यूपी में ब्लैक फंगस को किया महामारी घोषित, बीमारी से निपटने के लिए जरूरी इंजेक्शन की हो रही है कमी

Ten News Network

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देशभर में कोरोना माहमारी ने तबाही मचा रखी है। वही दूसरी तरफ, ब्लैक फंगस कोरोना के दुसरे प्रकोप के रूप में महामारी का रूप लेता जा रहा है। ब्लैक फंगस के मामले इतने तेज़ी से बढ़ रहे है की, देश के कई राज्य इसे महामारी घोसित करने की तईयारी कर रहे है और उत्तरप्रदेश ने तो इसे आज महामारी घोषित कर भी दिया है।

 

जिसका कारण उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के लगातार मामले सामने आना है। ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने वाला यूपी आठवां राज्य है। इससे पहले गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान, असम, ओडिशा, पंजाब और चंडीगढ़ इसे महामारी घोषित कर चुके हैं।

 

आपको बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने का आग्रह कर चुका है। इसमें कहा गया है कि केंद्र ने महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत ब्लैक फंगस को नोटिफाइड डिजीज श्रेणी में डाला जाए। ये कोरोना मरीजों की मौत का कारण बन रहा है।

प्रदेश में हो रही इंजेक्शन की कमी

दरअसल, यूपी में ब्लैक फंगस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। राजधानी लखनऊ में भी ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गुरुवार को इसके कारण चार मरीजों की मौत भी हो गई है। उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी गौतमबुद्धनगर जिले में भी ब्लैक फंगस लगातार पैर पसार रहा है। जिसको देखते हुए सरकार कोरोना और ब्लैक फंगस दोनों से निपटने के लिए युद्धस्तर पर कार्य कर रही है।

गौतम बुद्ध नगर जिले में अब तक ब्लैक फंगस के 15 मामले सामने आए है जिसको देखते हुए नोएडा के सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल में ब्लैक फंगस क्लिनिक की शुरुआत की गई है। हालांकि पहले दिन इस क्लिनिक में ब्लैक फंगस का एक भी मरीज नहीं आया है। गौरतलब है कि, कोविड के बाद जिले में ब्लैक फंगस के करीब 10 पेशंट इस समय चार अस्पतालों में एडमिट हैं। इनमें 7 पेशंट यथार्थ, एक कैलाश और दो जिम्स में एडमिट हैं। इसके अलावा चार पेशंट की ब्लैक फंगस से मौत हो चुकी है। वहीं एक पेशंट को परिजनों ने गाजियाबाद के एक प्राइवेट अस्पताल में एडमिट कराया है। ब्लैक फंगस से निपटने के लिए सरकारी स्तर से कवायद शुरू हो गई है।

इस बीमारी की रोकथाम के लिए शासन स्तर से लखनऊ के एसजीपीजीआई के 12 डॉक्टरों की टीम जिला स्तरीय मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों के स्टाफ को ब्लैक फंगस के खिलाफ लड़ाई में ज्ञान दे रही है। प्रत्येक डॉक्टर को बताया जा रहा है कि ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने पर किसी तरह की लापरवाही ना बरती जाए। तुरंत इलाज शुरू किया जाए।

शासन की ओर से जिले में ब्लैक फंगस के पेशंट के ल‌िए इंजेक्शन के छह डोज का कोटा दिया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, एक पेशंट को सात से दस इंजेक्शन लगाए जाते हैं। ऐसे में जिले को मिले इस कोटे से एक पेशंट का भी पूरी तरह से इलाज हो पाना संभव नहीं है। प्रदेश में करीब 500 इंजेक्शन की डोज में से गौतमबुद्धनगर को बेहद कम इंजेक्शन की डोज मिली है। बताया जा रहा है कि लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी में अधिक इंजेक्शन का कोटा शासन से दिया गया है।

जिले में ब्लैक फंगस के बढ़ते प्रकोप के बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने इससे पीड़ित मरीजों की गिनती शुरू कर दी है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अब तक जिले में 22 ब्लैक फंगस के पेशंट मिले हैं। इन पेशंट को इलाज के लिए दवा नहीं मिल पा रही है। शासन की ओर से जिम्स को दो इंजेक्शन दिए गए थे, जिम्स ने उन्हें अन्य पेशंट को देने से इनकार कर दिया है।

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