण हेतु वैट पंजीकरण की बात बोल रहा है जबकि जीएसटी के उपरांत वैट समाप्त हो गया है । फेडरेशन द्वारा मांग की गयी थी कि उक्त विदेशी कैश एंड कैर्री थोक कारोबारी अपना माल सिर्फ जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों को ही अपना माल बेचे । आज भी विदेशी कैश एंड कैर्री थोक कारोबारी कानून का सहारा ले कर उपभोक्ताओं को सीधे सीधे मॉल बेच रही है ।

श्री बंसल के अनुसार उक्त पालिसी में कोई ऐसा प्रावधान भी नहीं आया जिससे ऑनलाइन पोर्टल द्वारा दी जा रही ब्याज मुक्त क़िस्त सुविधा को रोका जा सके । श्री बंसल ने आश्चर्य व्यक्त किया कि सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिससे यह पता चल सके कि किस प्रकार ऑनलाइन रिटेलर्स का व्यापार बढ़ने के बावजूद घटा भी बढ़ रहा है जबकि ऐसा कोई भी सिद्धांत किसी भी अर्थशास्त्र में नहीं लिखा हुआ है । भारत में कारोबार कर रही प्रमुख ऑनलाइन कारोबारी, फिल्पकार्ट का 2018 का व्यापारिक घाटा 3222 करोड़ रहा जो 2017 वर्ष में 1883 करोड़ था और वह भी तब जब बिक्री 17822 करोड़ से बढ़ कर 24717 करोड़ हो गयी । यही कुछ हालत चीन की अलीबाबा द्वारा वित्त पोषित पेटीएम मॉल की भी है और अमेरिकन अमेज़न भी इसी हालात से गुजर रहा है ।

श्री बंसल के अनुसार चीन के बहुत से ऑनलाइन पोर्टल भारत में सीधे सीधे अपने पोर्टल के माध्यम से मॉल बेच रहे है और डाक / कूरियर के द्वारा डिलीवरी दे रहे है । इस तरह से यह विदेशी पोर्टल आयात शुल्क की चोरी भी कर रहे है । इस पर भी रोक लगाने हेतु कोई प्रावधान नहीं आया ।

श्री बंसल के अनुसार अभी तक ऐसे कोई भी विशिष्ट प्राधिकारी का प्रावधान नहीं है जो ऑनलाइन कारोबारियों द्वारा नकली सामान बेचने पर जाँच कर सके और दोषी को दण्डित कर सके । ऑनलाइन में क्षेत्राधिकार एक बहुत बड़ा मुद्दा है क्योंकि ऑनलाइन पोर्टल किसी और स्थान से होता है ,सामान बेचने वाला किसी और स्थान से होता है ,सामान वितरण वाला कोई और । अतः ऐसी अवस्था में उपभोक्ता का स्थान क्षेत्राधिकार मन जाना चाहिए और उपभोक्ता संरक्षण कानून में भी बदलाव लाना चाहिए , जिसका अभी तक इंतज़ार है ।

अनुचित डिस्काउंट हेतु फेडरेशन द्वारा एक सुझाव दिया गया था कि अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP ) और उपभोक्ता मूल्य में ( वह कीमत जिस पर उपभोक्ता माल खरीदता है ) में बहुत बड़ा अंतर हो जाता है । यदि अधिकतम खुदरा मूल्य पर सरकार जीएसटी वसूल करे तो शायद अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) और उपभोक्ता मूल्य में अंतर समाप्त हो जाए । इससे सरकार को जीएसटी की वसूली भी भलीभांति हो जाएगी और उपभोक्ता भी भ्रमित होने से बच जायेंगे ।

फेडरेशन द्वारा माननीय केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य श्री सुरेश प्रभु जी का से पुनः अनुरोध किया गया है कि व्यापारिक हितो के रक्षा हेतु फेडरेशन द्वारा समय समय पर दिए गयी सुझावों पर भी अमल किया जाए ताकि राष्ट्र के खुदरा व्यापारी वर्ग में जो भय का माहौल है वह समाप्त हो सके ।


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