“सखी सईया तो खूब ही कमात है, महंगाई डायन खाए जात है। ”
यह गाना साल 2014 के दौरान खूब चर्चा में आया था, देश में उस समय कांग्रेस की मनमोहन सरकार थी और मुख्य विपक्षी दल था बीजेपी. बीजेपी ने मंहगाई को लेकर मनमोहन सरकार को जमकर घेरा, बीजेपी ने इस गाने को बार बार दोहराया और मंहगाई को लेकर खूब राजनीति हुई।
अगर उस समय आपमें से किसी ने भी भाजपा की चुनावी रैली में शिरकत की होगी तो यह गाना हमेशा ही काफी जोरों-सोरों से बजाया जाता था। इसके बाद रैली शुरू होती थी जिसमें उस समय के विपक्षी दल भाजपा के स्टार प्रचारक मुट्ठियाँ भींच-भींच मनमोहन सरकार पर महँगाई को लेकर तंज कसते थे।
“भाईयों और बहनों, महँगाई कम होनी चैये की नहीं? पेट्रोल- डीजल- रसोई गैस की क़ीमत लगातार बढ़ाने वाली सरकार बदलनी चाहिए की नहीं? ” – इस तरह के सवाल होते थे और जनता हुंकारे भर भर इन माँगों का समर्थन करती थी।
पर इन लोक लुभावन सपने वाले दिनों को बीते आज छः साल गुजर चूकें हैं। अगर वादों, दावों वाली बातें सच होती तो आज पेट्रोल- डीज़ल 36-40 रुपए लीटर होता। डॉलर रुपए के बराबर हो चुका होता।
परन्तु वास्तविकता कितनी अलग है। पेट्रोल अपनी सेंचुरी पूरी कर चुका है। शायद किसी को भारतीय जनता पार्टी में इसका इल्म अभी तक नहीं लगा वरना बिहार से ताल्लुक़ रखने वाले एक बड़े भाजपाई नेता ने अब तक पूरी सरकार का इस्तीफा माँग लिया होता।
पर इन सबके बीच सत्ताधारी दल के नेताओं के अजीबोग़रीब बयान भी सामने आते रहते हैं।
देश भर में लगातार बढ़ती पेट्रोल और डीजल की कीमतों से एक ओर जहां आम आदमी परेशान है तो वहीं दूसरी ओर इसे लेकर बीजेपी सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी का एक अजीबोगरीब बयान सामने आया है. सोलंकी का कहना है कि कि अगर पेट्रोल की कीमतें बढ़ रही हैं तो उसी अनुपात में लोगों की आमदनी भी तो बढ़ी है. साथ ही इसके लिए उन्होंने कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा कर दिया.
सोलंकी ने कहा, ‘पेट्रोल की कीमतें जिस अनुपात में बढ़ी हैं उसी अनुपात में लोगों की आमदनी भी बढ़ी है. पेट्रोल की कीमतें केवल नरेंद्र मोदी सरकार में थोड़े ही बढ़ी है, कांग्रेस ने शुरू में 55 साल देश मे शासन किया पर ऐसा कोई इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा नहीं किया जिससे की इनकी कीमतों में कमी आ पाये लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार प्रयास कर रही है कि इनकी कीमतों में कमी आये.’
साथ ही पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ी कीमतों की वजह से मोदी सरकार सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर है.
लोग उस दौर के वीडियो और ट्वीट शेयर कर रहे हैं, जब बीजेपी सत्ता में नहीं थी और नेता, अभिनेता पेट्रोल-डीज़ल की बढ़ी कीमतों को लेकर यूपीए सरकार को घेरा करते थे.
कुल मिला कर आज जिस तरह महँगाई पर भाजपा नेताओं ने चुप्पी साधी है उससे लगता है की जो महंगाई 2014 से पहले डायन सरीखी लगती थी वी अब समय के साथ मौसी जैसी। प्रिय हो गई है।