शोभित विश्वविद्यालय नमामि गंगे अभियान का बनेगा हिस्सा

एक विशेष गंगा पर आधारित सर्टिफिकेशन प्रोग्राम की होगी शुरुआत

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भारत सरकार ने गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के प्रदूषण को कम करने, उनके संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए जून, 2014 में नमामि गंगे कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम के तहत गंगा नदी की स्वच्छता और पुनरुद्धार के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यों की शुरुआत की गयी है। इसमें घरेलू सीवेज, औद्योगिक अपशिष्ट, ठोस अपशिष्ट सहित प्रदूषण कम करने, नदी तट प्रबंधन, अविरल धारा, ग्रामीण स्वच्छता, जैव विविधता संरक्षण आदि जैसी गतिविधियां शामिल हैं।

गत दिनों शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने नमामि गंगे अभियान के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट में शैक्षणिक संस्थाओं का विशेष योगदान हो सकता है। उसके लिए गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा के रास्ते में पड़ने वाले मुख्य शिक्षण संस्थाओं को साथ लेकर चलने की आवश्यकता है। गंगा की सफाई न केवल सरकारी अभियान है बल्कि आध्यात्मिक रूप से, आर्थिक रूप से, लोगों को रोजगार देने के रूप से और सांस्कृतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। गंगा विभिन्न संस्कृति और सभ्यताओं का समागम है।

अगर सरकार रिसर्च एंड डेवलपमेंट वाले हिस्से को शिक्षण संस्थाओं को देती है तो यह बहुत लाभदायक होगा। क्योंकि छात्रों के द्वारा किए गए सर्वे में लोकल लेवल पर आने वाली समस्याओं का भी पता लगेगा जिसकी सहायता से नमामि गंगे मिशन समय से पूरा हो पायेगा।

शोभित विश्वविद्यालय की ओर से कुलाधिपति कुंवर शेखर विजेंद्र ने एक कार्यक्रम “मेरा जीवन-मेरा गौरव” नामक एक सर्टिफिकेशन प्रोग्राम की प्रस्तावना और भूमिका नमामि गंगे के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा को दी।

राजीव रंजन मिश्रा ने विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना करते हुए कुलाधिपति द्वारा प्रस्तावित सर्टिफिकेशन प्रोग्राम “मेरा जीवन- मेरा गौरव” को आगे बढ़ाने का भरोसा दिलाया। इस अवसर पर नमामि गंगे कार्यक्रम के सलाहकार जगमोहन गुप्ता, विश्वविद्यालय के कॉर्पोरेट रिलेशन निदेशक देवेंद्र नारायण मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

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